मैंने केजरीवाल की नियत पर कभी शक नहीं किया है लेकिन उनकी अक्ल पर मुझे हमेशा शंका रही है. बहुत पहले मैंने एक लेख लिखा था "मूर्ख केजरीवाल". एक मिसाल देता हूँ अपनी मान्यता के पक्ष में.
जरनैल सिंह राजौरी गार्डन दिल्ली सीट के सिटींग MLA थे. उन्हें उखाड़ कर पंजाब में चुनाव लड़वा दिया.
नतीजा जानते हैं क्या हुआ? दोनों सीट गवा दीं.
यह केजरीवाल की महान मूर्खता का जिंदा नमूना है. पंजाब के चुनाव में पंजाब का व्यक्ति न लड़वा कर दिल्ली का व्यक्ति लड़वाना यह कहाँ की समझदारी थी? पंजाब के लोग टिकट लेने को मरे जा रहे थे, लेकिन टिकट दी दिल्ली के आदमी को. वाह भाई वाह!
और दिल्ली की जीती सीट को छोड़ना, यह कहाँ की समझदारी थी? क्या सोचा कि सरदार खुस होगा? साबासी देगा?
सरदार ने धो दिया. बम्पर वोट से भाजपा के मनजिंदर सिंह सिरसा जीते. कल्लो बात. बड़े आये.
केजरीवाल के रूप में एक उम्मीद तो भारत में जगी थी, लेकिन उनकी अक्ल की कमी ने वो धुल-धूसरित कर रखी है. हां, हम और आप होते तो बात कुछ और होती. नहीं?
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