देवी शकीरा पहले ही कह चुकी हैं. हिप्स झूठ नहीं बोलते. हिप्स क्या शरीर का कोई भी अंग-प्रत्यंग झूठ नहीं बोलता. तभी तो स्किन टाइट कपड़े पहने जाते हैं. कपड़ों में भी शरीर दिखाने की चाह. नग्न होने की चाह. हिप्स झूठ नहीं बोलते, चाहे शकीरा के हों, चाहे किसी के भी हों.
अमेरिकी कैदी अपने पायजामे नीचे सरका देते थे, ताकि बिन बोले ही देखने वाले समझ जाएँ कि उनकी सहमति है सेक्स सहभागिता में. अब आज के नौजवान और नौजवानियाँ जॉकी का कच्छा दिखाते हुए नीचे सरकी अपनी पतलून से क्या मेसेज देना चाहते हैं, वो ही जानें, बस गुज़ारिश इतनी सी है कि शकीरा जी के शर्करा शब्द याद रखें.
नारी शक्ति ऐलान करती है कि उनका हक़ है जैसे मर्ज़ी कपडे पहनें. बिलकुल पहनें भई. यह तो वैसे भी महावीर का मुल्क है, जिनके वस्त्र आसमान ही था. दिगम्बर. यह तो नागा बाबाओं का मुल्क है. यह तो कश्मीर की लल्ला का मुल्क है. नग्न संत. यह तो सदियों से काम-क्रीडा में लिप्त नग्न मूर्तियों से पटे खजुराहो के मन्दिरों का मुल्क है. यह तो काम के सूत्र लिखने वाले वात्स्यायन का मुल्क है. ठीक मर्ज़ी है आपकी, जैसे मर्ज़ी कपड़े पहनें, या न भी पहनें.
मेरा तो पॉइंट मात्र इतना है कि यह मुल्क बहुत से सेक्स के भूखे लोगों का भी है जो नज़रों ही नज़रों से बलात्कार कर दें, औरत के शरीर को चीर-फाड़ कर दें, चिंदी-चिंदी कर दें, तार-तार कर दें, बेकार कर दें, .
बाकी हम तो चुप ही हैं इस विषय में, ज़्यादा कुछ बोलेंगे तो बोलेंगे कि बोलते हैं.
नारी शक्ति जिंदाबाद.
नमन....तुषार कॉस्मिक
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