Sunday 20 February 2022

आखिरी मकसद

मेरे छोटे-बड़े कई लेख हैं. 900 से भी ज़्यादा. सब ऑनलाइन. क्या है मकसद? क्या अपने विचार, अपनी सोच को थोपना मकसद है मेरा? नहीं. कतई नहीं.  मकसद एक बहस खड़ी करना है. हर छोटे-बड़े मुद्दे पर. लेकिन यह आखिरी मकसद नहीं है. अंतिम उद्देश्य है बहस करने वाला मनस खड़ा करना. लॉजिकल. सतर्क. तार्किक मनस. यह है मेरा उद्देश्य. बस. यदि मनुष्य तर्कपूर्ण है, सतर्क है तो हल खुद ढूँढ लेगा. किसी और के दिए हल वैसे भी ज़रूरी नहीं आप के काम आयें. और कुरान, पुराण, ग्रन्थ के हल तो बिलकुल नहीं.  चूँकि वहाँ तो अंध-श्रधा जुड़ी रहती है. तर्क तो जूते के साथ पहले ही बाहर रख छोड़ा होता है. मुझे इस मनस को नष्ट-भ्रष्ट करना है. मुझे सतर्क मनुष्य चाहिए. ~ तुषार कॉस्मिक

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