Thursday, 7 December 2017

CYBORG

मुझे ऐसा लगता है कि आने वाले समय में किताबें, फिल्में, ऑडियो आदि सीधा मानव मस्तिष्क में ट्रांसप्लांट किये जा पायेंगे...इससे व्यक्ति के वर्षों बचेंगे.
और डाटा को सुपर कंप्यूटर में डाला जायेगा, जिसकी लॉजिकल प्रोसेसिंग के बाद वो रिजल्ट दे देगा कि सही क्या है या यूँ कहें कि सबसे ज़्यादा सम्भावित सही क्या है....और यह डाटा भी इन्सान पलों में ही access कर पायेगा. इससे तर्क-वितर्क और भी साइंटिफिक हो जायेगा.
इस तरह से किस उम्र में कितना डाटा डाला जाये, कंप्यूटर प्रोसेसिंग के रिजल्ट भी किस तरह से ट्रांसप्लांट किये जाएँ, यह सब भविष्य तय करेगा.
इंसानी जानकारियाँ और उन जानकारियों के आधार पर की गई उसकी गणनाएं/ कंप्यूटिंग/ तार्किकता/Rationality भविष्य में आज जैसी नहीं रहेंगी, यह पक्का है. इंसान कुछ-कुछ CYBORG हो जायेगा. यानि रोबोट और इन्सान का मिक्सचर.
तकनीक ही गेम-चेंजर साबित होगी. समाज खुद से तो बदलने से रहा. और नेता तो इसे जड़ ही रखेंगे ताकि उनका हित सधता रहे.

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