Friday, 3 July 2015

सेक्स

!!चूतिया!!
अक्सर बहुत से मित्रवर "चूतिया, चूतिया" करते हैं, "फुद्दू फुद्दू" गाते हैं....गाली भई.....
लेकिन तनिक विचार करें असल में हम सब "चूतिया" हैं और "फुद्दू" है, सब योनि के रास्ते से ही इस पृथ्वी पर आये हैं, तो हुए न सब चूतिया, सब के सब फुद्दू.....
और हमारे यहाँ तो योनि को बहुत सम्मान दिया गया है, पूजा गया है.....जो आप शिवलिंग देखते हैं न, वो शिव लिंग तो मात्र पुरुष प्रधान नज़रिए का उत्पादन है, असल में तो वह पार्वती की योनि भी है, और पूजा मात्र शिवलिंग की नहीं है, "पार्वती योनि" की भी है
हमारे यहीं असम में कामाख्या माता का मंदिर है, जानते हैं किस का दर्शन कराया जाता है, माँ की योनि का, दिखा कर नहीं छूया कर...
और हमारे यहाँ तो प्राणियों की अलग अलग प्रजातियों को योनियाँ माना गया है, चौरासी लाख योनियाँ, इनमें सबसे उत्तम मनुष्य योनि मानी गयी है.....योनि मित्रवर, योनि
और यहाँ मित्र चूतिया चूतिया करते रहते हैं



जब वैराग्य होने लगे तो वियाग्रा प्रयोग कर सकते हैं, व्यग्र हो जायेंगे.

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