Tuesday, 11 April 2017

दिल्ली के नगर निगम चुनाव

नमस्कार मित्रो. अगले चंद मिनटों में क्लियर करता हूँ कि आप को वोट मात्र "आम आदमी पार्टी" को क्यूँ देना चाहिए और क्यूँ भाजपा या कांग्रेस को अपना बेशकीमती वोट नहीं देना चाहिए. बस चंद मिनट. ये चंद मिनट आपके, आपके परिवार और बच्चों की भलाई के लिए सही इन्वेस्टमेंट साबित होंगे मित्रो. एम् सी डी चुनाव हैं. म्युनिसिपल कारपोरेशन. जिसके सबसे अहम कामों में से है एक है, शहर की सफाई. अभी पीछे एक प्रोग्राम देखा, जिसमें बताया गया कि मोहनजोदाड़ो और हडप्पा की खुदाई में आधुनिक कमोड और सीवरेज सिस्टम से मिलता जुलता इंतेज़ाम मिला है. माने सदियों पहले यहाँ गन्दगी निपटाने का इतेजाम किया गया था लेकिन आज उस मुल्क की राजधानी, दिल्ली कूड़े का ढेर बन चुकी है. कौन ज़िम्मेदार है? दिखाया ऐसे जा रहा है, समझाया ऐसे जा रहा है, जैसे गन्दगी के लिए, चिकनगुनिया या डेंगू के लिए केजरीवाल ज़िम्मेदार हों. अरे भाई, जब सफाई का ज़िम्मा उनका है ही नहीं तो वो ज़िम्मेदार कैसे हो गए? दिल्ली में बरसों से MCD में भाजपा है, ज़िम्मा उसका है, ज़िम्मा उसका था. अब पोस्टर लगें हैं भाजपा की तरफ से, लिखा है,“नए चेहरे, नई सोच.” और नए चेहरे कौन से नए हैं ? मोदी जी, अमित शाह जी और वो भोजपुरी फिल्मों के एक्टर मनोज तिवारी जी. वैरी गुड. कौन नए चेहरे हैं ये. मोदी जी और अमित शाह जी? वो तो दशकों से राजनीति में हैं. फिर कैसे नए चेहरे? हाँ, मनोज भाई जी नए चेहरे कहे जा सकते हैं. लेकिन वो गाना है न, “चेहरा न देखो, दिल को देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा” तो दोस्तों, चेहरा नया हो पुराना हो, उससे क्या मतलब? उस चेहरे के पीछे दिमाग कैसा है, सोच कैसी है, वो सब माने रखता है. है कि नहीं? लेकिन लगी है भाजपा आपको भरमाने कि नए चेहरे पेश किये जा रहे हैं. दशकों से किसके पास था दिल्ली का नगर निगम? भाजपा के पास न. तो फिर क्यूँ नहीं चमका लिया दिल्ली को? अब क्या तीर मार लेंगे? क्या प्लान है सफाई का इनके पास? स्वच्छ अभियान? जो सिर्फ यह सिखाने की कोशिश करता है कि आम-जन गंद न फैलाए तो सफाई अपने आप रहेगी. जो सफाई की सही मनैजमेंट की बात ही नहीं करता. चंद मिसाल देता हूँ सफाई की मैनेजमेंट की. दिल्ली मेट्रो में कैसे सफाई रहती है? मेट्रो में सफर करने वाले कोई और भारतीय हैं? नहीं. लेकिन स्वच्छ अभियान सिखाता है कि गंद मत फैलाओ. आप सरकारी सार्वजनिक शौचालय में चले जाएँ, उल्टी आने को होगी, वहीं सुलभ शौचालय में जाएँ, सब ठीक-ठाक मिलेगा. सुलभ में जाने वाले कोई और लोग हैं क्या? नहीं. बस सफाई का बेहतर इन्तेजाम है. आप अपना घर कैसे साफ़ रखते हैं? बच्चों वाला घर एक घंटा भर न सम्भालो, तो तितिर-बितर हो जाता है. लेकिन गृहणी साथ-साथ समेटती जाती है, और सफाई बनी रहती है. लेकिन प्रधान-मंत्री जी मात्र एक ही बात पर जोर दिए हैं कि गंद मत फैलाओ. दूसरी बात पर जोर ही नहीं देते, कि गंद जल्दी उठाओ. कूड़े का निपटान तुरंत करो. कर्मचारियों को आधुनिक यंत्र दो. कर्मचारियों की गिनती, उनकी हाजिरी का समय, उनका कर्मक्षेत्र वहां के निवासियों को, दूकानदारों को, फैक्ट्री-मालिकों को, दफ्तर चलाने वालों को बताओ. न सिर्फ बताओ बल्कि वहां की एसोसिएशन को साथ लेकर, दिखा कर सफाई करो-कराओ. एक्टिव पार्टिसिपेशन ऑफ़ पब्लिक इन गवर्नेंस. देखें कैसे नहीं होती सफाई? प्रधान-मंत्री जी का स्वच्छ अभियान मात्र अभियान है. विज्ञापन अभियान. जिसमें ब्रांड एम्बेसडर हैं, नारे हैं, फोटो हैं, लेकिन उससे आगे कुछ नहीं. होता तो दिल्ली कूड़े का ढेर नहीं होती. दिल्ली जो एक शहर ही नहीं है, भारत की राजधानी है. अगर दिल्ली में गन्दगी है तो यही एक वजह काफी है साबित करने को कि भाजपा निगम चुनाव में एक भी वोट लेने की हकदार नहीं है. चूँकि केंद्र में भाजपा है, निगम में भाजपा है, उसके बाद यदि गन्दगी है शहर में तो फिर ज़िम्मेदार कौन है? मात्र भाजपा. किस मुंह से वोट मांग रही है भाजपा? ताकि अगले पांच साल इस शहर को और बड़ा कूड़े के ढेर में तब्दील कर दे? वैरी गुड. ये बड़े होर्डिंग लगा दिए हैं कि कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र लगा दिया है. वैरी वैरी गुड. शानदार, जिंदाबाद. तो सर जी, कूड़ा उठाना भी सीख लेते पहले. उसके लिए कोई संयंत्र क्यों नहीं लगाये? बिजली के बिल भी कम करा देते फिर, उसके लिए कोई प्रोग्राम क्यों नहीं पेश किया? होर्डिंग लगे हैं कि निगम के स्कूलों में CCTV लगवा दिए हैं, उनसे निगरानी होगी अब. तकरीबन तीन साल हो गए भाजपा को केंद्र में. सालों- साल हो गए भाजपा को निगम में, अब याद आया CCTV लगवाना? चलिए अब पब्लिक की ज़मीन पर बने प्राइवेट कहे जाने वाले स्कूलों में भी लगवा दीजिये CCTV, वहां तो विजिटर का मोबाइल फ़ोन तक रखवा लिया जाता है बाहर, ताकि रिकॉर्डिंग न कर ले कोई. ज़मीन पब्लिक की है, स्कूल ऐसे चलाते हैं जैसे ज़र-खरीद हो मेनेजर लोगों की. करो भाजपा वालो कुछ इस क्षेत्र में, तो मानें. असल में वैज्ञानिक तो आविष्कार दे चुकता है लेकिन राजनेता के झोल-झोल प्रयासों का नतीजा होता है से जन-जन तक उसका फायदा आता है सालों में, दशकों में. CCTV उसकी मिसाल है. लोगों ने अपने घरों, दुकानों में कब के लगवा लिए CCTV, लेकिन आज भी पुलिस स्टेशन, कोर्ट, स्कूलों, अस्पतालों, सडकों पर CCTV नहीं लग पाए हैं. और कांग्रेस भी वोट मांग रही है. यह वही कांग्रेस है, जो दशकों तक पॉवर में रही है, एक समय था इलाके में MP, MLA और काउंसलर सब कांग्रेस से आते थे, तब क्या गलियों में, पार्कों में सफाई थी, तब क्या दिल्ली अमेरिका जैसा साफ़ था? तब क्या सड़कें टूटी-फूटी नहीं थीं? किस हक़ से ये लोग दुबारा-दुबारा वोट मांगने आते हैं? आप सब को आजमा चुके भई. एक कर्मचारी जिसे सालों मौका दिया गया हो और वो अपनी जिम्मेदारी सही से न निभा सका हो, तो क्या वो आगे नौकरी मांगने का हक़दार है? खैर, वो तो नौकरी मांगे जाएगा लेकिन ऐसे कर्मचारी को यदि आप मौका देते हैं तो यह उसकी होशियारी नहीं है, आपकी मूर्खता है मित्रो. आम आदमी पार्टी ने घोषणा की है कि हाउस टैक्स माफ़ करेंगे, कैसे करेंगे, किस एक्ट, किस सेक्शन से करेंगे, वो सब भी बताया है. लेकिन विपक्षी लगे हैं हांकने कि मुफ्तखोरी को बढ़ावा दे रही है आम आदमी पार्टी. मित्रो एक अच्छी व्यवस्था में सब नागरिकों को, ग्रामीणों को, वनवासियों को, सब को सुविधायें मिलनी चाहियें और सुविधाएं सुविधाएं होनी चाहियें, न कि दुविधाएं. सुविधाएं सस्ती होनी चाहियें और मुफ्त होनी चाहियें. ज़िन्दगी जीने के लिए है न कि जीने के साधन इंतेज़ाम करते-करते मरने के लिए है. कल्पना करें कि किसी निर्जन द्वीप पर कुछ लोग उतरते हैं, ऐसा द्वीप जहाँ नारियल हैं, फल हैं, गुफाएं हैं, साफ़ सुथरी....समन्दर है...नदियाँ हैं......अब यहाँ लोग लगभग सब मुफ्त पाते हैं......खाना, पीना...रहना. हाँ, कुछ काम तो करने ही पड़ते हैं, जैसे फल तोड़ने पड़ते हैं, पानी नदी से लाना पड़ता है, बिस्तर बिछाने पड़ते हैं. मेरा मानना है कि हम अपनी दुनिया उस द्वीप जैसी बना सकते हैं...जहाँ काम तो सब करें और उन्ही कामों में बेसिक ज़रूरतें सबको मुफ्त मिल जाएँ. अभी हम में से अधिकांश लोग काम कर-कर खप जाते हैं, लेकिन फिर भी बेसिक ज़रूरतें नहीं पूरी नहीं हो पाती जीवन भर. तो आने वाले समय में तो और बहुत कुछ सस्ता होना चाहिए, मुफ्त होना चाहिए और ऐसा किया जा सकता है. मात्र बढ़िया मैनेज-मेंट चाहिए. और आम आदमी पार्टी ने ऐसा कर दिखाया है बिजली पानी के क्षेत्र में. बहुत मित्रों को बिजली पानी के बिलों में राहत मिली है पीछे और अब हाउस टैक्स में राहत देने का एलान है. लेकिन आप सोशल मीडिया देखें, आम आदमी पार्टी और ख़ास करके केजरीवाल जी के खिलाफ अपशब्दों की भरमार होगी. उन्हें तो पागल घोषित कर रहा है विपक्ष. अगर वो नोट-बंदी का विरोध करें तो पागल. EVM का विरोध करें तो पागल. क्यूँ भाई, क्या फायदा हो गया नोट-बंदी से? प्रधान-मंत्री जी जापान में कह रहे थे नोट-बंदी के बाद कि बस नोट-बंदी का तय-शुदा समय बीत जाए,फिर सब बढ़िया ही बढ़िया हो जाएगा. सब शिगूफा साबित हुआ. याद रखियेगा, उस सारे दौर को, जब आप को अपने ही पैसे लेने के लिए बैंकों के आगे ये बड़ी कतारों में खड़ा कर दिया गया था. हाँ, मुल्क का फायदा होता कुछ तो सही था, लेकिन आज भी रिश्वत है, आतंक है, काला-बाजारी है, स्मगलिंग है, सब है. केजरीवाल ने पंजाब इलेक्शन के बाद से EVM का विरोध किया, विपक्ष ने मज़ाक उड़ाया, थोड़े दिन में ही विडियो आ गया, EVM की कार्यविधि का प्रदर्शन देख रही थीं कोई अफसर, और बटन दबाने पर जब गलत पर्ची निकली तो वो अफसर कह रही थी कि मीडिया में नहीं जानी चाहिए बात, वरना जेल भेज दिया जाएगा. वैरी गुड. चीज़ें साबित होती जा रही हैं, लेकिन केजरीवाल फिर भी पागल हैं. खैर, तो इस पागल आदमी का साथ दीजिये यदि मुल्क को पागलपन से बाहर निकालना है. कोई भी शंका हो, सवाल हो तो भेजिए kusu167@gmail.com पर. यथासम्भव जवाब दिया जाएगा. और सब आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी अपील है कि जन-जन से जो भी तर्क मिलें, सवाल मिले, हमें भेजें. तुरत आपको उसका जवाब देंगे हम. यह तर्कों की लड़ाई है, यदि कोई वोट देता है तो उसके पास कुछ तर्क हैं और नहीं देता है तो उसके पास अपने तर्क हैं. तो जो नहीं देता, नहीं देना चाहता, उसके तर्कों का जवाब देंगे हम, उसे तर्क से मज़बूर करेंगे, मजबूत करेंगे कि वो हमें वोट दे. और जिन लोगों को लगता है कि केजरीवाल ने कुछ नहीं किया, उन्हें बता दें कि केजरीवाल किये से ही अनेक लोगों को बिजली-पानी सस्ता मिल रहा है, उन्ही के किये से मोहल्ला क्लिनिक बने हैं, उन्ही के किये से अब इलाज सस्ता होने जा रहा है. और यह तब है जब उनके हाथ में पॉवर बहुत काम है. जब अधिकांश पॉवर एल जी साहेब के पास है. आगे और भी बहुत कुछ शुभ होगा मित्रो. अभी समय ही कितना हुआ उनको? समय दीजिये, वोट दीजिये और विकास लीजिये. वोट दीजिये आम आदमी पार्टी को, दिल्ली की साफ़-सफाई के लिए, हाउस-टैक्स से राहत के लिए, वोट दीजिये पानी-बिजली के बिलों का फायदा उठाते रहने के लिए और सब से बड़ा कारण, वोट दीजिये लोकतंत्र बचाए रखने के लिए.
नमस्कार...Tushar Cosmic.. Copy Right Matter

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