Monday, 12 December 2016

मैं आठवीं जमात तक अंग्रेज़ी सीख चुका था...लेकिन शेक्सपियर का लेखन मुझे समझ नहीं आता था........ भाषा समझ लेने का अर्थ यह बिलकुल नहीं कि हमने जो पढ़ा, वो हमें समझ आ ही गया.....हम कुछ का कुछ समझ सकते हैं....अर्थ का अनर्थ कर सकते हैं...व्यर्थ कर सकते हैं......मतलब आदमी अपने हिसाब से निकालता है जनाब. ऐसे मतलब जिनका लेखक के मतलब से कोई मतलब ही नहीं होता.

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