कुछ भी कहो, लिखो, बको, भौंको कोई परवा नहीं लेकिन इनकी पवित्र सी, सौम्य सी भावना मैडम आहत नहीं होनी चाहिए.
इनके धर्म, मज़हब, पन्थ, दीन पर अटैक नहीं होना चाहिए और इनके गुरु महाराज, पैगम्बर, अवतार तो इंसानी आलोचना से परे की चीज़ हैं. आपको उनके हर कथन, हर करम पर मुंडी 'हाँ' में ही हिलानी है. अगर आपने ज़र्रा भी इनकी आलोचना की तो इनकी वो जो हैं न, सौम्य सी भावना जी, उनको चोट लग जाती है. लेकिन मैं कहता हूँ कि अगर आप इनकी भावना जी को आहत करने की हिम्मत नहीं करते तो आपका लेखन, सोचन सब कूड़ा है, करकट है, कायरता है, बुजदिली है, चूँकि यही भावना मैडम पूरी दुनिया में गंद फैलाएं हैं.
कुछ भी कहो, लिखो, बको, भौंको कोई परवा नहीं लेकिन इनकी पवित्र सी, सौम्य सी भावना मैडम आहत ज़रूर होनी चाहिए.
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