सरकारी नौकरियाँ जितनी घटाई जा सकें, घटानी चाहियें

आम आदमी पार्टी बड़े गर्व से घोषित करती फिर रही है कि उस ने इत्ती..... नौकरियाँ पैदा कर दी हैं. इतने ....कच्चे नौकरों को पक्का कर दिया है.......

गर्व की बात है यह?

शर्म की बात है.
सरकारी नौकर जनता का नौकर नहीं, नौकर-शाह होता है, शाह....सरकार का जमाता.....रोज़गार देना सरकार का काम नहीं है भाईजान......सरकार का काम है कायदा -कानून बनाना और बनाये रखना, निजाम चलाना.

रोज़गार समाज ने खुद पैदा करना होता है. हाँ, सरकार यह ज़रूर देख सकती है कि किसी के साथ ना-इंसाफी न हो जाये, कुछ समाज के खिलाफ न हो जाये.
बस.

सरकारी नौकरियाँ जितनी घटाई जा सकें, घटानी चाहियें, काम ठेके पे देने चाहिए. काम करो, पैसे लो, छुट्टी. कोई पक्की नौकरी नहीं, कोई पक्की सैलरी नहीं, कोई भत्ते नहीं, कोई पेंशन नहीं. सब बोझ हैं समाज पर. ~ तुषार कॉस्मिक

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