Sunday, 28 July 2019

मैं सहमत हूँ कि राहुल गाँधी पप्पू है. "पप्पू काँट डांस साला." लेकिन मोदी क्या है? वो कोई जीनियस है? क्या इन्वेंट किया है उसने? रामलीला की स्टेज पर मोटे-मोटे dialogue फेंकने वाला स्थूल किस्म का कलाकार है वो. इससे ज्यादा कुछ नहीं. उसके भाषण उठा कर देख लो. एक से एक तथ्यात्मक गलतियाँ पाओगे. उसे समाज विज्ञान-राजनीति विज्ञान का क-ख-ग भी नहीं आता. भारत का दुर्भाग्य है कि यहाँ अभी राजनीति की जगह सिर्फ "ब्रांडिंग" चल रही है. जनतन्त्र की जगह धनतंत्र चल रहा है. ज़्यादा एक्साइट मत होईये. कुछ नहीं बदलेगा, चुनाव के बाद भी. उस मुकाबले कुछ भी नहीं जो बदल सकता है. जिसके बदलने की पूरी सम्भावना वर्तमान लिए खड़ा है लेकिन तुच्छ राजनीती जिसे अटकाए है. वो इसलिए चूँकि समाज की सोच-समझ तुच्छ है. वो इसलिए चूँकि आम जन की सोच-समझ तुच्छ है. तुछिये. तुचिए लोग. "यथा प्रजा, तथा राजा."

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