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Showing posts from September, 2024

इस्लाम पर कुछ सीधी-सपाट टिपण्णियाँ

1. सब धर्म खराब हैं, लेकिन सब धर्म एक जैसे खराब नहीं हैं. सब गुंडे हैं लेकिन एक जैसे गुंडे नहीं है. कोई माफिया है. सब ज़हर हैं, लेकिन सब एक जैसे नहीं हैं. कोई पोटासियम साइनाइड है.मैं सब को नापसंद करता हूँ लेकिन एक जैसा नापसंद नहीं करता हूँ.जो आलोचना सुन सकते हैं, सुधार भी ला सकते हैं उन को लकीर के फ़कीर के बराबर कैसे रख सकते हैं? 2. इस्लाम को नकारना हिंदुत्व को स्वीकारना है, यह न समझें. मैंने कहीं हिंदुत्व का पक्ष इस तरह लिया नहीं. 3. आज जो आप को हिंदुत्व का उग्र रूप दिख रहा है, वो इस्लाम की ही प्रतिक्रिया है. हिंदुत्व नामक तो कोई चीज़ भी शायद न हो. 4. इस्लाम के लिए जो मुस्लिम नहीं वो काफिर. ठीक. सो पहले काफिर को इस्लाम से निबटना है.आपस में भी निपटते रहिये. कोई दिक्कत नहीं. 5. यह नफरत नफरत क्या लिखते हैं सब? "नफरती चिंटू" भी लिखते अक्सर लोग. खैर, मुझे किसी से नफरत नहीं है. मुझे इस्लाम की आइडियोलॉजी नहीं जमती. तार्किक तौर पे. मैं इसे इस आधार पर रिजेक्ट करता हूँ. 6. और जो यह कहते हैं कि इस्लाम से दूर बना लीजिये बेशक लेकिन मुस्लिम को रिजेक्ट मत कीजिये, उन के लिए. जहाँ मिलेगा मुस्ल...

नैरेटिव का मुक़ाबला

आपने वो डायलॉग सुना होगा, "सरकार उनकी है तो क्या हुआ, सिस्टम तो हमारा है।" "कश्मीर फाइल्स" फिल्म में था। क्या मतलब है "सिस्टम" का? दो मतलब समझे मैने इस "सिस्टम" के. नंबर एक...इको-सिस्टम..."नैरेटिव" सेट करने का सिस्टम। मतलब लोगो तक अपने मतलब की सूचनाएँ, तर्क, संदर्भ पहुंचा दो. ज्यादा गहराई में जाने का किसी के पास समय होता नहीं, और न ही बुद्धि होती है, इसलिए बस "नैरेटिव" सेट करो और समाज में पेल दो, ढकेल दो। नंबर दूसरा, कुछ भी अपनी मर्जी का करवाना हो तो सड़क पर आ जाओ। भारत बंद करवा दो. ट्रेन रोक दो. जबरन. पूरी गुंडागर्दी. "नैरेटिव" का असल मतलब तो पता नहीं क्या है. लेकिन मैं समझता हूँ नैरेटिव का मतलब है, "झूठ पर आधारित कोई धारणा". जैसे "भक्त"/"अंध-भक्त"/"गोबर-भक्त/"मोदी भक्त" -- ये शब्द घड़े गए भाजपा समर्थकों के लिए. यह नैरेटिव है. कैसे? नूपुर शर्मा ने टीवी डिबेट में वही कहा जो इस्लामिक ग्रंथों में है, फिर भी उस को जान के लाले पड़ गए, आज भी पड़े हुए हैं, किसी ने नहीं क...

सिक्खी और इस्लाम में कुछ-कुछ समानताएँ

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हालाँकि बहुत से हिन्दू मानते हैं कि सिक्ख हिन्दू ही हैं. उन को सिक्खी में हिंन्दू झलक दीखती हैं. लेकिन मुझे सिक्खी में मुस्लिम झलक भी दिखती हैं. मिसाल के लिए हिन्दू की कोई ठीक-ठीक पहचान नहीं है लेकिन सिक्ख की पहचान है. केश, पगड़ी. ऐसे ही मुस्लिम भी ज़्यादातर पहचाने जाते हैं. औरतें चाहे भीख मांग रही हों, उन का सर ढका होगा और काले कपड़े से अक्सर ढका होगा. ऐसे ही मुस्लिम जीन्स भी पहने होंगे तो टखनों से ऊपर. दाढ़ी होगी, तो मूंछ नहीं होगी. दाढ़ी में भी खत लगे होंगे. या फिर गोल टोपी. कुछ न कुछ पहचान होगी. मुस्लिम इस्लाम, क़ुरआन और "रसूल-अल्लाह नबी हज़रत मोहम्मद साहेब जी" की शान में गुस्ताख़ी बर्दाश्त नहीं करते, कुछ-कुछ वैसा ही कांसेप्ट सिक्खी में आ गया है. "बेअदबी" का. और कुछ लोग क़त्ल भी कर दिए गए हैं इस तथा-कथित "बेअदबी" की वजह से. जब कि तथा-कथित हिन्दू समाज में "ईश-निंदा" सिर्फ एक शब्द है, यथार्थ में "ईश-निंदा" का कोई कांसेप्ट नहीं है. हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां कूड़े में फेंकी हुई मिलेंगी. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. हिन्दू अपनी मान्यताओं ...

पैंट-शर्ट

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मुझे पैंट-शर्ट पसंद ही नहीं. है ही नहीं मेरे पास कोई. ऐसा नहीं कि कभी पहनी नहीं, लेकिन अब बरसों से नहीं पहनी. गर्मी-सर्दी जीन्स या जीन्स टाइप ट्रॉउज़र. ऊपर टी-शर्ट या टी-शर्ट टाइप स्वेटर. मरे-मरे रंग भी मुझे पसंद नहीं. मैं ब्राइट कलर ही पहनता हूँ ज़्यादातर. एक और बात बताता हूँ. मेरी ज़्यादातर टी-शर्ट फुटपाथ से खरीदी हुई हैं. और ट्रॉउज़र भी लोकल मार्किट से. हमारे घर से कोई तीन चार किलोमीटर दूरी पे जीन्स बनाने की बहुत से फैक्ट्री हैं, वहीँ बहुत सी दुकाने भी हैं जीन्स की. होल सेल मार्किट. वहाँ से सस्ती मिल जाती हैं जीन्स. अपना काम चला जाता है. वैसे भी मेरे कुछ जूते कपडे 15-20 साल तक पुराने हैं, कोई दिक्क्त नहीं. और एक बात, मेरे पास कोई भी अलग से बढ़िया कपड़े नहीं है. बाहर-अंदर जाने वाले "स्पेशल कपडे". न. ऐसे कोई कपड़े मेरे पास नहीं हैं. जो हैं, वहीँ हैं जो मैं रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी में पहनता हूँ. वैसे मैंने खूब ब्रांडेड कपड़े भी लिए हैं और पहने हैं. हर छह महीने बाद ऑफ-सीजन सेल लगा करती हैं, तब हम ढेरों कपड़े लिया करते थे. उन्हीं में से बचे-खुचे आज भी पहनता हूँ. लेकिन मुझे फुटपाथ के कप...

ऑनलाइन है ज़माना. लेकिन क्या है सावधानियाँ?

1. यदि कोई घरेलू, सीक्रेट बात करते हैं तो इंटरनेट बंद करें. सब कुछ सुना जा रहा है. अभी सुन कर आप की बात-चीत के मुताबिक सिर्फ Advertisement दिखाई जा रही हैं. कभी यह लीकेज भयंकर नुकसान-दाई भी साबित हो सकती है. ध्यान रहे. 2. इंटरनेट पर यदि अपनी Internet सर्फिंग की Leakage बचाना चाहते हैं तो मेरे ख्याल से DuckDuckGo/ Tor Browser प्रयोग करें. 3. ईमेल की लीकेज बचने के लिए प्रोटोन मेल (Proton mail) प्रयोग करें. 4. जिस अकाउंट में ज़्यादा पैसा रखते हैं, उस में कोई ऑनलाइन सुविधा न लें. कार्ड तक न लें. ऐसे बैंक में यह अकाउंट रखें, जिस में यह सुविधा हो ही न. ऑनलाइन सुविधा के लिए अलग अकाउंट रखें, जहाँ ज़्यादा धन जमा हो ही न. 5. पीछे मैंने नोट किया कि मेरे लैपटॉप का कैमरा अपने आप ON हुआ जा रहा था. मैंने अपने एक मित्र से ज़िक्र किया. उस ने बताया कि वो तो अपने लैपटॉप के कैमरा पर बिंदी लगा के रखता है. क्या कैमरा से भी हमें देखने का प्रयास किया जा रहा है? यह अभी रिसर्च का विषय है. हो सकता ऐसा कुछ न भी हो. लेकिन फिलहाल इत्ती ही सलाह है क़ि सीक्रेट मैटर्स के वक्त फ़ोन, लैपटॉप पूरी तरह बंद कर दें, इंटरन...