रिटायर्ड लोग, ख़ास सरकारी नौकरे से रिटायर्ड लोग, मैं देखता हूँ रिटायरमेंट के बाद का जीवन सम्भाल ही नहीं पाते.

रिटायर्ड लोग, ख़ास सरकारी नौकरे से रिटायर्ड लोग, मैं देखता हूँ रिटायरमेंट के बाद का जीवन सम्भाल ही नहीं पाते. एक सज्जन की अच्छी खासी जॉब थी, रिटायर हुए, कुछ पैसा बिज़नस में गंवा दिया चूँकि दुनियादारी की ट्रेनिंग ही न थी. हसंते-खेलते थे, अब ऐसे हो गए जैसे गुब्बारे में से हवा निकल गयी हो. एक सज्जन अच्छे-खासे हट्टे-कट्टे हैं, लेकिन मजाल रिटायरमेंट के बाद चवन्नी कमा के देखी हो. दुनिया जहां की फ़िज़ूल इनफार्मेशन इन के पास होती है. किस आदमी का चक्कर किस जनानी के साथ है, किस की बीवी किस के साथ सेट है, सब पता है. नाम अब्दुल है मेरा, सब की खबर रखता हूँ.

रिटायर लोगों को गाने, बजाने, नाचने, अभिनय या फिर कोई भी और कला की ट्रेनिंग देनी चाहिए ताकि ये लोग आलतू-फ़ालतू बकवास-बाज़ी में न पड़ के समय का सदुपयोग कर सकें. या फिर इन को नाई, हलवाई, कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन, पेंटर जैसे कामों की ट्रेनिंग देनी चाहिए ताकि ये लोग यदि कुछ कमाना चाहें तो हाथ-पैर चला कमा भी सकें. ~ तुषार कॉस्मिक

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