दुनिया कैसे बदलती है

दुनिया-जहाँ की बकवास करता है राजनेता कि  समाज में जो बेहतरी हो रही है उसी की वजह से है.

होता विपरीत है. राजनेता ही वजह है कि समाज में जो बेहतरी आ सकती है, वो या तो आती नहीं या बरसों, दशकों लटक जाती है.  
अभी ज़्यादा पुरानी  बात नहीं है, कंप्यूटर शिक्षा का विरोध कर रहे थे बिहार के बड़े नेता.

एक पुल  बन कर तैयार होता  है, उद्घाटन नेता कर आता है. न तो पैसा नेता का है, न पुल  बनाने की तकनीक नेता की है. और जो पुल  दस साल पहले बनना चाहिए था, वो आज उद्घाटित हो रहा है, उस देरी  की  जो कु-ख्याति  नेता को मिलनी  चाहिए थी, उसकी बजाए नेता सारा श्रेय अपनी झोली में डाल  लेता है. 

बिजली का आविष्कार  हुए सालों हो गए, आज तक बहुत से गाँवों में बल्ब नहीं जला . यह है राजनेता की मेहनत का फल. वो बीच में न होता तो यह काम कब का हो चुकता. असल में तो तुरत हो जाना चाहिए था. 

खैर, एक मिसाल देता हूँ भविष्य की. एक छोटी दिखने वाली इन्वेंशन कैसे दुनिया बदल सकती है, समझ आना चाहिए. 

आपको पता ही होगा हाइब्रिड कारें आ चुकी हैं.  ये बैटरी पर भी चलती हैं और पारम्परिक ईंधन पर भी. 

बैटरी चार्ज करने में समय लगता है और बिजली भी. 

आपको मोबाइल फ़ोन घण्टों चार्ज करना पड़ता है. ठीक. 
खबर आम है कि  जल्द ही ऐसा होने वाला है कि  फ़ोन मिनटों में चार्ज हो जाएंगे.

मेरा मानना है कि ऐसा हो ही जाएगा. वक्ती बात है बस. न सिर्फ मोबाइल फ़ोन, बल्कि हर चीज़ जो चार्जिंग मांगती है, वो ऐसे ही चार्ज होगी. मिनटों में. 

और यह छोटी से दिखने वाली खोज दुनिया में गहरे राजनीतिक  और सामाजिक बदलाव लाएगी. कैसे? बताता हूँ. 

दुनिया की पेट्रोल-डीज़ल की ज़रूरत तेज़ी से घटेगी, प्रदूषण घटेगा और साथ ही अरब मुल्कों की पेट्रो-डॉलर ताकत घटेगी और फिर घटेगा इनका दखल यूरोप और अमेरिका और बाकी कई मुल्कों में, जहाँ  ये इस्लाम फैलाने की फिराक में हैं. 

इस आविष्कार के चलते दुनिया में बहुत कुछ बदलेगा, बेहतरी आएगी और सारा श्रेय, सारा क्रेडिट ले जाएगा आपका राजनेता, जिसे कक्ख नहीं पता कि यह सब हो क्या रहा है, होगा कैसे.  

खैर, नक्कार-खाने में एक बार फिर से तूती  बजा चला हूँ.नमन... तुषार-कॉस्मिक 

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