इस्लाम पर कुछ सीधी-सपाट टिपण्णियाँ
1. सब धर्म खराब हैं, लेकिन सब धर्म एक जैसे खराब नहीं हैं. सब गुंडे हैं लेकिन एक जैसे गुंडे नहीं है. कोई माफिया है. सब ज़हर हैं, लेकिन सब एक जैसे नहीं हैं. कोई पोटासियम साइनाइड है.मैं सब को नापसंद करता हूँ लेकिन एक जैसा नापसंद नहीं करता हूँ.जो आलोचना सुन सकते हैं, सुधार भी ला सकते हैं उन को लकीर के फ़कीर के बराबर कैसे रख सकते हैं? 2. इस्लाम को नकारना हिंदुत्व को स्वीकारना है, यह न समझें. मैंने कहीं हिंदुत्व का पक्ष इस तरह लिया नहीं. 3. आज जो आप को हिंदुत्व का उग्र रूप दिख रहा है, वो इस्लाम की ही प्रतिक्रिया है. हिंदुत्व नामक तो कोई चीज़ भी शायद न हो. 4. इस्लाम के लिए जो मुस्लिम नहीं वो काफिर. ठीक. सो पहले काफिर को इस्लाम से निबटना है.आपस में भी निपटते रहिये. कोई दिक्कत नहीं. 5. यह नफरत नफरत क्या लिखते हैं सब? "नफरती चिंटू" भी लिखते अक्सर लोग. खैर, मुझे किसी से नफरत नहीं है. मुझे इस्लाम की आइडियोलॉजी नहीं जमती. तार्किक तौर पे. मैं इसे इस आधार पर रिजेक्ट करता हूँ. 6. और जो यह कहते हैं कि इस्लाम से दूर बना लीजिये बेशक लेकिन मुस्लिम को रिजेक्ट मत कीजिये, उन के लिए. जहाँ मिलेगा मुस्ल...