सेठ जी फोन पर व्यस्त थे........उनके केबिन में कुछ ग्राहक दाख़िल हुए लेकिन सेठ जी की बात फोन पर ज़ारी रही......लाखों के सौदे की बात थी....फिर करोड़ों तक जा पहुँची.........फोन पर ही करोड़ों की डील निबटा दी उन्होंने......ग्राहक अपनी बारी आने के इंतज़ार में उतावले भी हो रहे थे....लेकिन अंदर ही अंदर प्रभावित भी हो रहे थे........ इतने में ही एक साधारण सा दिखने वाला आदमी दाख़िल हुआ.........वो कुछ देर खड़ा रहा....फिर सेठ जी को टोका, लेकिन सेठ जी ने उसे डांट दिया, बोले, "देख नहीं रहे भाई , अभी बिजी हूँ"......वो आदमी थोड़ी देर खड़ा रहा, फिर से उसने सेठ जी को टोका, सेठ जी ने फिर से उसे डपट दिया............सेठ जी फिर व्यस्त हो गए......अब उस आदमी से रहा न गया, वो चिल्ला कर बोला , “सेठ जी, MTNL से आया हूँ, लाइनमैन हूँ, अगर आपकी बात खत्म हो गई हो तो जिस फोन से आप बात कर रहे हैं, उसका कनेक्शन जोड़ दूं?”
आप हंस लीजिये, लेकिन यह एक बहुत ही सीरियस मामला है.
बहुत दिखाते हैं कुछ लोग अपनी व्यस्तता. दोगुनी, तिगुनी करके. जैसे व्यस्त अगर हैं तो कोई अहसान है हम पर. जैसे कद्दू में तीर मार लिया हो व्यस्त हो कर.
बहुत पहले मैंने लिखा था कि दो तरह के गरीब होते हैं, एक जिनके पास पैसा नहीं है, दूजे जिनके पास समय नहीं है.
अंग्रेज़ी में afford शब्द दो अर्थों में प्रयोग होता है. afford मतलब क्रय शक्ति और afford मतलब समय निकालना. यानि धन और समय का होना कहीं एक ही पलड़े में तौला गया है.
इस हिसाब से बिज़नसमैन गरीब ही कहलायेगा, चाहे अरबपति हो तो भी. चूँकि वो तो रहेगा ही बिजी. बिजनेसमैन. कहते भी हैं कि एम्प्लोयी आठ घंटे काम करता है लेकिन एम्लोयर चौबीस घंटा काम करता है. इन अर्थों में जो चौबीस घंटे काम करे, जिसके पास खिलते फूल, हंसते बच्चे, उगते सूरज को देखने का समय न हो वो तो महा-फटीचर हुआ. होता रहे अरबपति.
और ध्यान रहे ये जो वकील, डॉक्टर, प्रोपर्टी डीलर, चार्टर्ड-अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट, कैटरर या कोई भी व्यस्त नज़र आयें आपको बहुत ज़्यादा, तो इनसे दूर ही रहना.
यह मत सोचना कि ये लोग व्यस्त हैं तो निश्चित ही अपने काम के माहिर होंगे और इनकी महारत आपके भी काम आयेगी. नहीं आयेगी. ये असली व्यस्त हो सकते हैं, नकली व्यस्त हो सकते हैं, ये माहिर हो सकते हैं, नहीं भी हो सकते हैं. बाज़ार में नकली सिक्के भी चल निकलते हैं कई बार. जब Dhinchak पूजा चल सकती है तो कोई भी चल सकता है.
तो बन्दा/ बंदी वो पकड़ो भाई लोग, जिस के पास आपके लिए समय हो. महारत देख लो जितनी देख सकते हो लेकिन पहले समय देखो कि समय उसके पास है कि नहीं आपके लिए. अगर नहीं है तो ऐसे व्यक्ति की महारत भी आपके तो काम आने वाली है नहीं.
और मेरा संदेश व्यस्त बन्धु-गण को भी है. अंग्रेज़ी का afford शब्द याद रखें, अगर बहुत बिजी हैं आप तो गरीब हैं, पैसे होते हुए भी और आपका बहुत बिजी होना, खुद को बिजी दिखाना कोई प्लस नहीं माइनस पॉइंट है जनाब/ मोहतरमा.
नमन....तुषार कॉस्मिक
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