भविष्य एक नज़र---
संचार क्रांति ही वाहन बनेगी विचार क्रांति की
अभी अधिकांशतः चबा चबाया माल सरकाया जा रहा है
या फिर आशिकी की जाती है
लेकिन जल्द ही दुनिया बदलेगी इन्टरनेट की वजह से
कोई नहीं रोक पायेगा
विचारों के प्रवाह को अब कोई नहीं रोक पायेगा
जल्द ही दुनिया में वो होगा जो आज तक न हुआ है
सब ढाँचे टूट जायेंगें
सब सभ्यताएं ढह ढेरी हो जायेंगी
वो जो फिल्मों में दिखाते हैं न...कि सब बर्बाद हो गया...वो सब होने वाला है..लेकिन शुभ के लिए
बहुत कूड़ा है इकट्ठा
सब बहने वाला है
शुभ के लिए
"मानवीय भविष्य"
काटजू जैसे लोग मूर्ख हैं जो सर्व धर्म सामंजस्य जैसे प्रयास कर रहे हैं......रोज़ा इफ्तार में अन्य धर्मों के लोगों को सम्मिलित कर रहे हैं....इनको वहम है कि अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोग आपस में शांति से रह सकते हैं.....पंजाब के मलेर कोटला की मिसाल देते हैं, किसी मुस्लिम ने हिन्दू बच्चे गोद ले लिए उसकी मिसाल देते हैं......अरे, सब अपवाद हैं और अपवाद नियम को साबित करते हैं
कभी हिन्दू घरों की सुनो, बच्चों को बताया जाता है....मुस्लिम उलटे हैं, सब काम उलटे करते हैं...नमन पश्चिम में करते हैं, हाथ उलटे धोते हैं, रोटी उलटे तवे की खाते हैं, हम गाय पूजते हैं, ये गाय खाते हैं.
ये मेल मिलाप होगा?
मेल मिलाप होना था तो अलग ही क्यों हैं...हिन्दू हिन्दू क्यों है और मुस्लिम मुस्लिम मुस्लिम क्यों?
कुदरत ने तो कोई अलग अलग पैदा नहीं किये....अलग अलग हैं ही क्यों?
क्योंकि अलग अलग किये गए हैं....अब लगे रहो मेल मिलाप कराने....न हुआ है..न होगा....ऊपरी तौर पर होता दिख सकता है....भीतर से न हुआ, न होगा
इतिहास नहीं देखेंगे ....लाल है धर्मों के प्रेम की वजह से.....बारूद का ढेर हैं यह सब धर्म.......
भविष्य शांत होगा तो इन सबकी चिता पर न कि इनके मेल मिलाप पर....
इडियट!
दूसरों को इडियट कहना आसान है....मेरा खुला चैलेंज है ...कर लें मुझ से बहस जब मर्ज़ी
संचार क्रांति ही वाहन बनेगी विचार क्रांति की
अभी अधिकांशतः चबा चबाया माल सरकाया जा रहा है
या फिर आशिकी की जाती है
लेकिन जल्द ही दुनिया बदलेगी इन्टरनेट की वजह से
कोई नहीं रोक पायेगा
विचारों के प्रवाह को अब कोई नहीं रोक पायेगा
जल्द ही दुनिया में वो होगा जो आज तक न हुआ है
सब ढाँचे टूट जायेंगें
सब सभ्यताएं ढह ढेरी हो जायेंगी
वो जो फिल्मों में दिखाते हैं न...कि सब बर्बाद हो गया...वो सब होने वाला है..लेकिन शुभ के लिए
बहुत कूड़ा है इकट्ठा
सब बहने वाला है
शुभ के लिए
"मानवीय भविष्य"
काटजू जैसे लोग मूर्ख हैं जो सर्व धर्म सामंजस्य जैसे प्रयास कर रहे हैं......रोज़ा इफ्तार में अन्य धर्मों के लोगों को सम्मिलित कर रहे हैं....इनको वहम है कि अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोग आपस में शांति से रह सकते हैं.....पंजाब के मलेर कोटला की मिसाल देते हैं, किसी मुस्लिम ने हिन्दू बच्चे गोद ले लिए उसकी मिसाल देते हैं......अरे, सब अपवाद हैं और अपवाद नियम को साबित करते हैं
कभी हिन्दू घरों की सुनो, बच्चों को बताया जाता है....मुस्लिम उलटे हैं, सब काम उलटे करते हैं...नमन पश्चिम में करते हैं, हाथ उलटे धोते हैं, रोटी उलटे तवे की खाते हैं, हम गाय पूजते हैं, ये गाय खाते हैं.
ये मेल मिलाप होगा?
मेल मिलाप होना था तो अलग ही क्यों हैं...हिन्दू हिन्दू क्यों है और मुस्लिम मुस्लिम मुस्लिम क्यों?
कुदरत ने तो कोई अलग अलग पैदा नहीं किये....अलग अलग हैं ही क्यों?
क्योंकि अलग अलग किये गए हैं....अब लगे रहो मेल मिलाप कराने....न हुआ है..न होगा....ऊपरी तौर पर होता दिख सकता है....भीतर से न हुआ, न होगा
इतिहास नहीं देखेंगे ....लाल है धर्मों के प्रेम की वजह से.....बारूद का ढेर हैं यह सब धर्म.......
भविष्य शांत होगा तो इन सबकी चिता पर न कि इनके मेल मिलाप पर....
इडियट!
दूसरों को इडियट कहना आसान है....मेरा खुला चैलेंज है ...कर लें मुझ से बहस जब मर्ज़ी
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