Wednesday 14 July 2021

Online Versus Offline Business

 क्या आप ने कभी दिल्ली में ऑटो रिक्शा लिया है, लेने का प्रयास किया है? 

ये लोग अक्सर मीटर से ज़्यादा पैसे मांगते हैं. 

क्या आप ने किसी दूकानदार  से लिए सामान को वापिस देने की कोशिश की है? या एक्सचेंज करवाने की कोशिश ही की है? 

इन की नानी मर जाती है. तमाम बहस करेंगे आप के साथ. पूरी कोशिश करेंगे कि आप की गलती साबित कर दें. 

ओला उबेर आपको आज ऑटो जितने खर्चे पे कार मुहैया करवा रहा है. 

अमेज़न से ली अधिकांश चीज़ें आप एक समय तक वापिस कर सकते हैं, कोई सवाल नहीं.

फिर भी लोग कहते हैं कि बड़ी कम्पनियां हमारा बिज़नेस खा रही हैं. इडियट्स. 

Oldness is deep-rooted in our culture.

 We are a bunch of Idiots.

Whether an individual is 8 or 18 or 80 years of age.

We call him old. 8 years old, 18 years old, 80 years old.

Oldness is deep-rooted in our culture.

No childhood, no youth. Only oldness.

We are idiots.

Intelligence and Free-will

Intelligence and Free-will 

are 

2 Great Gifts given by the Nature to the human beings 

which separate them from the animals.

So Use both. 

Use freely and use intelligently.

Sunday 4 July 2021

2 Great Gifts to the human beings

Intelligence and Free-will are 2 Great Gifts given by the Nature to the human beings which separate them from the animals.

So Use both. 

Use freely and use intelligently.

~ Tushar Cosmic ~

Tuesday 29 June 2021

चोर को मत मारो, चोर की माँ को मारो.

"चोर को मत मारो, चोर की माँ को मारो." कहावत है

एक कहानी मेरे पिता सुनाते थे

एक बार एक चोर पकड़ा गया चोरी करते हुए, हुक्म हुआ राजा का कि चोर के हाथ काट दिए जाएँ. जिन हाथों से चोरी करता है, वो हाथ काट दिए जाएँ.

चोर ने सर झुका के बोला, "जनाब लेकिन गुनाहगार मेरे हाथ नहीं हैं."

"तो फिर कौन है?"

चोर ने कहा, "मेरी माँ को बुला दीजिए, पता लग जायेगा."

माँ को बुला दिया गया.

जैसे ही चोर की माँ चोर के सामने आई, चोर ने माँ के मुंह पे थूक दिया और बोला, "जनाब मेरी माँ है असल गुनाहगार. सजा इसे दीजिये. "

"कैसे?

"ऐसे चूँकि जब मैं पहली बार चोरी कर के आया तो मेरी माँ ने मेरे मुँह अपर थूका नहीं, बल्कि इस ने हसंते हुए मुझे सपोर्ट किया. वो जो थूक मैंने फेंकी, वो यदि मेरी माँ ने मेरी चोरी पर फेंकी होती तो आज मैं इस कटघरे में न खड़ा होता. असल गुनाहगार माँ है"

राजा ने चोर को छोड़ दिया और माँ को सजा दी

असल गुनाहगार माँ है

माँ कौन है.

कुरान

हदीस

इन पर तर्क से , एक एक आयत, एक एक घटना को तर्कपूर्ण छीन-भिन्न कर देना चाहिए पूरी दुनिया में.

इतना कि इन को जवाब न सूझे.

वो सूझेगा भी नहीं. बस जरा तर्क की ज़रूरत है

और सही जगह चोट की ज़रूरत है

चोट जड़ पे करने की ज़रूरत है. वरना पत्ते काटते रहो, कुछ न होगा.

रोहिंग्या पत्ते हैं, बच्चे हैं.

माँ, कुरान है, हदीस है

चोट चोर की माँ पर करो

जड़ कुरान है, हदीस है.

चोट जड़ पे करो.

और दुनिया के हर कोने से करो.

और बोले सो निहाल, सत श्री अकाल.


तुषार कॉस्मिक 

Monday 28 June 2021

जायेगा तो मोदी ही

हालाँकि मैं इस लोकतंत्र से बनी सरकारों को जनता कई प्रतिनिधि ही नहीं मानता. वैकल्पिक व्यवस्था मैंने दे रखी है. जिसे बहुत कम लोगों ने देखा, सुना.

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खैर, वर्तमान व्यवस्था में मैने जो समझा वो यह कि इस्लाम के अंधेरों से बचाने के लिए मोदी सरकार ही सही है. लेकिन यह सरकार बाकी सब मुद्दों पर फेल है. इनको कुछ नहीं पता क्या काम करना है, कैसे करना है. कोई ट्रेनिंग नहीं. आरएसएस की शाखाओं में भी नहीं. बस मौज मार रहे हैं इडियट्स.

और सबसे बड़ी बात, मोदी सरकार आज वैसे ही घमण्ड में दिखती है जैसे एक समय कांग्रेस दिखती थी.

हो सकता है कृषि कानून सही हों, लेकिन विरोध में बैठे किसानों को भी कोई हल देना बनता था, बनता है कि नहीं?

इन कानूनों को राज्य सरकारों के ऊपर क्यों नहीं छोड़ दिया गया?

और इन कानूनों का जब विरोध शुरू हुआ तो जन-जन में जा कर, गली-गली जा कर इन कानूनों के विरोध में उठते पॉइंट्स को क्लियर क्यों नहीं किया गया?

और फिर इन कानूनों पर ही जनता का वोट क्यों नहीं ले लिया गया?

यदि किसी राज्य विशेष के लोग नहीं चाहते कि इन कानूनों से जो विकास मिलना है वो मिले तो क्यों जबरन उस तथा-कथित विकास को थोपना?

याद रखना मेरी बात, वरना जायेगा तो मोदी ही.

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और
सब से बड़ी बात!

दुनिया-जहां में कोरोना को नकली बताया जा रहा है. भारत में भी अनेक लोग इसे बीमारी मान ही नहीं रहे. डॉक्टर भी. लेकिन मोदी सरकार है कि इडियट की तरह वैक्सीन लगाने पर जोर दिए जा रही है. मतलब जो एजेंडा WHO ने पकड़ा दिया, बस वही पेले जा रही है-धकेले जा रही है.

अबे, विरोध में उठते स्वरों को सुन तो लो. जन-जन को सुनने तो दो. फिर देखो, जनता खुद ही तय कर लेगी कि अफवाह क्या है और सच्चाई क्या है. या बस यही सीखा है कि प्रचार से, लगातार प्रचार से, धुआंधार प्रचार से कुछ भी बेचा जा सकता है.

इडियट्स!

याद रखना, सब लोग रोबोट नहीं होते, कुछ प्रचार की मोटी दीवारों को भेद कर सच्चाई देखने की क्षमता भी रखते हैं. सबको अपने जैसा चूतिया मत समझो. बल्कि उन की सुनो, ताकि कुछ अक्ल तुम्हारे भेजों में भी भेजी जा सके.

वरना
याद रखना मेरी बात, "जायेगा तो मोदी ही."

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और इस फर्ज़ी बीमारी, महा-मारी को असली मान कर, मनवा कर मोदी सरकार ने असली हाहा-कारी मचाई है. लॉक-डाउन लगा-लगा कर जन-जन को बेरोजगार किया है. ऐसे `में महान मोदी सरकार घर-घर खुल्ला राशन- पानी, मुफ्त बिजली -पानी और हर सुविधा देती तो फिर कहने के हकदार थी, "घर में रहो, सुरक्षित रहो." लेकिन मोदी सरकार ने उल्टा किया. महंगाई को बढने दिया. इतना की खाने के लाले पड़ रहे हैं. "घर-घर मोदी, चर गया मोदी."

सम्भल जाओ
वरना
"जायेगा तो मोदी ही."

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यदि मेरी बात न समझी गयी तो जल्द ही "जायेगा तो मोदी ही"

तब्दील हो जायेगा, "मोदी तो गीयो में."

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नमन
तुषार कॉस्मिक

Sunday 20 June 2021

Holy-shit

 ईसाई रविवार को छुट्टी रखते थे और चर्च जाते थे. सो इन्होने इस दिन को Holiday कहना शुरू कर दिया. लेकिन जैसे-जैसे ईसाईयों में धर्म के प्रति मोह घटना शुरू हुआ तो वहां Holy-crap यानि पवित्र कचरा और Holy-shit यानि पवित्र टट्टी जैसे शब्द भी चलन में आ गए. .... हमारे यहाँ पता नहीं ऐसा कब होगा?

Thursday 17 June 2021

जन्नत की हकीकत

 "जानते हैं जन्नत की हकीकत हम भी ए ग़ालिब.

मगर दिल के बहलाने को ख्याल अच्छा है."

इस्लाम अमन-पसंद है?

1450 सालों से तीर-तलवार, बम-बनूक से मुस्लिम दुनिया को समझा रहे हैं कि इस्लाम अमन का दीन है, लेकिन अभी भी दुनिया के बहुत से ढीठ लोग मान ही नहीं रहे. बिला शक 50 से ज़्यादा मुल्क तो मान गयें है.

वाह!
वल्लाह!!
सुभान-अल्लाह!!
माशा-अल्लाह!!!
अल्हम्दुलिल्लाह!!!
बाकी भी मान जाएंगे.
इंशा-अल्लाह!!!!
तुषार कॉस्मिक

मैं कौन

 हे पार्थ, मैं हरामियों में महा-हरामी हूँ और शरीफों में महा-शरीफ हूँ. मैं तुषार हूँ. तुषार कॉस्मिक.

एक और फ्रॉड

 बहुत से फ्रॉड चलते हैं दुनिया में. एक रोज़ होता है तुम्हारे साथ.

तुम से कहा गया कि मसाले ज़्यादा मत खाओ, अचार मत खाओ. असल में ये दोनों दवा है.
लहसुन, अदरक, साबुत नीबूं, किस चूतिया ने कहा कि ये नुकसान करते हैं?
सौंठ, काला नमक, सेंधा नमक, काली मिर्च, दाल चीनी, जीरा, धनिया, पुदीना ये किस ओवर-स्मार्ट इडियट ने समझाया कि हानिकारक हैं?
असल में अंग्रेज़ी दवा-अंग्रेज़ी डाक्टर चलाने के लिए तुम्हारी रसोई में रखी दवाओं के प्रति तुम्हें शंकालु बना दिया गया.
और फ़िर
"In search of Gold, you lost the Diamonds."

मैं भी कबीर

"कंकण्ड पत्थर जोड़ के मस्ज़िद लियो बनाये

ता चढ़ मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय"


अब इस पे भाई-जान कहते कि ये खुदा नहीं, मुसलमान को बुलाने को बांग दी जाती है, तो भी मैं कहना चाहता हूँ


"कंकण्ड पत्थर जोड़ के मस्ज़िद लियो बनाये

sms के ज़माने में, ऊँची-ऊंची बांग दे, मोहल्ला दियो जगाए"


कैसी रही?

रेस्पेक्ट

यदि देश-विदेश में community-wise सर्वेक्षण किया जाए कि कौन सी भारतीय कम्युनिटी की कितनी रेस्पेक्ट है तो मेरे हिसांब से नीचे दी गई तालिका फिट बैठेगी. तालिका में नम्बर 1 पर सबसे ज़्यादा रेस्पेक्ट पाए जाने वाली कम्युनिटी को रखा है मैंने. फिर नम्बर 2 पर उससे कम और नम्बर 3 पर उससे कम. ऐसे चल रही है यह तालिका. 

1.सिक्ख

2.जैन

3.बौद्ध

4.पारसी

5.हिंदू

6.मुस्लिम

बाकी आप बताएं.

तालिका गलत भी हो सकती है, आप अपनी राय दें.

Tuesday 15 June 2021

Religion is Fraud

Religion
is
Fraud.


Focus
on
Reason. 

लिखो तो ऐसे लिखो

मूंछे हों तो नत्थू लाला जैसी वरना न हों. 

लिखो तो जबरस्त, वरना न लिखो. 

ज़बरदस्त. 

जिसे पढ़ने लग जाएँ दस्त. 

उड़ा जाए डस्ट. 

कर दे बे-वस्था को पस्त, अस्त-व्यस्त.

कौन हैं ये चूतिये, जिन्हें प्रोफेशनल कहा जाता है ?

तुम्हें पता है डॉक्टर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट को प्रोफेशनल कहा जाता है. मतलब उनका प्रोफेशन ही प्रोफेशन है, वही प्रोफेशनल हैं बस.  बस. बकवास बात है. मेरी नज़र में  तो किसी भी काम  सही ढंग से करने वाला प्रोफेशनल है. चाहे जूते गांठने वाला हो, चाहे बाल काटने वाला हो, चाहे नाली साफ़ करने वाला हो

जिस दिन समाज  में एक गटर साफ़ करने वाले जमादार और एक दांत साफ़ करने वाले डॉक्टर को बराबर सम्मान और बराबर इज्ज़त मिलने लगेगी, समझना समाज सही दिशा में है.

तुम्हें पता है वकील, डॉक्टर, चार्टर्ड-अकाउंटेंट को प्रोफेशनल कहा जाता है. मतलब अपने-अपने  प्रोफेशन के परफेक्ट  लोग. लेकिन असल में ऐसा बिलकुल नहीं  है. सबूत यह है कि ये अपने काम को 'प्रैक्टिस' करना बोलते हैं. यानि अपने काम की प्रैक्टिस कर रहे हैं. सही से सीखे नहीं है, प्रैक्टिस कर-कर के उसे ठीक से सीखने का प्रयास कर रहे हैं. वो प्रैक्टिस किस पर की जा रही है? आप पर

वर्तमान राजनीति पर एक दृष्टि

गॉडफादर फ़िल्म में डॉन कोर्लेओनी कहता है, " नजदीक के छोटे फायदे से दूर का बड़ा नुकसान भी होता हो तो भी ज्यादातर लोग नजदीक का फायदा चुनते हैं। क्योंकि लोग दूर-दृष्टि के रोग से पीड़ित होते हैं। क्योंकि लोग मूर्ख होते हैं।"

मैं सहमत हूँ, ये जो दिल्ली के लोग केजरीवाल को इसलिये वोट देते हैं कि वो ये चीज फ्री दे रहा है-वो चीज फ्री दे रहा है, वो लोग क्युटिये हैं। केजरीवाल मूर्ख है, जो गाँधी के 'ईश्वर अल्लाह तेरो नाम' के दर्शन को पकड़े है, बिना अल्लाह वालों से पूछे कि क्या वो भी यही मानते हैं या 'अल्लाह -हु-अकबर' मानते हैं।

इस्लाम किसी और दीन-धर्म को जगह नहीं देता. अल्लाह-हु-अकबर. अल्लाह है सबसे बड़ा. ला-इल्लाह-लिल्लाह. नहीं कोई पूजनीय अल्लाह के सिवा. बात खत्म. 

मेरी समझ यह है कि मुस्लिम कभी भी भाजपा को वोट नहीं देगा. उसे क्लियर है कि भाजपा मुस्लिम विरोधी है.  वो मोदी सरकार से मिले फायदे तो उठा लेगा लेकिन वोट फिर भी नहीं देगा बल्कि भाजपा को हराने के लिए हर सम्भव प्रयास करेगा लेकिन गैर-मुस्लिम बुद्धू है, वो केजरीवाल जैसे लोगों से मिल रहे फायदे में बह जाते हैं और उसे जिता देते हैं. वो इस्लाम के सामाजिक, वैचारिक, आर्थिक  खतरों को नहीं समझते. वो इडियट  हैं. वो दूर तक नहीं देख पाते.

जैसा मैंने लिखा ही है कि मुस्लिम कभी भाजपा को वोट नहीं देगा और मेरे मुताबिक दुनिया को इस्लाम की अंधेरी, गैर-वैज्ञानिक, अतार्किक व्यवस्था से बचाने का हर सम्भव प्रयास  किया जाना  चाहिये तो फिर फिलहाल गैर-मुस्लिम के पास सिवा भाजपा के कोई और विकल्प नहीं बचता.

 भाजपा सिवा मुस्लिम विरोध के मुद्दे के कहीं सही नहीं होती. फिर किया क्या जाए? फिलहाल वोट इन्हें ही दीजिये लेकिन वोट देने के बाद ज़िम्मेदारी खत्म मत समझिए. अपने इलाके के Councilor, MLA, MP को छित्तर मार-मार समझाएँ कि क्या काम करना है, कैसे करना है. इनको e-mail करें, फ़ोन करें, लेटर भेजें. वोट दे के सो मत जाएं. न इनको सोने दें. ये इडियट हैं, इडियट से जूते मार-मार काम लीजिए ~

Thursday 10 June 2021

https://www.jihadwatch.org/

https://www.jihadwatch.org/

इस वेबसाइट को खोलिए. इसके पहले पेज पर ही आपको एक बॉक्स दिखेगा राईट साइड में थोडा सा नीचे जा कर. 39226 Deadly attacks किये गए इस्लामिक टेररिस्ट ने 9/11 आक्रमण के बाद. इस बॉक्स को जब आप  क्लिक करेंगे तो यह आपको बतायेगा कि मई 2021 में 13 मुल्कों में 34 अटैक किये गये हैं जिनमें 149 लोग मारे गए हैं और 84 लोग घायल हुए हैं. आप कहेंगे कि हम कैसे मान लें कि यह वेबसाइट सही जानकारी दे सकती है? तो जवाब यह है कि यह एक खुली वेबसाइट है. अगर झूठ बोलती है तो अब तक भाई लोग इसे कब का बंद करवा चुके होते. आखिरकार 50 के आस-पास मुल्क हैं उनके. नहीं?

सफलता क्या है - मेरा नज़रिया

तुम्हारा सपना क्या होता है? सफलता क्या है तुम्हारी नजर में? खूब सारा पैसा. या फिर शोहरत. यही न. काफी है. इडियट हो तुम! सुशिल कुमार ने दो बार ओलिंपिक मैडल जीता. सब मिल गया था उसे. फिर भी एक लाख रुपये का इनामी भगोड़ा घोषित होने के बाद क़त्ल के केस में बंद है. ज़िंदगी में हार बर्दाश्त करना बहुत ज़रूरी है लेकिन उससे भी ज़रूरी जीत बर्दाश्त करना है. सुशील कुमार जीत हज़म नहीं कर पाया. उलटी कर दी. मेरी नज़र में सफलता हालात के मुताबिक विवेक से जीना है. चाहे हालात जैसे भी हों.

इन्सान उसकी प्रोपर्टी मात्र नहीं है

देखता हूँ, लोग आपस में मिलते हैं तो उनकी बातचीत घूम-फिर के अक्सर पैसे-प्रॉपर्टी पर केंद्रित हो जाती है. फिर वो एक दूसरे को पैसे-प्रॉपर्टी से ही तौलते हैं. 

क्या आपको पता है मैंने सैकड़ों लेख लिखे हैं, बीसियों कहानियां लिखी हैं, कुछ कविताएं और कुछ यात्रा संस्मरण भी? सब है वेब पे. अब यह सब ऐसे ही तो नहीं लिख मारा होगा. बहुत कुछ पढा, बहुत कुछ गढ़ा और घड़ा, बहुत कुछ जीया, बहुत कुछ सीखा तभी तो कुछ लिखा. लेकिन जब कोई मुझे पैसे-प्रॉपर्टी से आँकना चाहता है तो मुझे वो सिर्फ चूतिया लगता है.

एक इन्सान सिर्फ उसका धँधा या उसकी प्रॉपर्टी ही नहीं होता, उससे कहीं ज़्यादा, कहीं इतर भी होता है, हो सकता है. वो वैज्ञानिक, साहित्यकार, खिलाड़ी, पेंटर, मूर्तिकार या फिर कुछ और भी हो सकता है ~~ तुषार कॉस्मिक