Tuesday 5 April 2022

मेरी हल्की-फुलकी सी उद्घोषणा है

मैंने सुना, अम्बेडकर ने कहा था, "मैं हिन्दू घर में पैदा हुआ लेकिन हिन्दू मरूंगा नहीं." खैर, मैंने तो सब धर्मों से किशोर अवस्था में ही विदा ले ली थी. पंजाबी के महान कवि शिव बटालवी ने गाया था, "अस्सी जोबन रुत्त मरणा".और वो जवानी में मरे. मेरी हल्की-फुलकी सी उद्घोषणा है, "मेरी उम्र चाहे कितनी ही बढ़े, लेकिन मैं बुड्ढा हो के मरूँगा नहीं."~ तुषार कॉस्मिक

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