जो भी मुस्लिम इस्लाम छोड़ना चाहते हों, उन के लिए गैर-मुस्लिम सरकारों को आश्रय-स्थल बनाने चाहियें. हालाँकि इस्लाम छोड़ने वाले मुस्लिम को पॉलीग्राफ और नार्को जैसे से गुज़ार कर पक्का कर लेना ज़रूरी है कि वो वाकई इस्लाम छोड़ रहे हैं, अपनी समझ से और अपनी मर्ज़ी से इस्लाम छोड़ रहे हैं. मुझे लगता है कि मुस्लिम की एक बड़ी तादाद जो इस्लामी समाजों में फंसी है, वो बाहर आयेगी और इस तरह इस्लाम के पास जो तादाद की ताकत है वो घटेगी. दुनिया में शांति बहाली की तरफ यह एक बड़ा कदम होगा. अमनो-चैन बढ़ेगा, ज्ञान-विज्ञान बढ़ेगा.
Thoughts, not bound by state or country, not bound by any religious or social conditioning. Logical. Rational. Scientific. Cosmic. Cosmic Thoughts. All Fire, not ashes. Take care, may cause smashes.
Tuesday, 17 August 2021
देसी
ये जो तुम विदेशी नस्ल के रंग-बिरंग-बदरंग कुत्ते रखते हो, तुम इडियट हो. देसी कुत्ते रखो, रखने हैं तो.लोकल. ये यहाँ के जलवायु के हिसाब से कुदरत ने घड़े हैं.
असीमित धन खतरनाक है दुनिया के लिए
लोहा ज़्यादा काम आता है या सोना? सोना एक पिलपिल्ली सी धातु है. शुद्ध रूप में जिसका गहना तक नहीं बनता. लेकिन सबसे कीमती मान रखा है मूढ़ इन्सान ने इसे. यह सिर्फ मान्यता है और कुछ नहीं. वरना गहने तो लक्कड़, पत्थर, लोहा, स्टील किसी के भी बनाये जा सकते हैं, पहने जा सकते हैं. आप देखते हो आदिवासी, वो ऐसे ही गहने पहनते हैं. हिप्पी किस्म के लोग भी ऐसे ही पहन लेते हैं. मैं खुद ऐसे गहने पहनता रहा हूँ. अब भी चांदी पहनता हूँ.
"ईद मुबारक"
मुझे कोई महान आत्मा ने दर्शन दे कर बताया कि बकरीद हिन्दुओं से प्रेरित है चूँकि बकरी को संस्कृत में अजा कहते हैं और बकरीद को ईद-उल-अजहा कहा जाता है.
ईशनिंदा (Blasphemy) क़ानून और इस्लाम
8 साल के हिन्दू बच्चे को ईशनिंदा (Blasphemy) क़ानून में धर लिया गया है. सर धड़ से अलग कर देने तक का कानून है. मतलब आप मोहम्मद, इस्लाम और कुरान के खिलाफ बोल नहीं सकते, आप को कुछ गलत दिख रहा हो, गलत महसूस हो रहा हो, तब भी नहीं. यह सोच को जंजीरों में बांधना नहीं तो क्या है? मेरा इस्लाम के विरोध का एक बड़ा कारण यह भी है. इस्लाम वैचारिक घेरा-बंदी कर देता है, जो मुझे हरगिज़ गवारा नहीं. ...तुषार कॉस्मिक
बाबरी विध्वंस- मुस्लिम का चुनिन्दा दुःख
भोंग, रहीम यार खान, पाकिस्तान .....दिन दिहाड़े हिन्दू मंदिर तोड़ दिया गया. मुसलामानों द्वारा चंद दिन पीछे. क्या कोई हाय-तौबा मची दुनिया में? लेकिन बाबरी मस्जिद, जो सिर्फ एक बचा-खुचा ढांचा भर था मस्जिद का, उसे तोड़ दिया गया तो आज तक मुस्लिम को दर्द है. अफगनिस्तान में बामियान नामक बुद्ध की मूर्तियाँ डायनामाइट लगा कर उड़ा दी मुस्लिम ने , लेकिन बाबरी तोड़े का दर्द है मुस्लिम को. कुतुबमीनार की मस्जिद कोई साठ-सत्तर जैन मंदिर तोड़ बनाई गयी, लेकिन बाबरी तोड़े जाने का मलाल है मुस्लिम को. अजमेर में अढाई दिन का झोंपड़ा नामक की अधूरी मस्जिद भी मंदिर तोड़ कर बनाई गयी, लेकिन बाबरी तोड़े जाने का दुःख है मुस्लिम को. गुड.. वैरी गुड.....
इस्लाम का मुकाबला कैसे करें
इस्लाम को उखाड़ने के लिए कुरान और हदीस उखाड़ो....मुस्लिम जम नहीं पायेंगे ...और लिब्रांडू किस्म के लोगों से बहस मत करो ....मुस्लिम पर भी मेहनत न करो...बाकी गैर-मुस्लिम तक संदेश पहुँचाओ...उसे समझाओ कि इस्लाम क्या है...बिना गैर-मुस्लिम की सपोर्ट के इस्लाम जम नहीं पायेगा भारत में और यह भी ध्यान रखो कि मुस्लिम हर सम्भव कोशिश करता है कि वो बिज़नस मुस्लिम को ही दे...वो कमाता गैर-मुस्लिम से है खर्च मुस्लिम समाज में करता है ताकि उस का अपना समाज समृद्ध हो......वो जान-बूझ बच्चे पैदा करता है ताकि उसे सियासत में ताकत मिले.....वो हलाल मटन इसलिए नहीं खाता कि उसे अलग ढंग से काटा गया होता है, वैसा गैर-मुस्लिम भी काटेगा तो भी वो गैर-मुस्लिम से नहीं खरीदेगा.....वो रोटी-बेटी का रिश्ता सिर्फ मुस्लिम से रखता है...समझाओ, यह सब समझाओ गैर-मुस्लिम को.जितना जल्दी समझाओ उतना अच्छा.
लीला और लीलाधर
मेरा कोई यकीन नहीं कि इस कायनात को बनाने-चलाने वाला कायनात से अलग कुछ है. नर्तक नृत्य में है, एक्टर एक्टिंग में है. खिलाड़ी खेल में ही मौजूद है. लीलाधर लीला में ही है. लीलाधर और लीला अलग नहीं है...... लीलाधर ने हमें freewill और intelligence की गिफ्ट दे कर पशु से अलग किया है. अब हम पाश में बंधे नहीं हैं. हम स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं. लीलाधर हमारे निर्णय और उन निर्णयों से उपजे फलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करता. सो सब प्रार्थना, अरदास, नमाज़ व्यर्थ है. लेकिन मैं जूता ठीक करवाता हूँ तो मोची को नमन करता हूँ, खाना खाता हूँ तो खाने को हाथ जोड़ता हूँ, राह चलते किसी माता को कोई छोटे-मोटे पैसे देता हूँ तो हाथ जोड़ नमन भी करता हूँ, डिस्ट्रिक्ट पार्क में Workout करने जाता हूँ, तो आते-जाते पार्क को झुक के नमन करता हूँ. गाली-गलौच लिखता हूँ, लेकिन फिर भी आप सब को नमन करता हूँ.....तुषार कॉस्मिक
सब से आगे होंगें हिन्दुस्तानी-- सच में क्या?
"झंडा ऊंचा रहे हमारा ......
धर्म/रिलिजन/पन्थ ये सब शब्द विदा करने योग्य हैं.
मैं अक्सर लिखता हूँ कि सब धर्म बकवास हैं, बस इस्लाम सब से बड़ी बकवास है तो जवाब में ज्ञानीजन समझाते हैं मुझे कि नहीं, नहीं, मुझे धर्म शब्द प्रयोग नहीं करना चाहिए. मुझे रिलिजन शब्द प्रयोग करना चाहिए, मुझे मज़हब शब्द प्रयोग करना चाहिए. धर्म अलग है, रिलिजन, मज़हब, पन्थ अलग है. धर्म जीवन पद्धति है, रिलिजन, पन्थ, मज़हब बस पूजा पद्दति हैं.