दाग अच्छे हैं, टैग सच्चे हैं.

कभी सुना है कि टैग करने को भी कोई पसंद कर रहा हो? नहीं सुना होगा. मुझ से सुनें.
असल में टैगिंग बहुत अच्छी चीज़ है लेकिन भूतिया लोग अच्छी-से-अच्छी चीज़ को बकवास कर देते हैं. टैगिंग करेंगे, जैसे दुनिया इनके घूमने-फिरने-खाने-पीने-नहाने-धोने-हगने-मूतने को देखने को ही बैठी हो.
मैं भी टैग करता हूँ. लेकिन सॉफ्ट टैग. यह मुझे Hans Deep Singh जी ने सिखाया था. इसमें बस एक नोटिफिकेशन जाता है अगले को, कि मैंने याद किया है. कोई ज़बरदस्ती नहीं, अपनी किसी पोस्ट को अगले की टाइम लाइन पर भेजने की. बस एक आमन्त्रण है, अपनी पोस्ट देखने का.
यकीन करिये कोई एतराज़ नहीं करता. बल्कि मित्र-गण पसंद ही करते हैं. और करे कोई एतराज़, तो मित्र सूची से बाहर, चूँकि अपना तो क्राइटेरिया ही यही है कि आप और "हम साथ-साथ हैं" तो मात्र इसलिए कि एक-दूजे की पोस्ट देखना-पढ़ना चाहते हैं और अगर नहीं है ऐसा, तो फिर "हम आपके हैं कौन"?

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