‘यन्त्रणा’

‘यन्त्रणा’. यह शब्द बहुत गहरा है. इसका शाब्दिक अर्थ है कष्ट , भयंकर कष्ट. लेकिन गहन अर्थ है यंत्र की भांति जीना. जैसे ही हम स्व-चैतन्य खो कर यंत्र हो जाते हैं, प्रोग्राम्ड हो जाते हैं तो जीवन यन्त्रणा हो जाता. इसकी पुलक खो हो जाती है. इसका असल खो जाता है. बहुत पहले "लैंडमार्क फोरम" नाम से वर्कशॉप अटेंड की थी. उसका निचोड़ यह था कि हम सब मशीन हैं, यंत्र हैं. उसका मतलब था कि हम सब का जीवन यन्त्रणा मात्र है.थोड़ा ध्यान से देखें, हम सब को समाज ने बचपन से ही यंत्र में तब्दील करने में कोई कसर नहीं छोडी. हमारे सब विचार किसी और के हैं. बस किसी और की फीडिंग. और हम समझ रहे हैं कि हम विचारशील है. यह ऐसे ही है जैसे एक रोबोट जिसका रिमोट किसी और के हाथ में हो, लेकिन वो गाता रहे, "मैं खुद-मुख्तार हूँ, मैं खुद-मुख्तार हूँ", जबकि उसे कभी पता ही न लगे कि यह जो वो गा रहा है कि वो खुद-मुख्तार है, वो भी बस फीडिंग है. वो गाना भी रिमोट-कण्ट्रोल से उससे गवाया जा रहा है. जब तक इस फीडिंग को नहीं तोडेंगे, जब तक इस यांत्रिकता से बाहर नहीं आयेंगे जीवन यन्त्रणा ही रहेगा.

Comments

Popular posts from this blog

Osho on Islam

RAMAYAN ~A CRITICAL EYEVIEW