Posts

Showing posts from January, 2022

Zepto से डिलीवरी मंगवाने की जगह अपने इलाके के परचून वालों से डिलीवरी लें. क्यों?

मेरा मानना है कि धन का कुछ ही हाथों में एकत्रित होना खतरनाक है. इसका विकेंद्री-करण होना चाहिए. छोटे और मझोले उद्योग और व्यापारों को जितना हो सके सहयोग दें. प्रयास करें कि रिलायंस फ्रेश की जगह फेरी वालों से सब्ज़ी खरीदें. Zepto से डिलीवरी मंगवाने की जगह अपने इलाके के परचून वालों से डिलीवरी लें. जहाँ तक हो सके बड़ी कम्पनियों को काम न दें. आज आप अपने गली-मोहल्ले वालों को काम देंगे, कल वो आप को काम देंगे. एक मिसाल देता हूँ, मैंने हमेशा बिजली-पानी के बिल नवीन को भरने के लिए दिए. वर्षों से. वो दस-पन्द्रह रुपये प्रति बिल लेते हैं. जब मैं ऑनलाइन पेमेंट कर सकता हूँ, उस के बावज़ूद. उन को काम मिला मुझ से. मुझे काम मिला उन से. उन्होंने तकरीबन सत्तर लाख का एक फ्लोर लिया मेरे ज़रिये. और जिन का वो फ्लोर था उन्होंने आगे डेढ़ करोड़ रुपये का फ्लैट लिया मेरे ज़रिये. इस तरह कड़ी बनती चली गयी. नौकरी-पेशा कह सकते हैं कि हमें क्या फर्क पड़ता है. फर्क पड़ता है. दूसरे ढंग से फर्क पड़ता है. समाज को कलेक्टिव फर्क पड़ता है. यदि हम कॉर्पोरेट को सहयोग देंगे तो सम्पति धीरे-धीरे चंद हाथों चली जाएगी. जो अभी काफी हद तक जा ही चुकी ...

मोक्ष

 मुझे लगता है मोक्ष की कामना ही इसलिए रही होगी कि जीवन अत्यंत दुःख भरा रहा होगा. एक मच्छर. "एक मच्छर साला हिजड़ा बना देता है." कुछ सदी पहले का ही जीवन काफी मुश्किलात से भरा रहा होगा.. "ये जीना भी कोई जीना है लल्लू." सो मोक्ष. "वरना कौन जाए जौक दिल्ली की गलियां छोड़ कर." ज़िन्दगी ऐसी रही होगी जिसमें ज़िंदगी होगी ही नहीं. बेजान. वरण ठंडी नरम हवा, बारिश की बूँदें, नदी की लहरें, समन्दर का किनारा, पहाड़ी पग-डंडियाँ...इतना कुछ छोड़ कर कौन मोक्ष की कामना करेगा?~ तुषार कॉस्मिक

को.रो.ना.....शिकंजा

 मैं रोज़ तुम्हें आगाह करता हूँ. शिकंजा धीरे-धीरे तुम पर कसता जायेगा. और कुछ नहीं कर सकते तो बीच -बीच में सब ग्रुप्स में मेरा लेखन या मेरे जैसा लेखन पोस्ट करो

मन तन से बड़ा फैक्टर है इंसानी सेहत में

पुनीत राज कुमार औऱ एक कोई औऱ एक्टर मर गया.शायद जिम में. तो लोग बोले कसरत करने का कोई फायदा है ही नहीं.भले चंगे जवान लोग जिम में मर जाते हैं. कोई बोला ओवर एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिये.कोई बोला ये जिम जाने वाले बॉडी बनाने के लिए डब्बे खाते हैं डब्बे, वही नुक्सान करते हैं. मुझे लगता है एक चीज़ छूट गई लोगों से. असल में We, human beings are not body alone. We are Mind-body. Allopathy  का सारा ज़ोर बॉडी पर है. इसीलिए ये जो लोग मरे तो लोगों की observations सब बॉडी से सम्बंधित ही आईं. किसी ने Mind का ख्याल ही नहीं किया. असलियत यह है मन में अगर तनाव आया तो एक सेकंड में भले चंगे आदमी की हार्ट अटैक आ सकता है, ब्रेन हेमरेज हो सकता हक़ी, परलीसिस हो सकता है. मन तन से बड़ा फैक्टर है इंसानी सेहत में.~कॉस्मिक

जाट रे जाट, सोलह दूनी आठ

 जब गुरु तेग बहादुर शहीद किये जा चुके थे तो उन का सर ले के शिष्य भागे. पीछे मुगल फ़ौज थी. हरियाणा के कोई "दहिया" थे, जिन्होंने ने अपना सर काट पेश कर दिया मुगल सेना को भरमाने को ताकि गुरु के शीश की बेकद्री न हो. पढ़ा था कहीं. सच-झूठ पता नहीं. जाट रेजिमेंट, सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट है. अब फिर खेलों में मैडल ले रहे हैं  हरियाणवी छोरे-छोरियाँ. लेकिन यह एक पक्ष है. दूसरा पक्ष. दिल्ली में हरियाणवी लोगों को "घोडू" कहा जाता है. "जाट रे जाट, सोलह दूनी आठ." क्यों? क्योंकि बेहद अक्खड़ हैं. तू-तडांग की भाषा प्रयोग करते हैं.  बदतमीजी करते हैं. झगड़े करते हैं. और बदमाशी भी करते हैं. आप देख रहे हैं दिल्ली में जितने गैंगस्टर हैं सब हरियाणा के जाटों छोरों के हैं. क्यों? वजह है. दिल्ली की ज़मीनों ने सोना उगला और सब देहात करोड़पति हो गए. और बिना मेहनत का पैसा बर्बाद कर देता है. वही हुआ. पैसा आया लेकिन समझ न आ पाई. तभी सुशील कुमार ओलिंपिक मैडल जीत कर भी क्रिमिनल बन गया. जाट समाज को अपने अंदर झाँकना होगा, समझ पैदा करनी होगी, ऊर्जा पॉजिटिव दिशाओं में मोड़नी होगी. अन्...