Thoughts, not bound by state or country, not bound by any religious or social conditioning. Logical. Rational. Scientific. Cosmic. Cosmic Thoughts. All Fire, not ashes. Take care, may cause smashes.
Monday, 23 May 2022
व्यायाम और ध्यान (Meditation) का सम्बन्ध
Thursday, 19 May 2022
हिन्दू लोग खुद को शांतिप्रिय मानते हैं. ...सच में क्या?
इन्सान अपनी लानतें अपने कुत्तों पे भी भेज रहा है.
खाना कम नहीं करो ....शारीरिक श्रम बढ़ाओ...फिर खाना खाते हुए भी सोचोगे कि बहुत मेहनत करनी पड़ती है.....सो थोडा हिसाब से खाओ.....यह है तरीका...वो भी खाना घटाने का नहीं, बस बदलने का होता है.....जैसे घास फूस बढ़ाओ खाने में........फल-फूल-पत्ते ज़्यादा खाओ....जैसे चौपाये खाते हैं......फिर मिला जुला अनाज खाओ....जैसे पक्षी खाते हैं...तुम ने कोई जानवर, कोई पक्षी मोटा देखा?.. जो हैं, तो वो इंसानों की कुसंग की वजह से. मैंने देखें हैं पालतू कुत्ते जिन से चला तक नहीं जाता, इतने मोटे हैं. इन्सान अपनी लानतें अपने कुत्तों पे भी भेज रहा है. जानवरों से, पंछियों से सीखो. वो अभी इंसानी मूर्खताओं से दूर हैं. ~ तुषार कॉस्मिक
Tuesday, 17 May 2022
ज्ञानवापी मस्जिद???
भसड़ मची है. काशी की ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर तोड़ के बनाई गयी थी या नहीं. मेरी राय. देखिये पहली तो बात यह है कि मुस्लिम मूर्तिभंजक है. सबूत देता हूँ. 2001 में बामियान में बुद्ध की विशालकाय मूर्तियाँ डायनामाइट लगा तोड़ीं गईं. कुतब मीनार के पास मस्जिद है, वो कई जैन मंदिर तोड़ बनाई गयी. अजमेर में "अढाई दिन का झोपड़ा" नाम की मस्जिद है. अढाई दिन में मन्दिर तोड़ मस्जिद में तब्दील की गयी थी. मंदिर के अवशेष अभी रखे हैं वहां. ये बस चंद मिसाल हैं.....
आप ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि देखी है, इस की ठीक साथ सटा के मस्जिद बनाई गयी है. ऐसी ही ज्ञान वापी मस्जिद दिखती है, मंदिर से सटा के बनाए गयी. मस्जिद का नाम "ज्ञानवापी" ही एक हिन्दू नाम है. दूसरी बात ऐसा हो नहीं सकता कि एक कौम जो मूर्तिभंजक है, वो मूर्ती पूजकों के पूजा स्थलों को बख्श दे. मेरी मोटा-मोटी समझ यह है कि निश्चित ही बहुत से मन्दिर तोड़ मस्जिद बनाए गयी होंगीं.
तो अब क्या किया जाए? मेरी समझ के मुताबिक मंदिर और मस्जिद का धर्म से तो कोई लेना-देना है नहीं. यह मंदिर-मस्जिद की लड़ाई गिरोहों के वर्चस्व की लडाई. इन में इस्लाम सब से ज़्यादा आक्रामक है. सो इस्लाम की क्रिया की प्रतिक्रिया तो ज़रूरी है ही.
जबरन किये गए कृत्य, चाहे कभी भी किये गए हों, किसी ने भी किये हों, किसी भी गिरोह ने किये हों, अब इस दुनिया में बर्दाश्त नहीं होंगें, यह संदेश इस्लाम को ही नहीं, पूरी दुनिया को जाना ज़रूरी है. ~ तुषार कॉस्मिक
Wednesday, 11 May 2022
रोटी कपड़ा और मकान, जीवन की तीन पहली ज़रूरतें हैं~ सच में?
आपकी धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएँ आहत होना इस बात का सबूत नहीं है कि आप सही हैं।
क्योंकि लोगों की धार्मिक भावनाएँ तो तब भी आहत हुई थी, जब गैलीलियो ने कहा था कि पृथ्वी गोल है, जब राजाराम मोहन राय ने सती प्रथा का विरोध किया था, जब ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवाओं के पुनर्विवाह का समर्थन किया था और जब सावित्रीबाई फुले एक भारतीय विदुषी ने लड़कियों और दलितों के लिये पहले -पहल स्कूल की स्थापना की थी।
गहरे में देखें तो श्रीलंका संकट पूरी दुनिया के लिए शुभ है
श्रीलंका में यह जो मंत्री पीटे जा रहे हैं न, बिलकुल सही किया जा रहा है. नकली महामारी से आम-जन का जीना हराम कर दिया. सब मिले हुए हैं मंत्री से लेकर संतरी. ये क्या अंधे थे जिन्होंने बिना कोई सबूत, बिना कोई सोच-समझ पूरे मुल्क को lockdown में झोंक दिया? Lockdown का नतीजा ही है आर्थिक संकट. वो संकट जो इन नेता लोगों की मूर्खताओं की वजह से पूरी दुनिया के आम-जन को झेलना पड़ रहा है. इन के साथ ऐसा ही होना चाहिए. दुनिया भर में.
इन दो सवालों से सारी सामाजिक व्यवस्था भरभरा कर गिर जायेगी
मात्र 2 सवाल और एक तिहाई दुनिया की व्यवस्था गिर जाएगी.
क्या हैं वो सवाल?
समझिये, अधिकांश दुनिया मानती है कि कोई शक्ति है जिसने दुनिया बनाई है, जो दुनिया को चला रही है. और ध्यान, प्रार्थना, आरती, अरदास, नमाज़ से इस शक्ति से मदद ली जा सकती है.
इन से पूछिए, यदि दुनिया को बनाने वाला कोई है तो फिर उस बनानें वाले को बनाने वाला कौन है, फिर उस बनाने वाले को बनाने को बनाने वाला कौन है.....?
और
यदि ईश्वर/गॉड अपने आप अस्तित्व में आ सकता है तो यह दुनिया, यह कायनात क्यों नहीं? यह है पहला सवाल.
दूसरा सवाल यह है, तुम्हारे पास क्या सबूत है कि तुम्हारे कीर्तन, तुम्हारी प्रार्थना, नमाज़, आरती, विनती, उस परम शक्ति तक पहुँचती है और वो परम शक्ति उस के मुताबिक कोई रिस्पांस देती ही है?
तुम देखोगे, तुम्हारे इन दो सवालों का इन के पास कोई जवाब नहीं होगा.
तुम देखोगे, इन दो सवालों से सारी सामाजिक व्यवस्था भरभरा कर गिर जायेगी. और यह गिर ही जानी चाहिए. ~ तुषार कॉस्मिक
Monday, 9 May 2022
लड़का हिन्दू और लड़की मुस्लिम. प्रेम. शादी. यह बरदाश्त ही नहीं है, इस्लाम में
नागराजू का क़त्ल कर दिया गया सुल्ताना के भाई द्वारा. दिन दिहाड़े. हैदराबाद की सड़क पर.
लड़का हिन्दू और लड़की मुस्लिम. प्रेम. शादी. यह बरदाश्त ही नहीं है, इस्लाम में. चूँकि अब बच्चे हिन्दू हो जायेंगे. मुस्लिम समाज की संख्या कमतर हो जाएगी. इस्लाम तो पलता-पनपता ही संख्या बल पर है.
हां, यदि उल्टा होता तो स्वागत है. लड़की ब्याह लायें हिन्दू की तो स्वागत है. चूँकि अब बच्चे मुस्लिम होंगें. संख्या बल बढ़ेगा. अल्लाह-हू-अकबर !
~ तुषार कॉस्मिक
Saturday, 7 May 2022
आज बच्चे वीडिओ गेम खेलते देखता हूँ तो मन खिन्न हो जाता है
मैं पैदाईश हूँ वीडियो गेम के पहले की. हम पतंग उड़ाते थे, गलियों में कंचे खेलते थे, कभी ताश भी, कभी गुल्ली डंडा. धूप, गर्मी, हवा में. और कभी बारिश में भी. आज बच्चे वीडिओ गेम खेलते देखता हूँ तो मन खिन्न हो जाता है. आँखें और हाड-गोड्डों के जोड़ ही नहीं बुद्धि भी खराब कर लेंगे. कल आप को रोबोट मिल जायेंगे सेक्स तक करने के लिए. लेकिन याद रखना नकली खेल, नकली सेक्स, नकली प्रेम नकली ही रहेगा. विडियो गेम से यदि ड्राइविंग सीखने में मदद मिलती हो तो ठीक है लेकिन इसे असल ड्राइविंग समझने की भूल करेंगे तो मारे जायेंगे. नकली को असली की जगह मत लेने दीजिये.~तुषार कॉस्मिक
Sunday, 1 May 2022
सोशल मीडिया और उल्लू के ठप्पे लोग
सोशल मीडिया ने सब को अपनी बात-बकवास कहने का मंच दिया है.