राम का पूर्वज बलात्कारी था...सन्दर्भ चाहिए...दे सकता हूँ.....वाल्मीकि रामायण से. अब क्या धारा में बंद करवायेंगे मुझे?
नहीं, मित्र, यहाँ भारत में अलग-अलग विचार रखने वाले लोग हैं, एक दूजे से विपरीत विचार रखने वाले. सो इसमें कोई हाय-तौबा मचाने की बात नहीं कि प्रशांत भूषण ने क्या कहा. इसे इस्लामिस्तान न बनाएं.
क्या रावण को भी नहीं पूजते लोग? उसका भी सम्मान नहीं करते?
क्या यह कथा नहीं है कि रावण मरने पर राम ने लक्ष्मण को उससे ज्ञान ग्रहण करने को कहा? तो वो रावण के सर पर जा खड़ा हुआ...तब राम ने ही उसे कहा कि नहीं, ज्ञान लेना है तो रावण के पैरों की तरफ जा कर खड़े होवो. नहीं है क्या यह कथा?
महाभारत के विलन दुर्योधन को भी पूजते हैं लोग, तो क्या ये सब लोग देस-द्रोही हो गए? गलत हो गए? मात्र इसलिए कि बहुत लोग कृष्ण को पूजते हैं?
भारत खजुराहो का देश है, कामसूत्र का, कृष्ण लीला का.....प्रेम, सेक्स यहाँ पूजा गया है.........मेरी समझ है कि कृष्ण और गोपिकाओं में प्रेम लीला और लम्पटता में बस एक ही फर्क है...वो है राज़ी और ना-राज़ी का....... ज़बरदस्ती जो करे, वो गलत है.....क्या कृष्ण बलात कुछ कर रहे थे? मुझे नहीं लगता.
सो प्रशांत भूषण का कथन मैं सही नहीं मानता......आज के लम्पट भी रोमियो न ही कहे जाएँ तो बेहतर.....रोमियो-जूलिएट की कहानी तो प्रेम कहानी है...लम्पटता बात बिलकुल अलग है...इसका कैसे भी समर्थन नहीं होना चाहिए.
असल में "एंटी-रोमियो स्क्वाड" की जगह "एंटी-लम्पट-स्क्वाड" कहें. मुद्दा साफ़ हो जाता. अब कैसे कृष्ण से मेल बिठायेंगे?
न रोमियो से कोई सम्बन्ध और न ही कृष्ण से.
कुल मतलब यह है कि प्रशांत भूषण और योगी आदित्य दोनों के गलत उद्धरण का तर्क से जवाब दीजिये...जो मैं देख रहा हूँ, वो हुज्ज्ज़त बाज़ी है.
नहीं, मित्र, यहाँ भारत में अलग-अलग विचार रखने वाले लोग हैं, एक दूजे से विपरीत विचार रखने वाले. सो इसमें कोई हाय-तौबा मचाने की बात नहीं कि प्रशांत भूषण ने क्या कहा. इसे इस्लामिस्तान न बनाएं.
क्या रावण को भी नहीं पूजते लोग? उसका भी सम्मान नहीं करते?
क्या यह कथा नहीं है कि रावण मरने पर राम ने लक्ष्मण को उससे ज्ञान ग्रहण करने को कहा? तो वो रावण के सर पर जा खड़ा हुआ...तब राम ने ही उसे कहा कि नहीं, ज्ञान लेना है तो रावण के पैरों की तरफ जा कर खड़े होवो. नहीं है क्या यह कथा?
महाभारत के विलन दुर्योधन को भी पूजते हैं लोग, तो क्या ये सब लोग देस-द्रोही हो गए? गलत हो गए? मात्र इसलिए कि बहुत लोग कृष्ण को पूजते हैं?
भारत खजुराहो का देश है, कामसूत्र का, कृष्ण लीला का.....प्रेम, सेक्स यहाँ पूजा गया है.........मेरी समझ है कि कृष्ण और गोपिकाओं में प्रेम लीला और लम्पटता में बस एक ही फर्क है...वो है राज़ी और ना-राज़ी का....... ज़बरदस्ती जो करे, वो गलत है.....क्या कृष्ण बलात कुछ कर रहे थे? मुझे नहीं लगता.
सो प्रशांत भूषण का कथन मैं सही नहीं मानता......आज के लम्पट भी रोमियो न ही कहे जाएँ तो बेहतर.....रोमियो-जूलिएट की कहानी तो प्रेम कहानी है...लम्पटता बात बिलकुल अलग है...इसका कैसे भी समर्थन नहीं होना चाहिए.
असल में "एंटी-रोमियो स्क्वाड" की जगह "एंटी-लम्पट-स्क्वाड" कहें. मुद्दा साफ़ हो जाता. अब कैसे कृष्ण से मेल बिठायेंगे?
न रोमियो से कोई सम्बन्ध और न ही कृष्ण से.
कुल मतलब यह है कि प्रशांत भूषण और योगी आदित्य दोनों के गलत उद्धरण का तर्क से जवाब दीजिये...जो मैं देख रहा हूँ, वो हुज्ज्ज़त बाज़ी है.
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