परिवार- एक खतरनाक कांसेप्ट
हमारे समाज में कहीं-कहीं आज भी पिता को ‘चाचा’ और माँ को ‘भाभी’ और ‘झाई’ (जो 'भरजाई' का अपभ्रंश है जिसका मतलब भाभी होता है) बुलाया जाता है. यह सब निशानियाँ हैं उस ज़माने की जब परिवार नामंक संस्था या तो थी नहीं और थी तो ढीली-ढाली थी. परिवार आया है निजी सम्पत्ति के कांसेप्ट से, और निजी सम्पति का कांसेप्ट आया है खेती से. शुरू में आदमी हंटर गैदरर (Hunter Gatherer)था. जो कुदरत ने उगाया खा लिया या फिर जानवर मार कर खा लिए. फिर उसे खेती की समझ ज गी. उसके साथ ही खेती लायक ज़मीन की समझ पैदा हुई. और यहीं से ज़मीन पर कब्ज़े का कांसेप्ट शुरू हुआ. निजी ज़मीन-जायदाद का कांसेप्ट. फिर उसके उतराधिकार का कांसेप्ट. अंग्रेज़ी का शब्द है ‘हसबंड’, जो ‘हसबेंडरी/ Husbandry’ से आया है, जिसका अर्थ है खेती-बाड़ी. खेती-बाड़ी से ही हसबंड-वाइफ, पति-पत्नी का कांसेप्ट जन्मा है. सारा कल्चर "एग्रीकल्चर" पर खड़ा है. फिर “कंट्री” का कांसेप्ट पैदा हुआ. कुछ परिवार जहाँ एक स्थान पर इकट्ठा रहते थे, उसे “कंट्री” कहा जाने लगा. अंग्रेज़ी में आज भी कंट्री शब्द गाँव के लिए प्रयोग होता है. बाद में कहीं कंट्री शब्द र...