FIR मतलब 'फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट '. लेकिन थानों में तो पूरी कोशिश की जाती है कि मामले को या तो लिखा ही नही जाए और अगर लिखा भी जाए तो रोज़नामचा में चढ़ा के निबटा दिया जाए. सो FIR फर्स्ट इनफार्मेशन तो कम ही मौकों पर साबित होती है. वो तो सेकंड या थर्ड इनफार्मेशन ही बनती है. परिभाषा बदलनी चाहिए. नहीं?
No comments:
Post a Comment