So much spam!
Thoughts, not bound by state or country, not bound by any religious or social conditioning. Logical. Rational. Scientific. Cosmic. Cosmic Thoughts. All Fire, not ashes. Take care, may cause smashes.
Thursday, 2 June 2022
Spammy World
Sunday, 29 May 2022
Flipkart की ऐसी की तैसी/ Online शॉपिंग के नुक्सान
फायदे भी हैं, वो फिर कभी. आज नुक्सान और दिक्कतें.
मेरे व्यक्तिगत अनुभव के साथ.
Flipkart से जूते मँगवा लिए भई. Adidas. पैसे दिए गए. डिलीवर हो गए. जब पहने तो टाइट. तुरत return के लिए डाल दिए.
Pickup करने जो आया तो वो ले ही नहीं गया. बोला इस में जो बार कोड है, वो मैच नहीं कर रहा. हम ने फिर pickup के लिए डाला.
अब एक लड़की आई. वो तो over-smart. बोली इस में original डब्बा नहीं है कंपनी का. हम ने कहा. "डब्बा जो मिला उसी पर स्टीकर लगा है, जिस पर सारी राम कहानी छपी है." लेकिन नहीं, वापिस छोड़ गयी.
फिर Flipkart को सम्पर्क करने का प्रयास किया. तो आप सीधा तो फ़ोन कर ही नहीं सकते. आप रिक्वेस्ट डालते हो callback की और फिर वो वापिस फोन करते हैं. मैंने सारी कथा बांच दी. अगले ने कहा, Higher Authority बात करेगी. मैंने कहा, "करवाओ बात." उस ने कहा, "Callback आएगा. "
ठीक है. मतलब आप सीधा तो बात भी नहीं कर सकते. अगलों को जब सुविधा होगी, वो फोन करेंगे. उन का फोन आया, तो मैं स्कूटी चला रहा था, नहीं हुई बात. फिर complaint की. लेकिन बात हो ही नहीं पाई Higher Authority से.
मैं हैरान! "क्या बात करनी है, उन्होंने मुझ से?" मैं सब तो बता चुका. जूतों की, डब्बों की फोटो तक भेज चुका था.
फिर मुझे इ-मेल आया कि मैं अपना id भेजूं, फिर पैसे रिफंड मिलेंगे. बढ़िया! बैंक अकाउंट डिटेल पहले ही ले चुके थे वो. अब id भी चाहिए थी.
खैर, मैंने वोटर कार्ड भेज दिया. Pickup करने वही लड़की आई , लेकिन फिर छोड़ गयी. वो लोग अब सिर्फ ड्रामा कर रहे थे. जूता वापिस नहीं लेना था. सो नहीं लिया.
मैंने लिखा, "मैं सोशल मीडिया पर लिखूंगा."
लेकिन उन को कतई कोई परवा थी ही नहीं. मेरे पैसे मिटटी हो गए.
अब पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो ऐसा लगता है कि Flipkart Seller ने जानबूझ कर गलत Bar Code लगाया होगा, जानबूझ कर Original Box नहीं दिया होगा ताकि प्रोडक्ट वापिस न हो पाए. Flipkart ने जानबूझ कर ऐसा कर रखा है कि ग्राहक डायरेक्ट इन को e-mail न कर पाए, फोन न कर पाए. सब कण्ट्रोल अपने हाथ में रख रखा है.
कुल कहानी यह है कि हमारे पैसे पहले चले जाते हैं. अब प्रोडक्ट खराब निकले तो हम इन की दया दृष्टि पर निर्भर होते हैं. पैसे वापिस मिलें न मिलें. ऐसे में नतीजा यह निकाला कि ऑनलाइन शॉपिंग बहुत ही ध्यान से करो और बहुत ही कम करो.
आप अपना एक्सपीरियंस लिखें. मुझे बहुत ही गुस्सा है flipkart के खिलाफ. इन कि तो ऐसी की तैसी.
तुषार कॉस्मिक
Monday, 23 May 2022
व्यायाम और ध्यान (Meditation) का सम्बन्ध
Thursday, 19 May 2022
हिन्दू लोग खुद को शांतिप्रिय मानते हैं. ...सच में क्या?

इन्सान अपनी लानतें अपने कुत्तों पे भी भेज रहा है.
खाना कम नहीं करो ....शारीरिक श्रम बढ़ाओ...फिर खाना खाते हुए भी सोचोगे कि बहुत मेहनत करनी पड़ती है.....सो थोडा हिसाब से खाओ.....यह है तरीका...वो भी खाना घटाने का नहीं, बस बदलने का होता है.....जैसे घास फूस बढ़ाओ खाने में........फल-फूल-पत्ते ज़्यादा खाओ....जैसे चौपाये खाते हैं......फिर मिला जुला अनाज खाओ....जैसे पक्षी खाते हैं...तुम ने कोई जानवर, कोई पक्षी मोटा देखा?.. जो हैं, तो वो इंसानों की कुसंग की वजह से. मैंने देखें हैं पालतू कुत्ते जिन से चला तक नहीं जाता, इतने मोटे हैं. इन्सान अपनी लानतें अपने कुत्तों पे भी भेज रहा है. जानवरों से, पंछियों से सीखो. वो अभी इंसानी मूर्खताओं से दूर हैं. ~ तुषार कॉस्मिक
Tuesday, 17 May 2022
ज्ञानवापी मस्जिद???
भसड़ मची है. काशी की ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर तोड़ के बनाई गयी थी या नहीं. मेरी राय. देखिये पहली तो बात यह है कि मुस्लिम मूर्तिभंजक है. सबूत देता हूँ. 2001 में बामियान में बुद्ध की विशालकाय मूर्तियाँ डायनामाइट लगा तोड़ीं गईं. कुतब मीनार के पास मस्जिद है, वो कई जैन मंदिर तोड़ बनाई गयी. अजमेर में "अढाई दिन का झोपड़ा" नाम की मस्जिद है. अढाई दिन में मन्दिर तोड़ मस्जिद में तब्दील की गयी थी. मंदिर के अवशेष अभी रखे हैं वहां. ये बस चंद मिसाल हैं.....
आप ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि देखी है, इस की ठीक साथ सटा के मस्जिद बनाई गयी है. ऐसी ही ज्ञान वापी मस्जिद दिखती है, मंदिर से सटा के बनाए गयी. मस्जिद का नाम "ज्ञानवापी" ही एक हिन्दू नाम है. दूसरी बात ऐसा हो नहीं सकता कि एक कौम जो मूर्तिभंजक है, वो मूर्ती पूजकों के पूजा स्थलों को बख्श दे. मेरी मोटा-मोटी समझ यह है कि निश्चित ही बहुत से मन्दिर तोड़ मस्जिद बनाए गयी होंगीं.
तो अब क्या किया जाए? मेरी समझ के मुताबिक मंदिर और मस्जिद का धर्म से तो कोई लेना-देना है नहीं. यह मंदिर-मस्जिद की लड़ाई गिरोहों के वर्चस्व की लडाई. इन में इस्लाम सब से ज़्यादा आक्रामक है. सो इस्लाम की क्रिया की प्रतिक्रिया तो ज़रूरी है ही.
जबरन किये गए कृत्य, चाहे कभी भी किये गए हों, किसी ने भी किये हों, किसी भी गिरोह ने किये हों, अब इस दुनिया में बर्दाश्त नहीं होंगें, यह संदेश इस्लाम को ही नहीं, पूरी दुनिया को जाना ज़रूरी है. ~ तुषार कॉस्मिक
Wednesday, 11 May 2022
रोटी कपड़ा और मकान, जीवन की तीन पहली ज़रूरतें हैं~ सच में?
आपकी धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएँ आहत होना इस बात का सबूत नहीं है कि आप सही हैं।
क्योंकि लोगों की धार्मिक भावनाएँ तो तब भी आहत हुई थी, जब गैलीलियो ने कहा था कि पृथ्वी गोल है, जब राजाराम मोहन राय ने सती प्रथा का विरोध किया था, जब ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवाओं के पुनर्विवाह का समर्थन किया था और जब सावित्रीबाई फुले एक भारतीय विदुषी ने लड़कियों और दलितों के लिये पहले -पहल स्कूल की स्थापना की थी।
गहरे में देखें तो श्रीलंका संकट पूरी दुनिया के लिए शुभ है
श्रीलंका में यह जो मंत्री पीटे जा रहे हैं न, बिलकुल सही किया जा रहा है. नकली महामारी से आम-जन का जीना हराम कर दिया. सब मिले हुए हैं मंत्री से लेकर संतरी. ये क्या अंधे थे जिन्होंने बिना कोई सबूत, बिना कोई सोच-समझ पूरे मुल्क को lockdown में झोंक दिया? Lockdown का नतीजा ही है आर्थिक संकट. वो संकट जो इन नेता लोगों की मूर्खताओं की वजह से पूरी दुनिया के आम-जन को झेलना पड़ रहा है. इन के साथ ऐसा ही होना चाहिए. दुनिया भर में.
इन दो सवालों से सारी सामाजिक व्यवस्था भरभरा कर गिर जायेगी
मात्र 2 सवाल और एक तिहाई दुनिया की व्यवस्था गिर जाएगी.
क्या हैं वो सवाल?
समझिये, अधिकांश दुनिया मानती है कि कोई शक्ति है जिसने दुनिया बनाई है, जो दुनिया को चला रही है. और ध्यान, प्रार्थना, आरती, अरदास, नमाज़ से इस शक्ति से मदद ली जा सकती है.
इन से पूछिए, यदि दुनिया को बनाने वाला कोई है तो फिर उस बनानें वाले को बनाने वाला कौन है, फिर उस बनाने वाले को बनाने को बनाने वाला कौन है.....?
और
यदि ईश्वर/गॉड अपने आप अस्तित्व में आ सकता है तो यह दुनिया, यह कायनात क्यों नहीं? यह है पहला सवाल.
दूसरा सवाल यह है, तुम्हारे पास क्या सबूत है कि तुम्हारे कीर्तन, तुम्हारी प्रार्थना, नमाज़, आरती, विनती, उस परम शक्ति तक पहुँचती है और वो परम शक्ति उस के मुताबिक कोई रिस्पांस देती ही है?
तुम देखोगे, तुम्हारे इन दो सवालों का इन के पास कोई जवाब नहीं होगा.
तुम देखोगे, इन दो सवालों से सारी सामाजिक व्यवस्था भरभरा कर गिर जायेगी. और यह गिर ही जानी चाहिए. ~ तुषार कॉस्मिक