किसी भी राजनेता के विपक्ष में लिखने से कुछ नहीं होगा, चाहे मोदी हो, चाहे राहुल गांधी, चाहे केजरीवाल. हम फेसबुक टीपते रह सकते हैं लेकिन खेल इन्ही के हाथ में रहेगा. एक जाएगा, दूसरा आएगा. या तो विकल्प बनाओ या बनो. खुद बनते हो तो बढ़िया, वरना बनाओ. मैं तैयार हूँ बनने को. स्टार्ट-up फिनान्सर ढूंढिए. करोड़ों लगेंगे. दिल्ली से शुरू करते हैं. अपने हाथ से खर्च करें. कुछ और हो न हो, मुल्क का निश्चित ही भला होगा, यह गारंटी है.

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