खुद की जय करें. बेबाक.

आपको बता दिया गया कि खुद की प्रशंसा  नहीं करनी चाहिए. अपने मुंह मियां मिट्ठू नहीं बनना. और आप अपना गुण बताना गुनाह मानने लगे.

बात काफी कुछ सही है, खुद को हर कोई तीस क्या, तीस करोड़-मारखां ही समझता है. 


लेकिन एक पहलु और भी है. हम अक्सर अपनी वो क्वालिटी भी प्रदर्शित करने में या कहने में झिझकने लगते हैं जो कि वाकई हम में हैं, इस डर से कि हमें घमंडी न मान लिया जाए.

मेरा मानना यह है कि पहले एक तृतीय व्यक्ति की तरह, थर्ड परसन की तरह की खुद के गुण-अवगुण आंकें. निष्पक्ष अवलोकन. है तो मुश्किल, लगभग असम्भव, लेकिन फिर भी कोशिश करें. और फिर अगर खुद में कुछ भी काबिल-ए-तारीफ़ पाएं तो उसे बताने में, कहने में मत चुकें. समझने दें, जिसे जो समझना हो.

दूसरों की जय से पहले, खुद की जय करें. बेबाक़.


चैलेंज करे कोई तो अपना पक्ष मजबूती से रखें.

That-is-it.

सिखाया तो यह भी गया था कि सदा सच बोलें लेकिन भगत सिंह से अंग्रेज़ों ने साथियों का पता पूछा हो तो सच बोलना चाहिए उनको?

बचपन में बहुत कुछ अंट-शंट सिखाया गया है.  मौका है सफाई का. झाड़-झखाड-उखाड़ का.

मेरे साथ रहें, खुददे काफी कुछ उड़ जाएगा, बाकी आप खुद इतने सक्षम हो जाएंगे कि आगे धूल धुलती रहे.

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