Monday 11 April 2022

NWO-New World Order

मैं और मेरे जैसे बहुत लोग को.Ro.ना को अंतर्राष्ट्रीय फ्रॉड मानते हैं. लिखते आ रहे हैं, बोलते आ रहे हैं. हमारी आवाज़ बहुत कमजोर है. मेन स्ट्रीम मीडिया में तो मेरे जैसे लोगों की आवाज़ है ही नहीं. सोशल मीडिया पर भी गला घोंटा जाता है. फेसबुक अकाउंट बंद किये जा रहे हैं. YouTube विडियो उड़ा दिए जा रहे हैं.  


खैर, पिछले अढाई साल से यह ड्रामा चलता आ रहा है. अढाई साल से हमारे जैसे लोगों ने भी बहुत लिखा है, बोला है. 


लोग हम से पूछते हैं, "भाई, अगर यह फ्रॉड है तो फिर इस के पीछे कोई तो एजेंडा होगा? कौन कर रहे हैं यह फ्रॉड?"


कोई बताते हैं कि पैसा कमाना मन्तव्य है. वैक्सीन बेचना. 


चलिए, जितना मुझे समझ आ रहा है, बताता हूँ.


इस के पीछे मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना है ही नहीं.


इस के पीछे मुख्य उद्देश्य है NWO. मतलब New World Order. और इस के पीछे हैं चंद अति-धनाडय लोग. जिन में से बिल गेट्स एक है. अमेरिका का हेल्थ मिनिस्टर डॉक्टर Fauci है और भी लोग हैं जो पर्दे के पीछे हैं. इन सब ने WHO की मदद से, सब राष्ट्राध्यक्षों की मदद से यह खेल खेला जा रहा है. 


उद्देश्य है, आम-जन के हकूक छीनना और NWO ( New World Order) लाना. 


चूँकि यह सब अंदाज़े हैं, तार्किक अंदाज़े हैं, लेकिन एक-दम क्लियर किसी को नहीं है. NWO में आम-जन को क्या हक़ मिलेंगे, क्या छिन जायेंगे, आबादी कितनी घटा दी जाएगी, कितनी बढ़ा दी जाएगी, सरकारें किस तरह से काम करेंगे? अभी किसी को ठीक-ठीक पता नहीं है.


लेकिन जिस तरह से कोरोना के नाम पर आम जन के कमाने, खाने, घर से बाहर निकलने, साँस लेने तक के हक़ छीन लिए गए, जिस तरह सरकारों ने आम लोगों को गृह-कारागार में डाल दिया, सो आगे आम इन्सान की आज़ादी आज जितनी रहेगी, इस पर गहन शँका है. 


खैर, NWO कोई नई चीज़ नहीं है. असल में तो हर सोचने-विचारने वाला व्यक्ति NWO की बात कर के गया है.


इस्लाम क्या है? इस्लाम क्या रोज़े, नमाज़, ईद, बकरीद ही है. नहीं. इस्लाम पूरी समाजिक व्यवस्था है. इस्लाम पूरी दुनिया के लिए एक व्यवस्था है. इस्लाम World Order है. 


Aldous Huxley ने कहानियां लिखी हैं, NWO पर. फिल्मों भी बनी हैं इन कहानियों पर.


ओशो को लोग आज भी गाली देते हैं. समझना तो बहत दूर की बात. ओशो ने भी नए समाज की बात की है. सिर्फ बात ही नहीं की.  नया समाज जीवंत कर के दिखा दिया. उन्होंने अमेरिका में ऑरेगोन नाम की जगह में एक पूरा शहर बसा दिया था. अपनी सडकें, अपना हेलिपैड, अपनी कारें. 5 साल वो दुनिया रही. 1981 से 1988 के बीच. मुझे लगता है पृथ्वी पर वैसा समाज शायद ही कभी बना हो. एक दम स्वर्ग. NWO था यह. 


आप मेरा लिखा यदि पढ़ते हैं तो समझते ही होंगे कि मैं धर्म, राजनीति, शिक्षा सब नकार देता हूँ. मैं तो असल में सारी ही सामाजिक व्यवस्था नकार देता हूँ.  तो फिर समाज कैसा हो? मैंने  कई लेख लिखे हैं कि नया समाज कैसा होना चाहिए. 


मुझे लगता है जिस तरह की दुनिया है, अतार्किक विश्वासों, अंध-विश्वासों में जिस तरह से दुनिया फँसी है,  NWO तो आना ही चाहिए लेकिन वो NWO कैसा होना चाहिए और कैसे लाना चाहिए, यह बहस का मुद्दा है.


क्या वो NWO हॉलीवुड फिल्म के विलन Thanos जैसा लाता है, वैसे लाना चाहिए? चुटकी मारी और आधी आबादी साफ़. 


क्या वो NWO को.Ro.ना जैसी नकली बीमारी दिखा के या कोई और नकली आपदा पैदा कर के लाना चाहिए?


तो मेरा जवाब है, "नहीं". ऐसा नहीं करना चाहिए.


NWO के लिए छद्म तरीके न अपना कर सीधे तरीके अपनाये जाने चाहियें. यदि आप अमिताभ बच्चन को वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए प्रयोग कर सकते हो तो आप आबादी कम करने के लिए भी प्रेरित कर सकते हो. आप नकली बीमारी का भ्रम फैला कर पूरी दुनिया में अफरा-तफरी मचा सकते हो तो आप कुछ भी कर सकते हो. यह Negative Approach है.


Positive Approach प्रयोग करो न.


आप को लगता है, यह जनतंत्र सही जनतंत्र नहीं है, इस में असल नायक, असल समाज वैज्ञानिक न आ कर आड़े-टेड़े लोग पॉवर में आ जाते हैं तो समझाओ, सुझाओ लोगों कि असल जनतंत्र कैसे आएगा.


आप को लगता है, लोग धर्मों में उलझे हैं, समझाओ लोगों कि धर्म उन के लिए कहाँ नुक्सान करते हैं-कहाँ फायदा करते हैं. तेज़ी से समझाओ, तमाम मडिया प्रयोग करो. बहस खड़ी करो. पूरी दुनिया को बहस का अखाड़ा बना दो. होने दो समुद्र-मंथन. निकलने दो विष. निकलेगा अमृत भी. तर्क-वितर्क की छलनी से सब मान्यताओं को गुज़रने दो. सब कचरा साफ़ होता चला जायेगा.


यह कोरोना जैसे चोर रास्ते मत करो अख्तियार. Thanos बनने की कोशिश मत करो. यह कामयाब होगा नहीं. अंततः ढह ढेरी होगा. अफरा-तफरी तो फैलाएगा लेकिन सफल नहीं होगा. हम होने ही नहीं देंगे. याद रखना. 


तुषार कॉस्मिक

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