तुम ने इस्लाम कबूला है या कोई जुर्म?
क्या तुम ने डाकुओं की फिल्में देखी हैं? दगड़-दगड़ घोड़े दौड़ रहे हैं. पीठ पर डाकू बैठे हैं. लेकिन मुंह पर कपड़ा भी बाँधे हैं. क्यों? ताकि पहचान में न आ सकें. इस्लाम गिरोह की तरह काम करता है. इस में पर्दे का बहुत रिवाज़ है. औरतों के मुंह छुपाये जाते हैं. बस आँखें छोड़ सब ढक दो. वो भी देखने के लिए खुली रहनी ज़रूरी हैं, नहीं तो वो भी ढक देते. ISIS याद है. सीरिया तहस-नहस हुआ था. फोटो देखे होंगे. उन्ही दिनों ये लोग कत्ले-आम मचाये हुए थे. लोगों को पिंजरे में डाल जिंदा जला दिए थे, यज़ीदी लड़कियों के लगातार बलात्कार हुए थे. कईयों की गर्दनें उतार दीं थी, कईओं को लाइन से गोलियों से भून दिया गया था. याद होगा, वीडियो मिल जाएंगे यूट्यूब पर देख लेना. नोट करने की बात यह थी कि जो लोग यह सब कर रहे थे, उन्होंने अपने चेहरे छुपा रखे थे. भई, इतना ही शुभ काम कर रहे हो तो, पर्दे के पीछे काहे छुप रहे हो? मुस्लिम सिर्फ कपड़े के पीछे ही नहीं छुपते, नाम भी छुपाते हैं. दिलीप कुमार, मधु बाला, अजीत और न जाने कितने ही एक्टर रहे हैं हिंदी फिल्मों में जो असल में मुस्लिम थे लेकिन हिन्दू नामों के पीछे छुप गए. आज भी योगी ने जब अप...