Thoughts, not bound by state or country, not bound by any religious or social conditioning. Logical. Rational. Scientific. Cosmic. Cosmic Thoughts. All Fire, not ashes. Take care, may cause smashes.
Saturday, 26 September 2020
Contempt ऑफ Court/ जज साहेब की निंदा/ ईश-निंदा--सब दफा करो
जज कौन है? Judicial Servant.
ध्यान दीजिए वो एक "servant" है.
लेकिन कभी आप भारतीय कोर्ट को चलते हुए देखिए.जज वहाँ का Lord होता है. वकील-मुवक्किल जज के सर्वेंट. सब उसके आगे झुकते हैं. हर लिखित जो भी जज को पेश की जाती है उसके अंत में Prayer लिखी जाती है.
अब Lord हैं तो उनके आगे जो भी पेश किया जाता है उसे submission कहा जाता है. Submission मतलब ही है समर्पण करना, surrender करना.
अब Lord हैं तो उनके आगे तो Prayer ही की जाएगी.
अब lord हैं तो उनके खिलाफ कुछ नहीं बोल-लिख सकते.यह तो उनके प्रति Contempt हो जाएगी.
अब Lord हैं तो उनकी ख़िलाफ़त ईश-निंदा हो जाएगी.
घण्टा!
बजाओ घण्टा!!
कोई लार्ड-वॉर्ड न हैं ये. जनता के सेवक हैं. सेवक का ओहदा चाहे कित्ता ही बड़ा हो लेकिन वो जनता से बड़ा नहीं हो सकता. Republic का मतलब ही यही है कि घूम के शक्ति पब्लिक के ही हाथ में है. फिर इनको काहे सर पे बिठा रखा है?
नीचे उतारो इनको. इन्हें काले अंग्रेज़ से भारतीय बनाओ. इनकी आलोचना, निंदा सब होगी.
वीडियो रिकॉर्डिंग के नीचे लाओ इनको. ऐसा करते ही इनको तमीज़ आ जाएगी, शक्ति घूम के जनता के हाथ आ जायेगी, मुल्क असल में Republic बनेगा.
अन्याय व्यवस्था को न्याय व्यवस्था बनाने की राह में एक ज़रूरी कदम है यह.
तुषार
दशा और दिशा दोनोँ मह्त्वपूर्ण हैं
सारागढ़ी पर पीछे फिल्में बनी हैं लेकिन बात यह है कि एक भगत सिंह थे जो अंग्रेजों के खिलाफ लड़े और एक ये सारागढ़ी के योद्धा सिक्ख थे जो अंग्रेज़ों के लिए लड़े, आप किन को हीरो मानेंगे?
एक कहानी सुनाता हूँ......वो हीरो था.बहुत तेज़ दौड़ाक. स्टेडियम खचाखच भरा था. दौड़ शुरू हुई. वो बहुत तेज दौड़ा भी. सबसे तेज़ दौड़ा भी.लेकिन दौड़ में फिर भी अंतिम आया. वो दौड़ बुरी तरह से हार गया.
क्योँ? सब हैरान!
हार इसलिए गया चूंकि वो उल्टी दिशा में दौड़ा. बहुत तेज़ दौड़ा लेकिन उल्टी दिशा में दौड़ा.
मोरल:--- आप कितने ही तेज दौड़ाक हों लेकिन किस दिशा में दोड़ते हैं, यह भी बहुत महत्वपूर्ण है.
असल अल्प-संख्यक कौन है?
अल्प-संख्यक जैन-सिक्ख आदि नहीं हैं बल्कि वो लोग हैं जो आज सब चलताऊ धर्मों से विमुख हैं, जो अपनी खोज खुद करना चाहते हैं, जो अपने आप में ही धर्म हैं.
ऐसे लोग पूरी दुनिया में हैं और तेजी से बढ़ रहे हैं. फिर भी आज ये हैं सबसे बड़े अल्पसंख्यक.
इनको बाकी समाजों की मान्यताओं को न चाहते हुए भी समर्थन देना पड़ता है, चूंकि यदि ये ऐसा न करें तो जीना मुश्किल हो जाये, शायद कत्ल भी कर दिए जाएं.
इसलिए पूरी दुनिया का फर्ज है, ऐसे लोगों को संरक्षण दे. हाँ, यह संरक्षण इनकी सोच, इनकी मान्यताओं के वैज्ञानिक टेस्ट के बाद दें वरना बहुत से oversmart धार्मिक लोग इस 'संरक्षण व्यवस्था' को भेद देंगे.
तुषार कॉस्मिक
"मनोरंजन"
आप मनोरंजन कहाँ खोजते हैं इससे आपकी बुद्धि का लेवल पता लगता है. यकीन जानिए आप में से 99% की बुद्धि का यंत्र तो चला ही नहीं, पड़ा-पड़ा जंग खा चुका. आप सिर्फ एक रिकॉर्डिंग मशीन हैं, जिसमें स्कूल, कॉलेज, मन्दिर, मसीत, गुरुद्वारे, गिरजे का भरा डेटा आउटपुट देता रहता है. जब आप कूड़ा फिल्में देखते हैं, टिकटोकिया कचरा हज़म करते हैं, एकता कपूर की सास-बहू वाला कबाड़ consume करते हैं, रामायण-महाभारत की हज़ारों बार सुनी कहानी देखते-सुनते हैं, चीखते-चिल्लाते tv एंकर की बकवास खा-पी जाते हो तो पता लगता है कि आप में बुद्धि नामक चीज़ लगभग ख़त्म है. यदि हमारे वैज्ञानिक भी आपकी तरह मनोरंजन के लिए कूड़ा पचा रहे होते तो अविष्कार नहीं, कूड़ा ही पैदा करते. Garbage in, Garbage out...Tushar Cosmic
"पैसे होते हुए भी हम तुम्हें बहुत कुछ खरीदने न देंगें"
तुम ने पैसा कमाया तो कार खरीदने निकले, पैसा कमाया तो बड़ा घर खरीदने निकले, बड़ा tv खरीदने निकले.
गुड.
समाज ने तुम्हें खरीदने दिया. खरीदने दिया चूंकि तुमने इसका पैसा दिया.
लेकिन चूतिया आदमी जिस सोच से यह ज्ञान-विज्ञान पैदा हुआ उसमें तुम्हारा क्या योगदान है?
घण्टा!
निल बटा सन्नाटा!
भविष्य में पैसा ही तय नहीं करेगा कि तुम क्या खरीद पाओगे. तुमने ज्ञान-विज्ञान में क्या इज़ाफ़ा किया उससे तय होगा कि तुम्हें कितनी सुविधा मिल सकती है.
धन पशु! धरती पे बोझ!
भेंचो सिर्फ खायेंगे, पीएंगे, हगेंगे, मूतेंगे और अपने जैसे उल्लू पीछे छोड़ जाएंगे. ज्ञान विज्ञान इनका बाप पैदा करेगा इनके लिए!
न . भविष्य में अक्ल से दरिद्र को जीवन दरिद्र ही मिलेगा, पैसा चाहे जितना मर्ज़ी इकट्ठा कर ले वो. सब समीकरण बदल देंगे हम...तुषार कॉस्मिक
Monday, 7 September 2020
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