Sunday 22 September 2024

इस्लाम पर कुछ सीधी-सपाट टिपण्णियाँ

1. सब धर्म खराब हैं, लेकिन सब धर्म एक जैसे खराब नहीं हैं. सब गुंडे हैं लेकिन एक जैसे गुंडे नहीं है. कोई माफिया है. सब ज़हर हैं, लेकिन सब एक जैसे नहीं हैं. कोई पोटासियम साइनाइड है.मैं सब को नापसंद करता हूँ लेकिन एक जैसा नापसंद नहीं करता हूँ.जो आलोचना सुन सकते हैं, सुधार भी ला सकते हैं उन को लकीर के फ़कीर के बराबर कैसे रख सकते हैं?

2. इस्लाम को नकारना हिंदुत्व को स्वीकारना है, यह न समझें. मैंने कहीं हिंदुत्व का पक्ष इस तरह लिया नहीं.

3. आज जो आप को हिंदुत्व का उग्र रूप दिख रहा है, वो इस्लाम की ही प्रतिक्रिया है. हिंदुत्व नामक तो कोई चीज़ भी शायद न हो.

4. इस्लाम के लिए जो मुस्लिम नहीं वो काफिर. ठीक. सो पहले काफिर को इस्लाम से निबटना है.आपस में भी निपटते रहिये. कोई दिक्कत नहीं.

 5. यह नफरत नफरत क्या लिखते हैं सब? "नफरती चिंटू" भी लिखते अक्सर लोग. खैर, मुझे किसी से नफरत नहीं है. मुझे इस्लाम की आइडियोलॉजी नहीं जमती. तार्किक तौर पे. मैं इसे इस आधार पर रिजेक्ट करता हूँ. 

6. और जो यह कहते हैं कि इस्लाम से दूर बना लीजिये बेशक लेकिन मुस्लिम को रिजेक्ट मत कीजिये, उन के लिए. जहाँ मिलेगा मुस्लिम मिलेगा, इस्लाम थोड़ा न मिलेगा. तो  जब हम कहते हैं कि हमें इस्लाम पसंद नहीं, हमें इस्लाम नहीं जमता, इस का दूसरा अर्थ यही होता है कि हमें मुस्लिम नहीं जमता, हमें मुस्लिम नहीं पसंद. कड़वी बात है, लेकिन सत्य यही है. क्या हम मुस्लिम से इस्लाम को अलग कर सकते हैं? नहीं. जब अलग होगा तो वो मुस्लिम होगा ही नहीं.

7. इस्लाम को पसंद करना, इस्लाम के मानने वालों को पसंद  करना ज़रूरी है क्या? मर्ज़ी हमारी. हमें नहीं पसंद तो नहीं पसंद. इस से ही कटटरपंथी हो गए हम? नफरती हो गए? समझ लीजिये, यदि कोई इस्लाम को नकार रहा है तो ज़रूरी नहीं कि अपने धर्म या राजनितिक झुकाव की वजह से नकार रहा है. इस्लाम को नकारना सिर्फ इस्लाम नकारना भी हो सकता  है. और न ही यह कोई नफरत है. उस के लिए  इस्लाम खुद ज़िम्मेदार है. हमारे मामले में, इस्लाम की नकार के पीछे हमारी इस्लाम की समझ है न कि नफ़रत, न कि कोई  और धार्मिक या राजनीतीक कारण.

8. मैंने कुछ X- मुस्लिम या कहिये X-मुस्लिम टाइप व्यक्ति देखे हैं,  जो इस्लाम की आलोचना तो करते हैं लेकिन मुस्लिम का बहिष्कार उन को भी स्वीकार्य नहीं. क्यों? चूँकि वो भी आते तो मुस्लिम समाज से ही हैं. उन का लगाव कहीं न कहीं अपने दोस्त, अपने परिवार, अपने रिश्तेदारों से तो हो ही सकता है. यह मैं समझ सकता हूँ. लेकिन उन को भी समझना ही होगा कि मुस्लिम को बहुधा झेला जाता है न कि स्वीकारा जाता है. कोई खुल्ले में कह देता है, कोई नहीं. 

9. यदि आप इस्लाम को पसंद  नहीं करते तो साफ़-साफ़ कहना और लिखना-बोलना शुरू कीजिये. कल ही ब्लड सैंपल लेने आना था किसी कंपनी से बिटिया का. कोई मुस्लिम ने आना था, हम ने साफ़ मना कर दिया. कोई और बंदा भेजो यदि भेजना हो. भेजा उन्होंने. हमने पहचान पत्र देख कर ही एंट्री दी. काफिर है भाई हम, काफिर से ही डील करेंगे. मर्ज़ी हमारी. तुम को हमें हमारे किसी उत्सव की शुभ-कामनाएं देनी हो-न देनी हों, हम को ईद मुबारक नहीं कहना तो नहीं कहना. 
क्या कहा? "हम सेक्युलर नहीं हैं." 
"नहीं हैं. बस. आप के लिए तो बिलकुल नहीं हैं. पहले खुद तो बनो सेक्युलर, फिर हम भी बन लेंगे. पक्का. पक्का."

10. प्रॉपर्टी डीलर हूँ. ज़्यादातर लोग मुख्य इलाकों में मुस्लिम को किराए पर घर देने से मना कर देते हैं. प्रॉपर्टी डीलर, जिन को दलाल कहा जाता है, जिन की कोई औकात नहीं समझी जाती, तुच्छ दलाल. वो तक मुस्लिम से डील करना नहीं चाहते. इस्लाम को जाना ही होगा. जाना तो सभी धर्म को होगा, लेकिन सब से जल्दी इस्लाम को जाना होगा.

Tushar Cosmic

Monday 9 September 2024

विनेश फोगट

 क्या बला है भाई ये विनेश फोगाट?

ओलंपिक्स हार कर आई है न.
जिस केटेगरी में फाइट कर रही थी, उस में ओवर-वेट थी. नहीं मिला कोई मैडल. बस. जिस ओलिंपिक कमिटी ने उसे सिल्वर दिया था, उसी ने छीन लिया. इस में क्या तीर मार लिया इस ने?
यह सब मोदी ने करवाया? भाजपा ने? नहीं. नहीं आरएसएस ने. इडियट! है कोई सबूत किसी के पास?
बस एवीं भाजपा के खिलाफ नैरेटिव गढ़ने लग रखे हैं.
सड़क पे घसीटा गया न. तो सड़क पे बैठी ही क्यों थी? सड़क घेरने के लिए थोड़ा न है. जाओ, बैठो जंतर-मंतर या जो भी जगह निश्चित है बैठने के लिए. बैठी रहती. जनजीवन अस्त-व्यस्त करोगे तो क्या फूल माला डाली जाएगी गले में?
अब सुना है कांग्रेस से चुनाव लड़ेगी. एक तो यह पूरे मुल्क में बीमारी है, कोई यदि पहलवान है, तीरंदाज है, एक्टर है तो वो राजनीती का भी पहलवान और तीरन्दाज मान लिया जाता है, राजनीती का भी कलाकार मान लिया जाता है. यह बीमारी सब पार्टियों में है.
खैर, अभी बात सिर्फ फोगट की. तो क्या उपलब्धि है भाई तुम्हारी? उपलब्धि तो तुम्हारे उस राहुल गन्दी की भी कोई नहीं सिवा गाँधी परिवार का वंशज होने के. तुम्हारी क्या होगी?
बकवास! निरी बकवास!! यह मुल्क बकवास मुद्दों और बकवास शख्सियतों से घिरा है.
Tushar Cosmic

नैरेटिव का मुक़ाबला

आपने वो डायलॉग सुना होगा, "सरकार उनकी है तो क्या हुआ, सिस्टम तो हमारा है।" "कश्मीर फाइल्स" फिल्म में था। क्या मतलब है "सिस्टम" का? दो मतलब समझे मैने इस "सिस्टम" के. नंबर एक...इको-सिस्टम..."नैरेटिव" सेट करने का सिस्टम। मतलब लोगो तक अपने मतलब की सूचनाएँ, तर्क, संदर्भ पहुंचा दो. ज्यादा गहराई में जाने का किसी के पास समय होता नहीं, और न ही बुद्धि होती है, इसलिए बस "नैरेटिव" सेट करो और समाज में पेल दो, ढकेल दो। नंबर दूसरा, कुछ भी अपनी मर्जी का करवाना हो तो सड़क पर आ जाओ। भारत बंद करवा दो. ट्रेन रोक दो. जबरन. पूरी गुंडागर्दी.

"नैरेटिव" का असल मतलब तो पता नहीं क्या है. लेकिन मैं समझता हूँ नैरेटिव का मतलब है, "झूठ पर आधारित कोई धारणा".
जैसे "भक्त"/"अंध-भक्त"/"गोबर-भक्त/"मोदी भक्त" -- ये शब्द घड़े गए भाजपा समर्थकों के लिए. यह नैरेटिव है.
कैसे?
नूपुर शर्मा ने टीवी डिबेट में वही कहा जो इस्लामिक ग्रंथों में है, फिर भी उस को जान के लाले पड़ गए, आज भी पड़े हुए हैं, किसी ने नहीं कहा कि उसे धमकाने वाले, "सर तन से जुदा" के नारे लगाने वाले अंध-भक्त हैं. न.
कन्हैया लाल नाम के टेलर की गर्दन काट दी गयी, उसी दौर में. किसी ने नहीं कहा कि गर्दन काटने वाले भी किसी के भक्त हैं. न.
भिंडरा वाले ने गोल्डन टेम्पल में पूरा किला बना लिया, गोला बारूद भर लिया, फ़ौज खड़ी कर ली, आज भी कई लोग उसे हीरो मानते हैं, किसी ने उन लोगों को "अंध-भक्त" नहीं कहा.
ईसाई पादरियों के वीडियो आते रहते हैं, जिस में वो किसी लूले-लंगड़े को हाथ से स्पर्श से ठीक कर देते हैं और लोग नाचते फिरते हैं.. ज़रा बुद्धि लगाओ तो समझ जाओगे नौटंकी है. लेकिन कोई इन को "अंध-भक्त" नहीं बोलता.
लेकिन भाजपा का समर्थन करने वाले "भक्त" हैं, "अंध-भक्त" हैं, "मोदी भक्त" हैं, "गोबर-भक्त" हैं. इसे ही कहते हैं नैरेटिव सेट करना.
खैर, दूसरों को "अंध-भक्त" कहने वालों को मेरा इतना ही संदेश है कि पहले अपने गिरेबान झाँको। दूसरों पर पत्थर फेंकने से पहले देख लो, कहीं अपना घर शीशे का न बना हो. और पापी को पत्थर तभी मारो जब खुद कोई पाप न किया हो.
यह है नैरेटिव का मुक़ाबला. मुद्दों की गहराई में जाएँ, और इस तरह के नैरेटिव, बकवास नैरेटिव की धज्जीयां उड़ा दें चाहे, वो भाजपा की तरफ से ही क्यों न आया हो.
ऐसा ही नैरेटिव भाजपा ने भी गढ़ा। राहुल गाँधी के खिलाफ. राहुल ने कभी नहीं कहा था कि ऐसे मशीन बनाऊंगा, एक तरफ आलू, डालो, सोना निकालो. वो यह कहते हुए यह कह रहे थे कि ऐसा मोदी ने कहा है. लेकिन एडिट कर के ऐसे दिखा दिया जैसे राहुल ने ऐसा कहा है. यह था नैरेटिव. झूठा नैरेटिव भाजपा द्वारा चलाया गया.
एक और नैरेटिव आरएसएस चलाती है कि भारत ने, हिन्दुओं ने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया. बकवास बात है. अशोक ने कलिंग की धरती लाल कर दी थी, बिना किसी वजह के. राम और रावण दोनों शिव के भक्त थे, फिर युद्ध कैसे हो गया ? किसी ने तो किसी पर आक्रमण किया होगा न. महाभारत कैसे हो गयी? एक ही परिवार के लोग थे. किसी ने तो किसी पर आक्रमण किया न. पृथ्वीराज चौहान और जयचंद में भी तो युद्ध हुआ ही था. क्या राजे-रजवाड़े आपस में अपनी सीमाएं बढ़ाने के लिए लड़ते नहीं रहते थे? सो यह कहना कि हिन्दू बड़े शांतिप्रिय थे, एक नैरेटिव मात्र है, झूठा नैरेटिव.
सवाल भाजपा का नहीं है, न कांग्रेस का ही है, सवाल नैरेटिव का है. नैरेटिव खतरनाक हैं और इन का मुक़ाबला तर्क और फैक्ट से ही किया जा सकता है.
Tushar Cosmic

सिक्खी और इस्लाम में कुछ-कुछ समानताएँ


हालाँकि बहुत से हिन्दू मानते हैं कि सिक्ख हिन्दू ही हैं. उन को सिक्खी में हिंन्दू झलक दीखती हैं. लेकिन मुझे सिक्खी में मुस्लिम झलक भी दिखती हैं.


मिसाल के लिए हिन्दू की कोई ठीक-ठीक पहचान नहीं है लेकिन सिक्ख की पहचान है. केश, पगड़ी. ऐसे ही मुस्लिम भी ज़्यादातर पहचाने जाते हैं. औरतें चाहे भीख मांग रही हों, उन का सर ढका होगा और काले कपड़े से अक्सर ढका होगा. ऐसे ही मुस्लिम जीन्स भी पहने होंगे तो टखनों से ऊपर. दाढ़ी होगी, तो मूंछ नहीं होगी. दाढ़ी में भी खत लगे होंगे. या फिर गोल टोपी. कुछ न कुछ पहचान होगी.

मुस्लिम इस्लाम, क़ुरआन और "रसूल-अल्लाह नबी हज़रत मोहम्मद साहेब जी" की शान में गुस्ताख़ी बर्दाश्त नहीं करते, कुछ-कुछ वैसा ही कांसेप्ट सिक्खी में आ गया है. "बेअदबी" का. और कुछ लोग क़त्ल भी कर दिए गए हैं इस तथा-कथित "बेअदबी" की वजह से.

जब कि तथा-कथित हिन्दू समाज में "ईश-निंदा" सिर्फ एक शब्द है, यथार्थ में "ईश-निंदा" का कोई कांसेप्ट नहीं है. हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां कूड़े में फेंकी हुई मिलेंगी. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. हिन्दू अपनी मान्यताओं को जीने-मरने का सवाल मानते ही नहीं. यह कांसेप्ट इस्लाम में है. ब्लासफेमी. और इस की सजा "सर तन से जुदा". वही सिक्खी ने सीख लिया. बेअदबी. कत्ल.

जैसे इस्लाम की एक किताब है- क़ुरआन शरीफ़. ऐसे ही सिक्खी की एक किताब है- श्री गुरु ग्रंथ साहेब. क़ुरआन को अल्लाह का संदेश माना जाता है. अल्लाह के ही शब्द माने जाते हैं ऐसे ही गुरु बाणी को भी "धुर की बाणी" (The Voice of the Ultimate) माना जाता है.

ये कुछ समानताएं मुझे नज़र आ रही हैं. बाकी आप बताओ या फिर मैं गलत कहाँ हूँ, वो बताओ.
खालिस्तान के पीछे इस्लाम है:-
कई सिखों की मानसिकता खालिस्तानी है। मुझे लगता है, इस सबके पीछे भी इस्लाम है.
भिंडरावाले और उससे पहले के दौर में खालिस्तानियों को एके-47, रॉकेट लॉन्चर, बम कौन दे रहा था?
पाकिस्तान.
पंजाब भारत का सीमावर्ती राज्य है। इन सभी चीजों को पाकिस्तान से भारत में तस्करी करना बहुत आसान था।
और
पाकिस्तान के पीछे कौन था?
बेशक "इस्लाम".
खालिस्तान के पीछे इस्लाम है.
डिप्रेशन जहर है. चिंता चिता बराबर है. डिप्रेशन हत्यारा है. यह खुद को बीमारियों के पीछे छिपा लेता है। और लोग यह मानने लगते हैं कि वे दिल का दौरा, मस्तिष्क क्षति, पक्षाघात, मधुमेह आदि से मारे जा रहे हैं। नहीं, आप इन बीमारियों से नहीं मर रहे हैं। लेकिन इन बीमारियों के Creator द्वारा मर रहे हैं.
और वह है "डिप्रेशन".
और यही इस्लाम कर रहा है.
इस्लाम बहुत चालाक है. इसे जहां जगह मिलती है, वहीं छिप जाता है।
खालिस्तान, संविधान, रवीश कुमार, ध्रुव राठी, कांग्रेस, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, कांग्रेस, राहुल गाँधी, केजरीवाल... इस्लाम किसी भी विचारधारा, किसी भी नाम के पीछे छिप सकता है।
सावधान!
Tushar Cosmic

पैंट-शर्ट


मुझे पैंट-शर्ट पसंद ही नहीं. है ही नहीं मेरे पास कोई. ऐसा नहीं कि कभी पहनी नहीं, लेकिन अब बरसों से नहीं पहनी.

गर्मी-सर्दी जीन्स या जीन्स टाइप ट्रॉउज़र. ऊपर टी-शर्ट या टी-शर्ट टाइप स्वेटर. मरे-मरे रंग भी मुझे पसंद नहीं. मैं ब्राइट कलर ही पहनता हूँ ज़्यादातर.
एक और बात बताता हूँ. मेरी ज़्यादातर टी-शर्ट फुटपाथ से खरीदी हुई हैं. और ट्रॉउज़र भी लोकल मार्किट से. हमारे घर से कोई तीन चार किलोमीटर दूरी पे जीन्स बनाने की बहुत से फैक्ट्री हैं, वहीँ बहुत सी दुकाने भी हैं जीन्स की. होल सेल मार्किट. वहाँ से सस्ती मिल जाती हैं जीन्स. अपना काम चला जाता है.
वैसे भी मेरे कुछ जूते कपडे 15-20 साल तक पुराने हैं, कोई दिक्क्त नहीं.
और एक बात, मेरे पास कोई भी अलग से बढ़िया कपड़े नहीं है. बाहर-अंदर जाने वाले "स्पेशल कपडे". न. ऐसे कोई कपड़े मेरे पास नहीं हैं. जो हैं, वहीँ हैं जो मैं रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी में पहनता हूँ.
वैसे मैंने खूब ब्रांडेड कपड़े भी लिए हैं और पहने हैं. हर छह महीने बाद ऑफ-सीजन सेल लगा करती हैं, तब हम ढेरों कपड़े लिया करते थे. उन्हीं में से बचे-खुचे आज भी पहनता हूँ. लेकिन मुझे फुटपाथ के कपड़ों से भी कभी भी परहेज़ नहीं रहा.
बहुत पहले, "लॉन्ग-लॉन्ग एगो", मैंने जामा मस्जिद के बाहर फुटपाथ से एक शर्ट खरीदी थी. शायद सेकंड हैंड थी. इतनी पसंद थी मुझे यह शर्ट कि मैंने वर्षों-वर्षों पहनी होगी.
शादी बयाह में भारी-भरकम कपडे पहनना दूर, पहने हुए लोगों को देखना तक अच्छा नहीं लगता. मैं जो रोज़ पहनता हूँ, उन्ही कपड़ों में कहीं भी पहुँच जाता हूँ. मेरे बच्चे मुझे कहते हैं कि उन को मेरा ढँग के कपड़े न पहनना, शादी आदि में, अखरता है, लेकिन मैं ढ़ीठ हूँ.
अब सोच रहा हूँ कि सब छोड़ धोती-कुरता धारण करने लग जाऊं. या फिर गर्मियों में सिर्फ धोती. कुरता भी सिर्फ सर्दिओं में. तब तो शायद मुझे "घर-निकाला" ही दे दिया जाए. खैर, देखा जायेगा.
Tushar Cosmic

ऑनलाइन है ज़माना. लेकिन क्या है सावधानियाँ?

1. यदि कोई घरेलू, सीक्रेट बात करते हैं तो इंटरनेट बंद करें. सब कुछ सुना जा रहा है. अभी सुन कर आप की बात-चीत के मुताबिक सिर्फ Advertisement दिखाई जा रही हैं. कभी यह लीकेज भयंकर नुकसान-दाई भी साबित हो सकती है. ध्यान रहे.

2. इंटरनेट पर यदि अपनी Internet सर्फिंग की Leakage बचाना चाहते हैं तो मेरे ख्याल से DuckDuckGo/ Tor Browser प्रयोग करें.
3. ईमेल की लीकेज बचने के लिए प्रोटोन मेल (Proton mail) प्रयोग करें.
4. जिस अकाउंट में ज़्यादा पैसा रखते हैं, उस में कोई ऑनलाइन सुविधा न लें. कार्ड तक न लें. ऐसे बैंक में यह अकाउंट रखें, जिस में यह सुविधा हो ही न. ऑनलाइन सुविधा के लिए अलग अकाउंट रखें, जहाँ ज़्यादा धन जमा हो ही न.
5. पीछे मैंने नोट किया कि मेरे लैपटॉप का कैमरा अपने आप ON हुआ जा रहा था. मैंने अपने एक मित्र से ज़िक्र किया. उस ने बताया कि वो तो अपने लैपटॉप के कैमरा पर बिंदी लगा के रखता है. क्या कैमरा से भी हमें देखने का प्रयास किया जा रहा है? यह अभी रिसर्च का विषय है. हो सकता ऐसा कुछ न भी हो. लेकिन फिलहाल इत्ती ही सलाह है क़ि सीक्रेट मैटर्स के वक्त फ़ोन, लैपटॉप पूरी तरह बंद कर दें, इंटरनेट OFF कर दें.
6. हमारे फोन का GPS भी अक्सर ON होता है. यकीन जानिये, जहाँ-जहाँ भी हम जाते हैं. सब लोकेशन भी ट्रेस होती चली जाती है. उस का डाटा भी गूगल कलेक्ट करता रहता है. हालाँकि अभी यह सब किया सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि हमारा बेहेवियर पैटर्न कलेक्ट कर के हमें उस के मुताबिक प्रोडक्ट और सर्विस बेचीं जा सके. लेकिन जानकारी की यह लीकेज यदि रोकना हो तो फिर आप को अपना GPS भी ज़रूरत के मुताबिक ही खोलना चाहिए अन्यथा नहीं.
7. जब से AI का बोलबाला बढ़ा है, तब से यह खतरा भी पैदा हो गया है कि कोई आप को फ़ोन करे और आवाज़ आप के ही घर के मेंबर जैसी हो. यदि कभी कोई सीक्रेट जानकारी फ़ोन पर शेयर करनी हो तो यह सुनिश्चित कैसे करेंगे कि फोन के दूसरी तरफ वही व्यक्ति है, जिसे आप घर का मेंबर या मित्र समझ रही हैं? ऐसे में हम ने तो एक फॅमिली कोड बना रखा है, जिसे सिर्फ हमें ही पता है. हम अक्सर फॅमिली कोड मांगते हैं एक-दूसरे से फ़ोन पर. और यह कोड बदलते भी रहते हैं. टारगेट प्रैक्टिस है अभी. काम की हो सकती है लेकिन कभी. आप भी try करें.
8. इंटरनेट के ज़रिये हमें अपार जानकारी उपलब्ध है. मुफ्त. लेकिन If you're not paying for it, you are the product (जहाँ आप को कुछ भी मुफ्त दिया जा रहा है, वहाँ प्रोडक्ट आप खुद हैं). यह कहावत है. शायद सच है.

Saturday 17 August 2024

सब से आगे होंगे हिंदुस्तानी! लेकिन कैसे? #independenceday #shortsfeed #shorts #trending



सब से आगे होंगे हिंदुस्तानी! लेकिन कैसे? #independenceday #shortsfeed #shorts #trending #tusharcosmic #तुषारकॉस्मिक

"झंडा ऊंचा रहे हमारा ...... विजयी विश्व तिरंगा प्यारा ..." "सुनो गौर से दुनिया वालो बुरी नज़र न हम पे डालो चाहे जितना जोर लगा लो सब से आगे होंगें हिन्दुस्तानी" बड़े अच्छे लगते हैं ऐसे गीत हर 15 अगस्त को. झूठे हैं ये सब गीत. ओलंपिक्स में 71 नम्बर हैं हम 84 में से ......120 नम्बर पर हैं Per Capita Income में हम. हम से छोटे-छोटे मुल्क हम से कहीं आगे हैं. सच का सामना करें. हम वो हैं जिन को गली का कूड़ा तक उठवाना नहीं आया. हम सब से आगे हैं? नहीं हैं और नहीं होंगे, जिस तरह के हम हैं. इडियट!

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Sunday 11 August 2024

क्या मंदिर तोड़ कर बनवाई गई थी कुतुब मीनार?

 

Qutab Minar Controversy: क्या मंदिर तोड़ कर बनवाई गई थी कुतुब मीनार? Kya Mandir tod kar banwayee thee Qutab Minar? #qutabminar

I have explained from various angles, whether Qutab Minar is a Hindu or a Mughal Structure. Just view, review..... मैंने विभिन्न कोणों से चर्चा की है कि क्या कुतुब मीनार एक हिंदू या मुगल संरचना है। देखें, समीक्षा करें

"QUERIES ADDRESSED IN THIS VIDEO": ----

What is the controversy of Quwwat-ul-Islam?

What is the controversy of Qutub Minar Temple?

Were 27 temples destroyed for Qutub Minar?

Which Hindu gods are in Qutub Minar?

What is the significance of Quwwat-ul-Islam?

क्या कुतुब मीनार एक हिंदू मंदिर है?

Qutub Minar: कुतुब मीनार या विष्णु स्तंभ? कोर्ट में 800 साल पुराने इतिहास पर चर्चा, जानिए किस पक्ष की क्या है दलील?

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800 साल पुराने मंदिर पर अब दावा क्‍यों? भगवान हैं तो पूजा का हक... कुतुब मीनार पर दिल्‍ली कोर्ट में.
क्या मंदिर तोड़ कर बनवाई गई कुतुब मीनार?

Qutub Minar History: कुतुब मीनार विवाद के बीच जानिए किसने बनवाई थी ये ऐतिहासिक इमारत और क्या है इसका इतिहास?

Qutub Minar Controversy: क्या मंदिर तोड़ कर बनवाई गई कुतुब मीनार? Kya Mandir tod kar banwayee thee Qutab Minar?

क्या मंदिरों के मलबे से बना है ‘कुतुब मीनार’? अभी किस बात पर हो रहा था बवाल?

कुतुब मीनार: मस्जिद के बाहर प्रवेश द्वार, मूर्तियों के अवशेष, सबूतों को लेकर क्या कहते हैं इतिहासकार?

कुतुब मीनार का इतिहास है सदियों पुराना, जानिए इससे जुड़े विवादों के बारे में. नई दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार को लेकर भी विवाद गहराता जा रहा है। कुछ दिनों पहले कुतुब मीनार परिसर में खुदाई किए जाने की खबरें आईं थीं।

Qutab Minar Controversy: All things that you should know about one of the tallest buildings in the world.

Explained | Qutub Minar Or Vishnu Stambh? The Controversy Over Construction Of The Monument.

Deity at Qutub Minar survived for 800 years without worship, let that continue: Judge on Hindu plea

Qutb Minar row: No evidence mosque was built on demolished structure, says ASI in court.

Qutub Minar Controversy: 27 Hindu & Jain Temples Were Demolished To Build Mosque? Court To Hear Plea.

Qutub Minar Controversy: Qutab Minar not a place of worship, existing status cannot be altered: ASI to Delhi Court.

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ख़बरदार : राहुल गांधी पप्पू नहीं "शातिर" है अब- (2)



ख़बरदार : राहुल गांधी पप्पू नहीं "शातिर" है अब- (2)
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Beware! Rahul Gandhi is no more a Pappu but a very shrewd Politician. In this video, I have explained from various angles my point of views. I have also suggested the way out to confront Rahul Gandhi and Congress in all this sequence of 3 Short videos. This is 2nd part.
राहुल गाँधी को पप्पू मत समझो अब. उस की शक्ल देखो. शातिर हो चुका है.

भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल को चक्रव्यूह जैसा बता रहा है, और बता रहा है जैसे कौरवों ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह में घेर लिया था ऐसे ही भारत के युवा को, भारत के अभिमन्यु को कमल रुपी चक्रव्यूह में भाजपा ने घेर रखा है.

सवाल गहरा है कि हिन्दू प्रतीकों को, हिन्दू ग्रथों को, हिन्दू कथानकों को ही क्यों ला रहा है राहुल गाँधी संसंद में में खींच-खींच कर? चूँकि भाजपा मुख्यत: हिन्दुओं की पार्टी है, और राहुल गाँधी को यदि हिन्दू वोट तोड़ने हैं तो उसे हिन्दुओं को ही भाजपा के खिलाफ करना होगा। इसीलिए वो हिन्दू प्रतीकों का प्रयोग कर रहा है भाजपा के खिलाफ ताकि हिन्दुओं की नज़र में किसी तरह से भाजपा को विलन साबित कर दे और ताकि हिन्दुओं के वोट में सेंध लगा सके. सिम्पल.

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