भारतीय बहस से बहुत बचते हैं. ठीक भी है और गलत भी. ठीक इसीलिए चूँकि बहस लड़ाई में तब्दील हो जाती है. मन-मुटाव पैदा होता है. सम्भावना बहुत ज़्यादा है.
गलत इसलिए चूँकि बहस से ही सारा ज्ञान-विज्ञान पैदा होता है. बहस से बचने वाले समाज पिछड़ जाएंगे. बहस व्यक्ति दूसरों से ही नहीं, खुद से भी करता है. बहस से व्यक्ति की clarity बढ़ती है.
सो सन्तुलित किस्म की बहस को बढ़ावा देना ही चाहिए.
तुषार कॉस्मिक
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