Tuesday, 10 January 2017

इन्सान सबसे ज़्यादा बुद्धिमान प्राणी समझा जाता है. है क्या?

शर्लाक होल्म्स जिस समय में दिखाए गए हैं , लन्दन की सड़कों पर घुड-गाड़ियाँ चलतीं थी.  बग्घियां. समस्या एक ही  रहती थी. सड़कों पर लीद ही लीद हो जाया करती.

फिर कार, स्कूटर आदि इन्वेंट हो गए. लोगों ने सुख की सांस ली. लेकिन जल्द ही अगली समस्या आ गई. सब तरफ वायु प्रदूषण फैलने लगा. 


दिल्ली में गाँव अधिकांश हरियाणा के जाटों के हैं. जाट हैं या कौन हैं मालूम नहीं, लेकिन कहते सब खुद को जाट हैं.  मैं तो नहीं मानता जात-पात-जाट-पाट को लेकिन अगले मानते हैं. बड़ा दबदबा है इनका. कोई चूं नहीं कर पाता इनके इलाकों में. किरायेदार इनके नाम से ही मकान-दूकान खाली कर जाते हैं. इनसे लिया कर्ज़ा कोई मार नहीं सकता. लेकिन दबदबे का एक नुक्सान भी है इनको. इनके इलाकों में ज़मीन की कीमत कभी उतनी नहीं रहती जितनी होनी चाहिए.  जल्दी से कोई बाहर का व्यक्ति इन गाँवों  में प्रॉपर्टी लेना पसंद नहीं करता. 


ट्रैफिक जाम जानते हैं कैसे होते हैं? सयाने लोग अपनी साइड छोड़ सामने से आने वाले वाहनों की साइड में चलने लगते हैं. ज़्यादा सयाने हैं न. बेवकूफ तो वो होते हैं जो अपने हाथ ही रहते हैं और धीरे-धीरे सरकते हैं. ये सयाने न सिर्फ अपनी साइड का ट्रैफिक जाम कर देते हैं बल्कि सामने से आने वालों को भी जाम कर देते हैं. बंटाधार.


इन्सान सबसे ज़्यादा बुद्धिमान प्राणी समझा जाता है. है क्या? मुझे शंका है. गहन.

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