Saturday, 29 April 2017

ये जो किसान अपना रोना रो रहे हैं, इनको कहना है, "अबे ओये, जब बच्चों की लाइन लगा रहे थे, तब नहीं सोचा कि यही बच्चे कल तुम्हारी धरती माता के इत्ते टुकड़े करेंगे कि वो बेचारी इनमें से किसी का भी पेट न भर पायेगी. इडियट. ठेका नहीं लिया किसी ने तुम्हारा."

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