"वो मेरा दोस्त है." ~ गुप्ता जी कौशिक के घर से निकलते हुए बोले.
"लेकिन वो तो आपको तू-तडांग कर रहे थे." ~ मैंने कहा.
"दोस्त है, कोई बात नहीं, चलता है."
"लेकिन आप तो उन को आप- आप , जी-जी कर रहे थे?"
"यारी-दोस्ती में सब चलता है..."
"झूठ बोल रहे हैं, गुप्ता जी. यदि वो आप का दोस्त होता तो आप भी उसे तू- तडांग ही कर रहे होते. या शायद गाली-गलौच भी. बराबर का."
"क्या आप कर सकते हैं ऐसा?"
"नहीं."
"तो मान जाइए न कि आप के लिए कौशिक सिर्फ एक क्लाइंट है, मोटा क्लाइंट, जिस की जी-हजूरी करना आप की खुद की ओढी हुई मजबूरी है."
तुषार कॉस्मिक
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