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Showing posts from January, 2020

दिल्ली वालो मत दो वोट केजरीवाल को

मैसेज है मेरा दिल्ली वालों को.  मत दो वोट केजरीवाल  को.  निश्चित ही सवाल पूछेंगे आप कि  क्यों नहीं देना चाहिए वोट केजरीवाल को उसने बहुत कुछ सस्ता किया और बहुत फ्री किया.  फिर क्यों कह रहा हूँ मैं कि उसे वोट नहीं देना चाहिए? जवाब लीजिये.  पहला पॉइंट  है. केजरीवाल  इस्लामिक थ्रेट, जिसे लगभग सारी  गैर-इस्लामिक दुनिया समझ रही है, महसूस कर रही है, उसे नहीं समझता. उसे लगता है कि हिन्दू-मुस्लिम कि बात करना फ़िज़ूल है. गलत है वो. सौ प्रतिशत गलत है. मूर्ख है वो. मुस्लिम नारे लगाते फिरते हैं. "तेरा मेरा रिश्ता क्या? ला-इलाहा-लिलल्लाह". "रोहिंग्या से रिश्ता क्या? ला-इलाहा-लिलल्लाह" कलमा जानते हैं क्या है? "ला-इलाहा-लिलल्लाह. मोहम्मदुर्रसूल अल्लाह." भगवान सिर्फ एक है और वो है अल्लाह. और Muhammad is the messenger of Allah.  बात खतम. और क़ुरान है वो मैसेज जो अल्लाह ने भेजा. जो माने वो ईमानदार. जो न माने बे-ईमान. काफिर. क़ुरआन पढ़िए सब समझ आ जायेगा. गूगल पर है. अंग्रेजी तरजुमे के साथ. भरी पड़ी  हैं आयतें गैर-मुस्लिम के खिलाफ.  और उन आयतों...

Islam is not a religion

John Bennett, a Republican state legislator in Oklahoma,  said in 2014 , “Islam is not even a religion; it is a political system that uses a deity to advance its agenda of global conquest.” In 2015, a former assistant United States attorney, Andrew C. McCarthy,  wrote  in National Review that Islam “should be understood as conveying a belief system that is not merely, or even primarily, religious.” In 2016, Michael Flynn, who the next year was briefly President Trump’s national security adviser,  told  an  ACT for America  conference in Dallas that “Islam is a political ideology” that “hides behind the notion of it being a religion.” In a January 2018 news release, Neal Tapio of South Dakota, a Republican state senator who was planning to run for the United States House of Representatives,  questioned whether the First Amendment applies  to Muslims. https://www.nytimes.com/2018/09/26/opinion/islamophobia-muslim-religion-politics.html

बहुत ज़्यादा आरामपसंदगी हरामपसंदगी है.

आप सोचते हैं कि जो कष्ट आपने सहे हैं वो आपके बच्चे न सहें. बिलकुल ठीक बात है. लेकिन इस चक्कर में आपके बच्चे पिलपिले हो जाते हैं-थुलथुले  हैं. बहुत ज़्यादा आरामपसंदगी हरामपसंदगी है. आपके बच्चे हों , आपका शरीर हो, इन्हें ज़्यादा पुचकारें न. इन्हें  थोड़ा सख्त मिज़ाज़ से पालें. मैं प्रॉपर्टी डीलिंग करता हूँ, देखता हूँ लोग ऊपर के फ्लोर खरीद के राज़ी नहीं. लिफ्ट चाहिए सब को. न. लिफ्ट हो तो भी सीढ़ी चढ़ें. सीढ़ी उतरें. Gym में आपको स्टेप ऊपर चढ़ने और नीचे उतरने को बोला जाता है. क्यों? चूँकि आप सीढ़ी  चढ़ना ही नहीं चाहते असल जीवन में. पैदल चलें, जहाँ तक हो सके. वहां Gym में वो आपको ट्रेडमिल पर चलवाते हैं. वो इसलिए चूँकि आप असल जीवन में पैदल चलना नहीं चाहते. आप एस्क्लेटर पर खड़े होकर राज़ी है. बस आप खड़े रहें. एस्क्लेटर चलता रहे. ट्रेडमिल ठीक उससे उल्टा है. ट्रेडमिल खड़ा रहता है और आपको चलना होता है उसके ऊपर.  सख्त मिजाज़ बनिए.  अपने प्रति अपने बच्चों के प्रति आराम हराम है

भारतीय रसोई दवाखाना है

एक  सम्मोहन है जो हमारे दिमागों में TV के ज़रिये बिठाया गया है. टीवी की Advertisement कोई मशहूरी मात्र नहीं है. सम्मोहन है. इसीलिए वो बार-बार बार-बार दिखाते हैं. उन्होंने बताया की पिज़्ज़ा बर्गर कोई अमृतनुमा चीज़ है. मैक्डोनाल्ड और पिज़्ज़ा-हट नहीं गए, डोमिनो का पिज़्ज़ा नहीं खाया तो जीवन अधूरा है. निरा मैदा है. आपको पता है मक्डोनल्ड को कितनी ही बार जुर्माना लगता है. खाने में गड़बड़ की वजह से. भारतीय खाना खाएं. हमारी रसोई दवाख़ाना है. हमारे मसाले सब दवा हैं. हल्दी, अजवाइन, काला  नमक, सेंधा नमक, काली मिर्च, दाल चीनी...सब दवा हैं. वो वहां वेस्ट में इनको दवा के नाम से पेटेंट करवा रहे हैं. TV के सम्मोहन से बाहर आएं.

बुड्ढा होगा तेरा बाप

INTRODUCTION & BENEFITS :-- "इंक़ेलाब ज़िंदाबाद"  3 idiots फिल्म किस किस ने देखी  है? उसमें आमिर खान था, याद है? क्या नाम था उसका उस फिल्म में? "रेंचो".  .  .   .  . इंक़ेलाब का मतलब क्या है? क्रांति. मतलब बदलाव. मतलब उथल-पुथल. लेकिन पॉजिटिव. कुछ बेहतरी के लिए. तो मेरी रिक्वेस्ट है आप सब से की अगले पंद्रह मिनट आप पूरी तरह से अटेंटिव हो कर मेरी बात सुनें. आधे-अधूरे मन से नहीं, पूरे मन से सुनें. अपने फोन बंद करके सुनें. बिना पड़ोसी से बात किये सुनें. बिना यह सोचें सुनें कि  मैं कौन हूँ? बस इस बात पर ध्यान दें कि मैं क्या कह रहा हूँ.  क्या पॉजिटिव इंक़ेलाब हो सकता है मेरी बात पंद्रह मिनट भर सुनने से, एक ऐसे ज़माने में जब आप सब के पास दुनिया भर की इनफार्मेशन मुट्ठी में है? इंक़ेलाब यह हो सकता है कि आपकी उम्र कोई दस-बीस-तीस साल बढ़ जाए. इंक़ेलाब यह हो सकता है कि  आपकी हेल्थ में इज़ाफ़ा हो जाए, रोग से लड़ने की ताकत बढ़ जाए.  तो शुरू करता हूँ S TORIES :-- 1. FIRST STORY :-- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ.अंग्रेज़ी के साहित्यकार थे. जाने ...

"टांका"

यह वो धन है जो प्रॉपर्टी डीलर  तयशुदा ब्रोकरेज के अलावा डील में से निकाल लेता है.  कैसे संभव है यह? खरीद-दार कभी नहीं चाहता कि  ऐसा हो, फिर भी यह होता है, अक्सर होता है और  अक्सर डील के अंत तक उसे पता लग ही जाता है कि डीलर ने उसकी डील में टांका मारा है.  यह न हो इसके लिए Seller और Purchaser दोनों को प्रयास करना चाहिए.  पहली हिदायत:-  यह Purchaser के लिए है. Purchaser को सीधा कहना चाहिए ब्रोकर को, "भाई आपको hire कर रहा हूँ लेकिन आपकी ईमानदारी  जांचने के लिए डील के दौरन मैं आपको किसी भी वक्त  पॉलीग्राफ (Lie Detector) टेस्ट करवाने के लिए बोल सकता हूँ और आपको लिख कर देना होगा कि आप यह टेस्ट करवाएंगे."  यकीन जानें आपका डीलर बौखला जाएगा यह सुन कर. या तो डील छोड़ देगा या फिर नाक की सीध में चलेगा.  दूसरी हिदायत:-  यह Seller के लिए है. यदि आप सेलर हैं तो कभी भी डीलर को यह न कहें, "हमें तो हमारी तयशुदा रकम दिलवा दीजिये, बाकी आप ऊपर से जितना मर्ज़ी ले लीजिये."  Seller ऐसा इसलिए कहता है कि  असल में ब्रोकरेज चाहे Seller...

नववर्ष

क्या आप  सहमत होंगे मुझे से अगर मैं कहूँ कि  समय नाम की कोई चीज़ नहीं होती? दिन-वार, तिथि, वर्ष, माह....  कुछ नहीं होता.सिवा इंसान के किसी पशु-पक्षी, पेड़-पौधे को नहीं पता कि आज कोई नववर्ष की शुरुआत है  चूँकि समय का विभाजन सिर्फ इंसान की कल्पना है.असल में समय ही इंसान की कल्पना है. कल्पना है बदलते मौसम को, दिन-दोपहर, रात को समझने के लिए.  जब समय सिर्फ कल्पना है तो फिर कैसा नव-वर्ष?  फिर नव वर्ष का सेलिब्रेशन? फिर शुभ कामनाएं? क्या मतलब इस सब का? असल में तो जीवन ही अपने आप सेलिब्रेशन होना चाहिए.  हल पल सेलिब्रेशन होना चाहिए. सेलिब्रेशन के लिए बहाने नहीं खोजने पड़ने चाहिएं.   और हम सब में विश्व-कल्याण का भाव सदैव होना चाहिए.  हम सब सदैव एक दूजे के लिए शुभ-भाव से भरे होने चाहिए. शुभ-कामनाओं से भर-पूर होने चाहिए.  लेकिन यह सब अभी दूर की कौड़ी है.दिल्ली अभी दूर है. बहुत दूर.  सो फिलहाल हम काम चला रहे हैं नव-वर्ष की शुभ कामनाओं से. स्वीकार करें.  नमन...तुषार कॉस्मिक.