मुस्लिम जब हज करते हैं तो शैतान को पत्थर मारते हैं.
असल में यह शैतान भी एक पत्थर ही है. जब पत्थर भगवान नहीं हो सकता तो शैतान कैसे हो सकता है? और यदि पत्थर शैतान हो सकता है तो भगवान क्यों नहीं?
तुम पत्थर को शैतान समझ मारो, वो ठीक, और जो पत्थर को शिवलिंग, हनुमान, पिंडी देवी समझ पूजे वो गलत?
कमाल!
तुषार कॉस्मिक
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