क़ानूनी दांव पेंच-3
कानून का मसला ऐसा है कि हम भारतीय जो अनपढ़ हैं, वो तो अनपढ़ हैं हीं, जो पढ़े-लिखे हैं, वो भी अनपढ़ हैं. सो वकील पर विश्वास, अंध-विश्वास किया जाता है. और इसी का नाजायज़ फायदा उठाते हैं वकील. यह सिर्फ किताबी आदर्श है कि वकील केस जीतने में ही दिलचस्पी लेगा, इसलिए ताकि उसे प्रतिष्ठा मिले और वो और ज़्यादा काम पा सके. असलियत ऐसी बिलकुल नहीं है. लोग केस देते हैं, वकील का ऑफिस देख कर. लम्बी कतारों में रखी किताबें देख कर. और नौसीखिए असिस्टेंट वकीलों की भीड़ देख कर, जो मुफ्त या लगभग मुफ्त मिलते हैं. और घिसे वकील इस बात को भली-भांति समझते हैं. क्या लगता है आपको कि आपके वकील को आपको केस जितवाने में रूचि है? आप केस जीत गए, तो बड़ा फायदा आपका होगा, उसके लिए तो किस्सा खतम. एक वकील का लड़का विदेश से वकालत पढ़ के भारत लौटा था. बाप कहीं बाहर गया था. पीछे से बेटे ने केस हैंडल किये. बाप जैसे ही आया, बेटा ख़ुशी से चहकता हुआ बोला, "पिता जी जिन माता जी का केस आप पिछले दस बरस से हल नहीं कर पाए, वो मैंने मात्र दो डेट में खत्म करवा दिया." पिता ने मत्था पीट लिया. बोला, “जो तूने किया, वो मैं भी कर सक...