Thursday, 22 December 2016

दरवाज़ा खोला.
सामने कोई जानने वाले थे.
बोले,"ही...ही...ही.....बस इधर से गुज़र रहे थे, सोचा आपसे मिलते चलें."
मैं, "ही...ही...ही.....सर, जब आप सिर्फ मुझ से मिलने आएं, तभी आपका स्वागत है. मैं बस यूँ ही मिलने वालों से नहीं मिलता, नमस्कार."

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