मैंने देखा है, इंसान अक्सर अपनी नाक से आगे नहीं देख पाता.
उस की सोच बहुत लंबी नहीं होती.
वो पास के तुरत फायदे के लिए भविष्य के बड़े और लगातार होने वाले फायदे को नज़र-अंदाज़ कर देता है.
वो सोने का अंडा रोज़ लेने के बजाए तुरत-फुरत लालच में मुर्गी की हत्या कर देता है.
दुनिया की आबादी करोड़ों में है, लेकिन आप/हम बस 100 या 1000 लोगों के सम्पर्क में ही आ पाते हैं.
और
उस में भी गहन सम्पर्क में चंद लोग ही रह जाते हैं. रिश्ते बना कर रखिये, जहाँ तक हो सके, अच्छे रिश्ते ता-उम्र काम आते हैं. ~तुषार कॉस्मिक
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