मैं सब धार्मिक किताबों को नकारता हूँ. इसलिए नहीं कि वो ग़लत हैं. न. वो ग़लत भी हैं और सही भी हैं. कहीं ग़लत, कहीं सही. कुछ बहुत गलत, कुछ बहुत सही. दिक्कत यह है कि इन्सान ने इन किताबों को किताबों की तरह नहीं देखा. पवित्र ग्रन्थों की तरह देखा है. कोई बस मत्थे टेके जा रहा है, कोई बस पाठ ही किये जा रहा है, कोई तो इन के खिलाफ़ बोलने वाले को कत्ल ही कर देता है, कोई दंगा खड़ा कर देता है. सो इन ग्रन्थों ने जितना इन्सान का नुक्सान किया है शायद किसी भी अन्य चीज़ ने नहीं. इन ग्रन्थों ने इंसानी सोच को बाँध दिया है. ये ग्रन्थ पाश साबित हुए हैं इंसानी सोच के लिए. इन्सान पशु से उठा लेकिन फिर इन ग्रन्थों से बंध पशु से भी नीचे गिर गया. ~तुषार कॉस्मिक
Thoughts, not bound by state or country, not bound by any religious or social conditioning. Logical. Rational. Scientific. Cosmic. Cosmic Thoughts. All Fire, not ashes. Take care, may cause smashes.
Monday, 21 February 2022
Motive of my writings
I m not gonna give u any readymade solutions or even conclusions.
No. My solutions and conclusions might be wrong. Rubbish. Garbage. And my conclusions are after all my conclusions. How can those be beneficial to you? I am me and you are you. I am not you and you are not me.
Then what? My whole job is to confuse you. Induce you to debate. Debate on each and every issue of life. Debate not only with others but with yourself. Especially with yourself. That confusion, that debate may give birth to the Clarity. That clarity shall be yours. Got it? ~ Cosmic
नकली व्यापार
दो लड़के. बेरोज़गार. परेशान. फिर दिमाग की बत्ती जली. अब वो शहर-शहर जाते. देर रातों में. लोगों के घरों की खिड़कियों पर मिट्टी पोत देते. फिर कुछ दिन बाद दिन में फेरी लगाते,"दरवाजे, खिड़कियाँ साफ करवा लो." ऐसे दाल-दलिया मिलने लगा.
आदिवासियों के गाँव में शहर का राजनेता पहुँच भाषण झाड़ने लगा, हम तुम्हारी सारी समस्याएँ सुलझा देंगे."
एक बुड्ढा आदिवासी बोला, "लेकिन हमें तो कोई समस्या है नहीं, हम तो खुश हैं."
नेता बोला,"कोई बात नहीं, अब हम आ गए हैं."
समझे? समस्या नहीं है तो समस्या पैदा करो. फिर हल पेश करो और नाम-दाम कमाओ.
यही एलोपैथी करती है. कोरोना है नहीं, लेकिन पैदा करो, नकली ही सही, पैदा करो. फिर वैक्सीन दो, लॉक-डाउन थोपो.~ तुषार कॉस्मिक
नकली माफ़ीनामा
"अच्छा मुझ से कोई गलती हुई हो तो मैं माफी मांगता हूँ." वो बोला
"भूतनी के, यह क्या होता है? अगर मुझ से गलती हुई हो तो..? मतलब अगर गलती हुई हो तो तू माफी माँग रहा है. गलती मान कहाँ रहा है बे तू? तू तो गुंजाईश छोड़े जा रहा है कि शायद गलती न भी हुई हो....और यदि नहीं भी हुई हो तो भी माफ़ी माँग रहा है. हमें नहीं चाहिए तेरा ऐसा माफ़ीनामा. चल हट." ~ मैंने कहा'
~ तुषार कॉस्मिक
दोस्त?
"वो मेरा दोस्त है." ~ गुप्ता जी कौशिक के घर से निकलते हुए बोले.
"लेकिन वो तो आपको तू-तडांग कर रहे थे." ~ मैंने कहा.
"दोस्त है, कोई बात नहीं, चलता है."
"लेकिन आप तो उन को आप- आप , जी-जी कर रहे थे?"
"यारी-दोस्ती में सब चलता है..."
"झूठ बोल रहे हैं, गुप्ता जी. यदि वो आप का दोस्त होता तो आप भी उसे तू- तडांग ही कर रहे होते. या शायद गाली-गलौच भी. बराबर का."
"क्या आप कर सकते हैं ऐसा?"
"नहीं."
"तो मान जाइए न कि आप के लिए कौशिक सिर्फ एक क्लाइंट है, मोटा क्लाइंट, जिस की जी-हजूरी करना आप की खुद की ओढी हुई मजबूरी है."
तुषार कॉस्मिक
Sunday, 20 February 2022
आखिरी मकसद
मेरे छोटे-बड़े कई लेख हैं. 900 से भी ज़्यादा. सब ऑनलाइन. क्या है मकसद? क्या अपने विचार, अपनी सोच को थोपना मकसद है मेरा? नहीं. कतई नहीं. मकसद एक बहस खड़ी करना है. हर छोटे-बड़े मुद्दे पर. लेकिन यह आखिरी मकसद नहीं है. अंतिम उद्देश्य है बहस करने वाला मनस खड़ा करना. लॉजिकल. सतर्क. तार्किक मनस. यह है मेरा उद्देश्य. बस. यदि मनुष्य तर्कपूर्ण है, सतर्क है तो हल खुद ढूँढ लेगा. किसी और के दिए हल वैसे भी ज़रूरी नहीं आप के काम आयें. और कुरान, पुराण, ग्रन्थ के हल तो बिलकुल नहीं. चूँकि वहाँ तो अंध-श्रधा जुड़ी रहती है. तर्क तो जूते के साथ पहले ही बाहर रख छोड़ा होता है. मुझे इस मनस को नष्ट-भ्रष्ट करना है. मुझे सतर्क मनुष्य चाहिए. ~ तुषार कॉस्मिक
Lockdown is Fraud
मुझे अभी पीछे ही पता लगा कि कमरों के अंदर और बाहर की हवा में एक बड़ा फर्क यह होता है कि indoor हवा में बाहर की हवा की अपेक्षा नमी बहुत कम होती है और ये नमी की कमी नज़ले को बहुत ही ख़तरनाक तरीक़े से बढ़ाती है. इसीलिए लोग कमरों में Humidifier रखने लगे हैं. मैं भी रखता हूँ. यह कमरों की हवा में नमी बढाने का कृत्रिम ढँग है.अब असली पॉइंट. कोरोना लॉन्च करने वाले शैतानों को सम्भवत: यह पता था. तभी जुक़ाम को कोरोना घोषित किया गया और घरों में कैद कर दिया गया ताकि जल्दी ठीक ही न हो सके. ~ तुषार कॉस्मिक
Saturday, 19 February 2022
गोरों के लगभग हर मुल्क में आग लगी है. उन्हें समझ आ चुका है कोरोना का ड्रामा.
गोरों के लगभग हर मुल्क में आग लगी है. लोग सड़कों पर हैं. उन्हें समझ आ चुका है कोरोना का ड्रामा. कोरोना की आड़ में गुलाम बनाया जा रहा है. कमाने-खाने, घूमने-फिरने, मित्रों-रिश्तेदारों से मिलने की आज़ादी छीनी जा रही है. ठीक से सांस तक लेने का हक छीना जा रहा है. अफ़सोस यह है भारत की इत्ती बड़ी आबादी चूतियों की तरह वैक्सीन ठुकवाये जा रही है. इन का इस आज़ादी की मुहिम में लगभग शून्य योगदान है. कोरोना योद्धा तुम्हारे सरकारी हीरो नहीं हैं, मेरे जैसे लोग हैं जो तुम्हे शुरू से बताते आये हैं कि यह फ्रॉड है. ~ तुषार कॉस्मिक
The value of Low Profile Social Accounts
यदि आप सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं लेकिन आप के पढ़ने वाले, सुनने वाले, देखने वाले बहुत ज़्यादा नहीं हैं तो मायूस न हों. बहुत बड़ा योगदान हो सकता है आपका दुनिया की बेहतरी में. कैसे? बड़े प्रोफाइल वाले लोग कुछ भी हाहाकारी कहें तो बवाल मच जाता है. लोग सड़क पे उतर आते हैं, कोर्ट चले जाते हैं, ज़रा-ज़रा सी बात ले कर. सो उन के लिए मुश्किल है. लेकिन Low Profile social media account से आप कैसी भी बात कह सकते हैं. जल्दी कुछ नहीं होगा और आप की बात भी समाज तक पहुँच जाएगी. प्रसिद्ध लोगों को भी नकली अकाउंट बना के अपनी असल बात पहुँचानी चाहिए दुनिया के सामने और शायद वो करते भी हों ऐसा. ~तुषार कॉस्मिक
क्या आप जीतना चाहते हो जिंदगी में
क्या आप जीतना चाहते हो जिंदगी में? मूलमंत्र दे रहा हूँ. हारना सीखो. आप ने देखा होगा लोग सिर्फ जीतने वालों के लिए तालियाँ बजाते हैं लेकिन मेरी नज़र में जिन्होंने भी दौड़ में हिस्सा लिया वो सब विजेता होते हैं चूँकि वो नहीं दौड़ते तो फिर जीतने वाला विजेता कैसे कहलाता? और जो आज हार रहा है कब अपनी हार से सीख-सीख वो भी जीत जाए किसे पता? असल में तो जीतने का तरीका ही यही है कि हार के डर से खेल से दूर मत भागो, खेल खेलो और हार भी जाओ तो खेल छोड़ो मत, खेलते रहो, जीत ही जाओगे...तुषार कॉस्मिक
Saturday, 12 February 2022
जो समाज जितना अपने ग्रन्थों से बंधा होगा उतना ही हैरान-परेशान होगा
घोड़ा यदि गाड़ी के पीछे बंधा हो तो गाड़ी आगे कैसे चलेगी? नज़र आपकी रियर व्यू मिरर पर ही लगी रहे तो ड्राइव कैसे कर पाएंगे?
कभी-कभार पीछे देखना हो तो ठीक है लेकिन हमेशा पीछे देखते रहना एक्सीडेंट ही करवा देगा. लेकिन आप वही करते हैं. आप जीवन को देखने, समझने, जीने के लिए, जीवन की गाड़ी आगे हाँकने के लिए सदियों, सहस्त्राब्दियों पुराने ग्रन्थ, क़ुरान, पुराण में ही झांकते रहते हैं. जो समाज जितना अपने ग्रन्थों से बंधा होगा उतना ही हैरान-परेशान होगा. मुस्लिम समाज इस का ज़िंदा मिसाल है. ~ तुषार कॉस्मिक
जिस ने खाया पीया नहीं, वो क्या जीया.वो इस धरती पे आया ही क्यों?
मैं सुबह सवेरे पश्चिम विहार, दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट पार्क में होता हूँ. नशे कभी किये नहीं. माँस भी नहीं खाता. एक मित्र कह रहे थे, जिस ने खाया पीया नहीं, वो क्या जीया.वो इस धरती पे आया ही क्यों, यदि उस ने जीवन को एन्जॉय न किया. इन की नज़र में जीवन खाना-पीना ही है. इन के लिए शेक्सपियर का साहित्य, पंडित बिरजू महाराज का नृत्य, ज़ाकिर हुसैन का तबला, नुसरत साहेब की कव्वाली, ओशो के प्रवचन क्या माने रखते हैं? इन के लिए जीवन की कलात्मकता और वैज्ञानिकता दारू पीने और माँस खाने तक सीमित है. आइंस्टीन और न्यूटन क्या माने रखते हैं? ध्यान तो बहुत ही दूर की बात है. बुद्ध तो बुत से ज़्यादा न होंगें इन के लिए. प्राणायाम भी करते हैं तो इसलिए कि मुर्गे और फाड़ सकें बोतलें और खाली कर सकें. करें न करें, लेकिन और भी बहुत कुछ है ज़माने में. ~ तुषार कॉस्मिक
इंसान अपनी कब्र खुद अपने दाँतों से खोदता है.
पुरानी कहावत है,"इंसान अपनी कब्र खुद अपने दाँतों से खोदता है."
मतलब यदि बुद्धि से संयम से खाओगे तो भोजन "तुम" खाओगे वरना भोजन तुम्हें खा जाएगा.
चलो जाओ अब icecream, pizza, burger, मैदा, चीनी खाओ. चूतिया लोग.
तुषार कॉस्मिक
काफ़िर लोगों में रहना ही क्यों?
मुल्क का बंटवारा हो ही गया था, मुस्लिम ने अलग मुल्क ले ही लिया था तो मुस्लिम को भारत में रहना ही नहीं चाहिए था. काफ़िर लोगों में रहना ही क्यों? बंटवारे के बाद सैंकड़ों दंगे हो चुके हिन्दू-मुस्लिम के. लाखों लोग मारे जा चुके. और सारी राजीनीति मुस्लिम/गैर-मुस्लिम मुद्दों के गिर्द घूमती रहती है. राजनीतिक ही नहीं सामाजिक ऊर्जा का बड़ा भाग भी इन्हीं मुद्दों में उलझा हुआ है. पाकिस्तान पाक-स्थान है.खुशहाल मुल्क. मुस्लिम वहीँ जाते तो खुशहाल रहते और पीछे भारत भी कहीं खुशहाल होता. इस की ऊर्जा, बुद्धि, समय बहुत से फ़िज़ूल मुद्दों में न फँसता.~ तुषार कॉस्मिक
भारत में भी इसे मुद्दा बनाओ ~ नकली बीमारी कोरोना हटाओ, वोट पाओ.
कनाडा में सिक्ख भी साथ दे रहे हैं ट्रक वालों का जिन्होंने PM जस्टिन ट्रुडो का घर घेर रखा है.
सब का नारा है,"नकली बीमारी कोरोना के नाम पर लगाई पाबंदियां हटाओ."
भारत में भी इसे मुद्दा बनाओ मूर्खो.
तुषार कॉस्मिक
3 types of ages
There are 3 types of ages.
Chronological. Biological. And Mental.
For example...
Chronologically I am above 40 years.
Biologically I am around 25.
And Mentally I am more than 200 years of age.
Got it? If not, read again and again.
~ Tushar Cosmic
आप मशीन हो. सच्ची. आप मशीन हो.
आप मशीन हो. सच्ची. आप मशीन हो.
वर्षों पहले मैंने Landmark Forum अटेंड किया था. इस्कॉन टेंपल साउथ दिल्ली में.
हमारे टीचर ने कहा कि forum खत्म होते-होते एक चमत्कार होगा. सब हैरान! वो चमत्कार क्या होगा? वो चमत्कार यह था कि उन्होंने साबित कर दिया कि इंसान मशीन है. औऱ सब मान गए कि हाँ, हम मशीन हैं.
मशीन औऱ इन्सान में फर्क क्या है? यही कि मशीन को जैसे चलाया जाता है, वो वैसे चलती जाती है.
तो क्या इंसान भी वैसे ही हैं?
जी हां, वैसे ही हैं.
हालाँकि सब जान-वारों में इंसान के पास सब से ज़्यादा Freewill, बुद्धि है बावजूद इस के इन्सान बड़ी जल्दी मशीन में तब्दील हो जाता है. वो बड़ी जल्दी सम्मोहित हो जाता है. वो बड़ी जल्दी अपने तर्क को सरेंडर कर देता है. वो बड़ी जल्दी सतर्क से तर्क-हीन हो जाता है. फिर ता-उम्र वो वही करता है, वैसे ही जीता है जैसा सम्मोहन उसे मिला होता है.
इस की सीधी मिसाल है, हिन्दू घर का बच्चा हिन्दू हो जाता है, मुस्लिम का बच्चा मुस्लिम और सिक्ख का बच्चा सिक्ख. मशीन. किस्म किस्म की मशीन. अब उस की सारी राजनितिक सामाजिक सोच मशीनी होगी. हिन्दू भाजपा को वोट देगा और मुस्लिम भाजपा के खिलाफ़. सब मशीनी है. हिन्दू गाय को पूजेगा, मुस्लिम खा जायेगा. सब मशीनी है. इन को लगता है कि ये सब स्वतंत्र सोच का मालिक है लेकिन ऐसा है नहीं. सब मिले हुए सम्मोहन के गुलाम हैं.
ऐसे ही किसी ने आप को बचपन में कह दिया कि आप मंद-बुद्धि हो और यदि वो कथन आप के ज़ेहन ने पकड़ लिया तो बस हो गया बंटा-धार.
मुझे याद है, मैं आठवीं तक बहुत ही साधारण सा स्टूडेंट था. लेकिन पता नहीं कब एक टीचर ने कह दिया कि मैं इंटेलीजेंट हूँ. बस वो कथन मेरे ज़ेहन में फिक्स हो गया और मैं हर इम्तेहान टॉप करने लगा. .
ध्यान से देखें, कहीं आप के ज़ेहन ने भी तो कोई कथन, कोई पठन , कोई दृश्य पकड़ अपना बेडा गर्क तो नहीं कर रखा. ध्यान से पीछे झांकिए. बहुत कुछ मिलेगा. जिस ने आप को इन्सान से मशीन में बदला हो सकता है.
इस मशीनी-करण को तोड़िए.
यदि सीधे हाथ से लिखते हैं तो कभी उलटे हाथ से लिखिए. लेफ्ट चलते हैं तो कभी राईट चलिए. सीधे चलते हैं तो कभी उलटे चलिए, साइड-साइड चलिए. गुरूद्वारे जाते हैं तो मन्दिर भी जाईये और मन्दिर जाते हैं तो मस्ज़िद भी जाएँ. आस्तिक है तो नास्तिकों को पढ़िए. नास्तिक हैं तो आस्तिकों के तर्क पढ़िए, सुनिए. मुस्लिम हैं तो एक्स-मुस्लिम को सुनिए.
अपनी सोच के खिलाफ सोचिये. अपने जीवन के ढर्रे को तोड़िए.
तभी आप कह पायेंगे कि नहीं, मैं मशीन नहीं हूँ. मैं इन्सान हो. मैं पाश में बंधा नहीं हूँ. मैं पशु नहीं हूँ. मैं इन्सान हूँ.
वरना मशीन की तरह ही जीते चले जायेंगे और मशीन की तरह ही मर जायेंगे.
नमन
तुषार कॉस्मिक
Wednesday, 2 February 2022
सावधान हो जायें! यह लोकतंत्र, असल लोकतंत्र की हत्या है.
यदि तुम को लड्डू जलेबी में से ही बेस्ट चुनना हो तो तुम्हें कैसे पता चलेगा कि काजू कतली भी खाई जा सकती है, बादाम बर्फी भी खाई जा सकती है, नारियल बर्फी भी होती है?
वैसे ही तुम्हारा लोकतंत्र है. तुम्हें जो परोसा जाता है, उस में से चुनना है तुम को... तुम्हारे तक काजू कतली, बादाम बर्फी, नारियल बर्फ़ी जैसे इंसान पहुंचने ही नहीं दिए जाते. तुम तक तो लड्डू जलेबी जैसे इन्सान भी नहीं पहुँचने दिए जाते. तुम तक पहुँचता है कूड़ा.
तुम तक अथाह धन, कॉर्पोरेट धन से ब्रांडेड नेता पहुंचाए जाते हैं.....वो नेता तुम्हें अपनी उपलब्धियां बताता है लेकिन असल में और क्या क्या हो सकता था जो उस ने नहीं किया, वो कौन बतायेगा? वो जब तुम्हें समझ आयेगा तो तुम्हें पता लगेगा कि तुम्हारे नेता तुम्हारा भविष्य और तुम्हारा वर्तमान खाए जा रहे हैं. तब तुम्हें पता लगेगा कि तुम जनतंत्र हो ही नहीं. तब तुम्हें पता लगेगा कि प्लेटो और एरिस्टोटल का सोचा गया जनतंत्र , जिसे जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए ही होना चाहिए था, वो सिर्फ़ एक भ्रम है.
सरकारें पूरा जोर लगाती हैं कि आप वोट दें. क्यों दें? थोड़ा सा भी समझदार इन्सान समझता है, इस गोरख-धंधे को. उसे पता है सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. सत्ता में कोई आये, कोई जाए, कोई लम्बा-चौड़ा फर्क नहीं पड़ता. उसे पता है यह लोकतंत्र है ही नहीं. यह सब एक ड्रामा है, नौटंकी जो हर 5 साल बाद होती है. सो वो तटस्थ पड़ा रहता है. उस का वोट न देना सबूत है इस बात कि वो पूरे सिस्टम के खिलाफ वोट दे रहा है. मूक वोट......उसे पता है कि उसे बढ़िया व्यक्तियों में से बेहतरीन को चुनने का विकल्प नहीं दिया जा रहा बल्कि घटिया लोगों में से कम घटिया को चुनने का विकल्प दिया जा रहा है. उसे पता है उसे Good व्यक्तियों में से Best नहीं चुनना है बल्कि उसे Worst लोगों में से Bad चुनना है. वो इस विकल्प को ही त्याग देता है. वोट देना ही क्यों? वो वोट देने ही नहीं जाता. लेकिन सरकारें प्रोत्साहित करती हैं वोट डालने को...जैसे कोई बड़ा महान काम किया जाना हो. कद्दू में तीर. मात्र इसलिए कि आप सब इस नकली जनतंत्र का हिस्सा बने रहें. कहीं आप को ख्याल ही न आ जाये कि यह सब क्या बकवास है. कहीं वोट न देने वाले वोट देने वालों से बहुत बहुत कम न हो जाएँ. ऐसे में वोटिंग का क्या मतलब रह जायेगा? कहीं कोई इस छद्म जनतंत्र के खिलाफ ही न खड़े हो जायें. सो यह ड्रामा, नौटंकी चलती रहे, इसलिए खूब प्रचारित किया जाता है कि आप वोटर कार्ड बनवाएं, आप वोट दें.
सावधान हो जायें! यह लोकतंत्र, असल लोकतंत्र की हत्या है. और हत्यारे हैं आप के नेता. ब्रांडेड नेता. कॉर्पोरेट मनी के दम से बने नेता. अथाह धन, अनाप-शनाप धन, अँधा-धुन्ध धन से बने नेता.....
इसे समझें और इसे खत्म करें. असल लोकतंत्र की तरफ बढें. असल लोकतंत्र तब होगा जब तुम्हारी गली का मोची भी चुनाव जीत सके यदि काबिल हो तो. यह तभी होगा जब राजनीति में व्यक्तिगत प्रचार पर पूरी तरह पाबंदी लगेगी, जब प्रचार सरकार करेगी. सब प्रत्याशियों का बराबर.
और जब प्रत्याशी अपना-अपना नेशन बिल्डिंग प्लान पेश करेंगे. और जनता प्लान को वोट देगी न कि प्लान देने वाले को. यदि प्लान देने वाला प्लान को ठीक से नहीं चलाता तो उसे हटा दिया जायेगा. दूसरे किसी को मौका दिया जायेगा लेकिन प्लान वही रहेगा. यह ठीक ऐसे ही है जैसे आप बिल्डिंग बनवाते हैं. नक्शा पास हो गया, अब ठेके दार काम कर रहा है लेकिन यदि ठीक काम नहीं करता तो ठेके दार बदल दिया जाता है. सिम्पल.
एक दम राजनीति बदल जाएगी. देश बदल जायेगा. दुनिया बदल जाएगी और स्वर्ग से सुकरात, अरस्तु और अफ़लातून मुस्करा रहे होंगें.
नमन..तुषार कॉस्मिक
Tuesday, 1 February 2022
"एक कम है"
अब एक कम है तो एक की आवाज कम है
एक का अस्तित्व एक का प्रकाश
एक का विरोध
एक का उठा हुआ हाथ कम है
उसके मौसमों के वसंत कम हैं
एक रंग के कम होने से
अधूरी रह जाती है एक तस्वीर
एक तारा टूटने से भी वीरान होता है आकाश
एक फूल के कम होने से फैलता है उजाड़ सपनों के बागीचे में
एक के कम होने से कई चीजों पर फर्क पड़ता है एक साथ
उसके होने से हो सकनेवाली हजार बातें
यकायक हो जाती हैं कम
और जो चीजें पहले से ही कम हों
हादसा है उनमें से एक का भी कम हो जाना
मैं इस एक के लिए
मैं इस एक के विश्वास से
लड़ता हूँ हजारों से
खुश रह सकता हूँ कठिन दुःखों के बीच भी
मैं इस एक की परवाह करता हूँ
~ कुमार अंबुज/ एक कम है
How Corona shall end?
Canada प्रमुख ट्रुडो को अपना ऑफिस छोड़ भगना पड़ा है. क्यों? बहुत से Truckers ने घेर लिया. कोरोना का चूतियापा बन्द कराने के नारों के साथ.
यह है आमजन की शक्ति. हार मत मानो. लड़ो. चार दिन में कोरोना भाग जाएगा, वरना "ये" लोग तुम्हें ही नहीं, तुम्हारे बच्चों को भी खा जाएंगे.
लड़ो.
ट्रुडो भगा है, "ये" भगेंगे भी, पायजामे में हगेंगे भी. और जैसे किसान से माफ़ी माँगी, ऐसे ही सारी दुनिया से माफ़ी माँगेंगे. ~ तुषार कॉस्मिक
हिन्दू बड़े शान्तिप्रय हैं---Really?
जिन बुद्धुओं को लगता है कि हिंदुओं ने कभी किसी पे आक्रमण नहीं किया, हिन्दू बड़े शान्तिप्रय हैं, उन को बता दूँ कि गुरु गोबिंद सिंह के बच्चे और परिवार जो शहीद हुए तो वजह सिर्फ़ मुग़ल हुक्मरान ही नहीं थे, पहाड़ी हिंदू राजे भी थे. कोई 50 के करीब थे ये राजे, जिन्होंने मुग़लों के साथ मिल कर गुरु साहेब पे आक्रमण किया था. नतीजा हुआ अनेक सिंहों और गुरु साहेब के परिवार की शहीदियाँ.
इतिहास ठीक से समझा करो मूर्खो~ तुषार कॉस्मिक
Sunday, 30 January 2022
Zepto से डिलीवरी मंगवाने की जगह अपने इलाके के परचून वालों से डिलीवरी लें. क्यों?
मेरा मानना है कि धन का कुछ ही हाथों में एकत्रित होना खतरनाक है. इसका विकेंद्री-करण होना चाहिए. छोटे और मझोले उद्योग और व्यापारों को जितना हो सके सहयोग दें.
प्रयास करें कि रिलायंस फ्रेश की जगह फेरी वालों से सब्ज़ी खरीदें. Zepto से डिलीवरी मंगवाने की जगह अपने इलाके के परचून वालों से डिलीवरी लें. जहाँ तक हो सके बड़ी कम्पनियों को काम न दें.
आज आप अपने गली-मोहल्ले वालों को काम देंगे, कल वो आप को काम देंगे. एक मिसाल देता हूँ, मैंने हमेशा बिजली-पानी के बिल नवीन को भरने के लिए दिए. वर्षों से. वो दस-पन्द्रह रुपये प्रति बिल लेते हैं. जब मैं ऑनलाइन पेमेंट कर सकता हूँ, उस के बावज़ूद. उन को काम मिला मुझ से. मुझे काम मिला उन से. उन्होंने तकरीबन सत्तर लाख का एक फ्लोर लिया मेरे ज़रिये. और जिन का वो फ्लोर था उन्होंने आगे डेढ़ करोड़ रुपये का फ्लैट लिया मेरे ज़रिये. इस तरह कड़ी बनती चली गयी.
नौकरी-पेशा कह सकते हैं कि हमें क्या फर्क पड़ता है. फर्क पड़ता है. दूसरे ढंग से फर्क पड़ता है. समाज को कलेक्टिव फर्क पड़ता है. यदि हम कॉर्पोरेट को सहयोग देंगे तो सम्पति धीरे-धीरे चंद हाथों चली जाएगी. जो अभी काफी हद तक जा ही चुकी है. नतीजा यह हुआ है कि अमीर और अमीर होता गया है और गरीब और गरीब.
न. यह गलत है.
चूँकि धन सिर्फ धन नहीं है, यह ताकत है. इस ताकत से सरकारें खड़ी की जाती हैं और गिराई जाती हैं.
जी. जनतंत्र में भी.
कैसे?
ऐसे कि यह जनतंत्र है ही नहीं. यह धन-तन्त्र है. चुनाव में अँधा धन खर्च किया जाता है. कॉर्पोरेट मनी. इस मनी से अँधा प्रचार किया जाता है. इस प्रचार से आप की सोच को प्रभावित किया जाता है. आप को सम्मोहित किया जाता है. बार-बार आप को बताया जाता है कि अमुक नेता ही बढ़िया है. जैसे सर्फ एक्सेल. भला उस की कमीज़ मेरी कमीज़ से सफेद कैसे? आप सर्फ एक्सेल खरीदने लगते हैं. आप ब्रांडेड नेता को ही चुनते हैं और समझते हैं कि आप जनतंत्र हैं.
यह एक मिसाल है.
आप से जनतंत्र छीन लिया गया अथाह धन की ताकत से. फिर आगे ऐसी सरकारें अँधा पैसा खर्च करती हैं आप को समझाने में कि उन्होंने आप के लिए क्या बेहतरीन किया है.
कुल मिला के आप की सोच पर कब्ज़ा कर लिया जाता है. आप वही सोचते हैं, वही समझते हैं जो यह अथाह धन शक्ति चाहती है. और आप को लगता है कि यह सोच आप की खुद की है.
न. अथाह धन शक्ति आप को गुलाम बनाती जाएगी. इस गुलामी को तोड़ने का एक ही जरिया है.
बजाए ब्रांडेड कपड़े खरीदने के गली के टेलर से शर्ट सिलवा लें. लेकिन वो टेलर जैसे ही कॉर्पोरेट बनने लगे उसे काम देना बंद कर दें. मैंने देखा है कि बिट्टू टिक्की वाले को. वो रानी बाग़ में रेहड़ी लगाता था. बहुत भीड़ रहती थी. धीरे-धीरे कॉर्पोरेट बन गया. क्या अब भी समाज को उसे काम देना चाहिए? नहीं देना चाहिए. चूँकि अब यदि उसे काम दोगे तो यह धन का केंद्री-करण हो जायेगा. न. ऐसा न होने दें. धन समाज में बिखरा रहने दें. ताकत समाज में बिखरी रहने दें. समाज को कोई मूर्ख नहीं बना पायेगा. समाज को कोई अंधी गलियों की तरफ न धकेल पायेगा.
इस पर और सोच कर देखिये. इस मुद्दे के और भी पहलू हो सकते हैं. ऐसे पहलू जो मैंने न सोचे हों. वो आप सोचिये.
तुषार कॉस्मिक
Tuesday, 4 January 2022
मोक्ष
मुझे लगता है मोक्ष की कामना ही इसलिए रही होगी कि जीवन अत्यंत दुःख भरा रहा होगा. एक मच्छर. "एक मच्छर साला हिजड़ा बना देता है." कुछ सदी पहले का ही जीवन काफी मुश्किलात से भरा रहा होगा.. "ये जीना भी कोई जीना है लल्लू." सो मोक्ष. "वरना कौन जाए जौक दिल्ली की गलियां छोड़ कर." ज़िन्दगी ऐसी रही होगी जिसमें ज़िंदगी होगी ही नहीं. बेजान. वरण ठंडी नरम हवा, बारिश की बूँदें, नदी की लहरें, समन्दर का किनारा, पहाड़ी पग-डंडियाँ...इतना कुछ छोड़ कर कौन मोक्ष की कामना करेगा?~ तुषार कॉस्मिक
को.रो.ना.....शिकंजा
मैं रोज़ तुम्हें आगाह करता हूँ. शिकंजा धीरे-धीरे तुम पर कसता जायेगा. और कुछ नहीं कर सकते तो बीच -बीच में सब ग्रुप्स में मेरा लेखन या मेरे जैसा लेखन पोस्ट करो
Monday, 3 January 2022
मन तन से बड़ा फैक्टर है इंसानी सेहत में
पुनीत राज कुमार औऱ एक कोई औऱ एक्टर मर गया.शायद जिम में. तो लोग बोले कसरत करने का कोई फायदा है ही नहीं.भले चंगे जवान लोग जिम में मर जाते हैं. कोई बोला ओवर एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिये.कोई बोला ये जिम जाने वाले बॉडी बनाने के लिए डब्बे खाते हैं डब्बे, वही नुक्सान करते हैं. मुझे लगता है एक चीज़ छूट गई लोगों से. असल में We, human beings are not body alone. We are Mind-body. Allopathy का सारा ज़ोर बॉडी पर है. इसीलिए ये जो लोग मरे तो लोगों की observations सब बॉडी से सम्बंधित ही आईं. किसी ने Mind का ख्याल ही नहीं किया. असलियत यह है मन में अगर तनाव आया तो एक सेकंड में भले चंगे आदमी की हार्ट अटैक आ सकता है, ब्रेन हेमरेज हो सकता हक़ी, परलीसिस हो सकता है. मन तन से बड़ा फैक्टर है इंसानी सेहत में.~कॉस्मिक
Saturday, 1 January 2022
जाट रे जाट, सोलह दूनी आठ
जब गुरु तेग बहादुर शहीद किये जा चुके थे तो उन का सर ले के शिष्य भागे. पीछे मुगल फ़ौज थी. हरियाणा के कोई "दहिया" थे, जिन्होंने ने अपना सर काट पेश कर दिया मुगल सेना को भरमाने को ताकि गुरु के शीश की बेकद्री न हो. पढ़ा था कहीं. सच-झूठ पता नहीं. जाट रेजिमेंट, सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट है. अब फिर खेलों में मैडल ले रहे हैं हरियाणवी छोरे-छोरियाँ. लेकिन यह एक पक्ष है.
दूसरा पक्ष. दिल्ली में हरियाणवी लोगों को "घोडू" कहा जाता है. "जाट रे जाट, सोलह दूनी आठ." क्यों? क्योंकि बेहद अक्खड़ हैं. तू-तडांग की भाषा प्रयोग करते हैं. बदतमीजी करते हैं. झगड़े करते हैं. और बदमाशी भी करते हैं. आप देख रहे हैं दिल्ली में जितने गैंगस्टर हैं सब हरियाणा के जाटों छोरों के हैं. क्यों? वजह है. दिल्ली की ज़मीनों ने सोना उगला और सब देहात करोड़पति हो गए. और बिना मेहनत का पैसा बर्बाद कर देता है. वही हुआ. पैसा आया लेकिन समझ न आ पाई. तभी सुशील कुमार ओलिंपिक मैडल जीत कर भी क्रिमिनल बन गया. जाट समाज को अपने अंदर झाँकना होगा, समझ पैदा करनी होगी, ऊर्जा पॉजिटिव दिशाओं में मोड़नी होगी. अन्यथा अंततः हानि जाट समाज की ही होगी. ~ तुषार कॉस्मिक
Thursday, 30 December 2021
एक बड़ा ही आदिम समाज, अवैज्ञानिक किस्म का समाज खड़ा हो जाता है
मेरा इस्लाम का जो विरोध है उस के कई कारण हैं. एक यह है कि जहाँ-जहाँ इस्लाम पहुँचता है, यह वहां की लोकल कल्चर को खा जाता है. वहां के उत्सव, वहां का खाना-पीना, वहाँ का कपड़े पहनने का ढंग, सब कुछ खा जाता है. औरतें तरह-तरह के रंगीन कपड़ों की बजाए काले लबादों में लिपट जाती हैं. आदमी लोग ऊंचे-पायजामे, लम्बे-कुर्ते पहनने लगते हैं. अजीब दाढ़ी रखने लगते हैं. गीत संगीत का बहिष्कार होने लगता है. उत्सव के नाम पर ईद-बकरीद बचती है. जिस में बकरीद पर रस्से से बंधे बेचारे जानवर की गर्दन पर छुरी चलाई जाती है. बाकी सब उत्सव खत्म. और तो और, इस्लाम से पहले के इतिहास से भी समाज को तोड़ा जाता है. एक बड़ा ही आदिम समाज, अवैज्ञानिक किस्म का समाज खड़ा हो जाता है. न. ऐसी दुनिया नहीं चाहिए हमें. सो मैं इस्लाम के खिलाफ हूँ-खिलाफ रहूँगा. इन्शा-अल्लाह!~ तुषार कॉस्मिक
चालाकियाँ
क्या आप को पता है अब जो ईसाई-करण किया जा रहा है, उस में नाम और पहचान बदलने का आग्रह नहीं है. एक सिक्ख का नाम और शक्लों-सूरत आप को सिक्ख जैसी ही नज़र आयेगी. लेकिन उस का ईसाई-करण हो चुका होगा.
एक का नाम गोविंदा है लेकिन वो भी ईसाई है.
मैंने तो अमर सिंह और सतबीर, जगबीर नाम के मुसलमान भी देखे हैं.
कितना आग्रह है क्रिस्चियन और मुस्लिम का कि सब ईसाई हो जायें, सब मुसलमान हो जायें.
साम-दाम-दंड-भेद सब पैंतरे अपनाये जा रहे हैं इन द्वारा.
ये धर्म हैं?
नहीं.
ये गिरोह मात्र हैं. ~तुषार कॉस्मिक
Tuesday, 28 December 2021
फिल्म आ रही है~ 83
फिल्म आ रही है~ 83. जब भारत ने तथाकथित विश्व कप जीता था क्रिकेट का कपिल देव की अगुवाई में, उस पर आधारित है ये फिल्म. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू कहते हैं कि रोम में जनता की असल समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए सर्कस दिखाया जाता था, एरीना में ग्लैडिएटर को लड़वाया-मरवाया जाता था. ठीक वही है क्रिकेट. लोगों को असल मुद्दे समझ न आयें सो क्रिकेट दिखाया जाता है. कबड्डी, क्रिकेट और मिस यूनिवर्स, मिस वर्ल्ड जैसे नकली वैश्विक मुकाबले घड़े ही गए हैं जनता को चुटिया बनाने के लिए. एक होते हैं चूतिये, एक होते हैं महाचुतिये और एक होते हैं क्रिकेट देखने वाले. जय हो!~ तुषार कॉस्मिक
Monday, 27 December 2021
अक्सर सुनता हूँ कि हिन्दुओं ने आक्रमण झेले हैं लेकिन खुद कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया. गलत है सरासर यह.
अक्सर सुनता हूँ कि हिन्दुओं ने आक्रमण झेले हैं लेकिन खुद कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया. गलत है सरासर यह. अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया था या नहीं? कलिंग की धरती खून से लाल कर दी थी. पृथ्वीराज चौहान तो संयोगिता को भरे दरबार से उठा लाये थे. राम ने भी अपने राज्य की सीमा बढ़ाने को ही तो अश्व छोड़ा था. मार-काट तो हिन्दू और बौधों में भी हुई. शैव और वैष्णवों में भी हुई. कुम्भ के शाही स्नान में कौन पहले करेगा इसलिए भी खूनी लडाइयां होती थी नागा बाबा अखाड़ों में. और हम कहते हैं हम ने कभी आक्रमण नहीं किया! असल में हमारी दुनिया ही सीमित थी. हम बहुत दूर तक लड़ने जा नहीं पाए. जहाँ तक लड़ सकते थे लड़ते रहे. ~तुषार
Sunday, 26 December 2021
राधास्वामी: पव्वा सुबह, अद्धा शामी.
"राधास्वामी: पव्वा सुबह, अद्धा शामी." मज़ाक में कहते हैं लोग. लेकिन मैंने देखें हैं राधास्वामी मांस खाते हुए. दारु पीते हुए. ज़्यादा मजेदार बात बताता हूँ आपको. दिल्ली के छतरपुर इलाके में सैंकड़ों एकड़ सरकारी ज़मीन हड़प रखी थी राधास्वामी ने. यहाँ हेलिपैड था, आलीशान बंगले, एक कॉन्फ्रेंस हॉल, एक मोबाइल नेटवर्क कंपनी का टावर, जेनरेटर हाउस और पता नहीं क्या-क्या था! कोर्ट आर्डर से प्रशासन ने तोड़-फोड़ की. जय हो!~ तुषार कॉस्मिक
https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/445-beegah-land-illegally-occupied-by-radha-swamy-satsang-byas-trust-secret-helipad-found-inside/articleshow/63310259.cms
हिंदी में पीछे एक से एक घटिया फिल्म बनी हैं.
हिंदी में पीछे एक से एक घटिया फिल्म बनी हैं. घिसी-पिटी कहानियाँ. रेप. मर्डर. सेक्स. भद्दे बेसुरे गाने. बस यही कुछ परोसा है ज्यादातर इन फिल्मों ने. पूछो तो बतायेंगे कि पुब्लिक डिमांड है ये सब. फुद्दू हैं ये फ़िल्मी लोग. इन की अक्लें ठस्स हैं. YouTube पर लाखों-करोड़ों views होते हैं आम लोगों के वीडियो पर. क्यों? चूँकि दुनिया अच्छा कंटेंट देखना-सुनना चाहती है. और इन चूतियों को लगता है कि कचरा ही परोसो. बंद करो देखना ताकि इन की अक्ल ठिकाने आये. ~तुषार कॉस्मिक
Friday, 24 December 2021
Dharma cannot be pre-settled
I have already said that I do not subscribe to any pre-settled Dharma. Dharma cannot be pre-settled. You feel like praying under the sky, you pray. You feel like kissing a tree, you kiss. You feel like bowing before a beggar, a rag picker, a shoe maker, you bow. You feel dancing in the rain, you dance. That is Dharma. Dharma cannot be pre-settled. Prayer can not be pre-defined. Got it?~ Tushar Cosmic
कोरोना का कुल-जमा खेल
कोरोना का कुल-जमा खेल बस इतना है कि एक टेस्ट के ज़रिये लोगों को वायरस-युक्त घोषित किया जा रहा है और जो मौत औसतन होनी थी, वही हुई, वही हो भी रही हैं लेकिन उन सब मौतों को "कोरोना मृत्यु" घोषित किया जा रहा है. बाकी सब "हफ़ड़-दफड़" का नतीजा है. असल में एक भी मौत न कोरोना से हुई है, न हो रही है. Lockdown, जबरन वैक्सीनेशन तरीका है पूरी दुनिया को कण्ट्रोल करने का. Human Rights खत्म करने का. इस से निबटने का तरीका मात्र इतना है कि इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करें. सरकारी बकवास आँख बंद कर के मत मानें. सवाल खड़े करें. आपका, आप के बच्चों का सवाल है जनाब ....~ तुषार कॉस्मिक
Thursday, 23 December 2021
क्रिसमस
क्रिसमस आ गयी बस. बता दूँ, सब से ज़्यादा जो कत्ल हुए हैं वो ईसाईयत के लिए हुए हैं, इस्लाम से भी ज़्यादा. गलेलियो वृद्ध थे, उन को चर्च में घसीटते हुए ले जाया गया चूँकि उन्होंने बोल दिया था कि धरती सूरज के गिर्द घूमती है, सूरज धरती के गिर्द नहीं घूमता. अब यह बात बाइबिल के उल्ट पड़ती थी. सो गलेलियो को माफी माँगने के लिए मजबूर किया गया. 'जॉन ऑफ़ आर्क' किशोरी थीं, जिस को चर्च ने झूठे इलज़ाम लगा कर ज़िंदा जला दिया. न सिर्फ उसे बल्कि बहुत सी और बुद्धिशाली औरतों को जादूगरनी (Witch) घोषित कर के जिंदा जला दिया गया. मजे की बात यह है कि चर्च ने बाद में 'जॉन ऑफ़ आर्क' को माफ़ी मांगते हुए संत की उपाधि दे दी. और गलेलियो के साथ दुर्व्यवहार के लिए भी माफी माँगी. वैसे Merry Christmas. ~ तुषार कॉस्मिक
Wednesday, 22 December 2021
सिक्ख इतिहास जो है न वो गज़ब है
जन्म हुआ सिक्ख परिवार में. पालन-पोषण हुआ हिन्दू-सिख परिवार में. न मैं हिन्दू, न सिक्ख और न ही किसी और स्थापित धर्म को मानता हूँ. लेकिन सिक्ख इतिहास जो है न वो गज़ब है, यह मैं मानता हूँ. ज़रा सुई चुभ जाये तो हिल जाते हैं हम और ये गुरु-शिष्य जान की बाज़ी खेल गए. गुरु गोबिंद को सर्व-वंश-दानी कहा जाता है. पिता, पुत्र, माता, स्वयम और पुत्र-पुत्रियों जैसे हजारों-लाखों शिष्य कुर्बान कर दिए. किस लिए? जो सही लगा उस के पक्ष में और जो गलत लगा उस के खिलाफ. दिसम्बर समय है उन की कुर्बानियों को याद करने का. नमन करने का. पूरी दुनिया को गुरु गोबिंद और उन के शिष्यों के जज़्बे, उन के संघर्ष, उन की जीत, उन के बलिदानों की कहानियाँ पढ़नी चाहियें, सुननी चाहिए. ...तुषार कॉस्मिक
Monday, 20 December 2021
The target is you, not the Virus, not the Alien, not anything-anyone else.
Believe me,
there are further false Crisis coming. Probably an "Alien Attack" or a "Chicken Virus" or a "Mosquito Virus" and another WHO/ IMF Protocol to quarantine you, vaccinate you, un-employ you and kill you.
YOU. Yes, you the Idiots.
The target is you, not the Virus, not the Alien, not anything-anyone else.
Why?
Because you are being considered just a "Biological Waste", a roadblock in the progress of new scientific and technological society, because you are soaked in you so-called religious-unscientific-childish Bullshits, because it's far easier to wipe you instead of reforming you.~ Tushar Cosmic
What's in a name?
"What's in a name? That which we call a rose by any other name would smell as sweet” (Quote from Romeo and Juliet by William Shakespeare). But I feel there is a lot in name. My original name was Veeru (Veer Singh probably). Then I had been given another name 'Bal Krishan'. Then I changed it to 'Tushar Arora' which I further changed to 'Tushar Cosmic' in all of my writings and videos. My first daughter's name is 'Sufi Siddhi' and second daughter's name is 'Kuhu Kosmic'. Very much Peculiar names. Ha! And they say , "What is there in name?"~ Tushar Cosmic
Sunday, 19 December 2021
सिक्ख इस्लाम और मुसलमान के प्रभाव में हैं
मेरा मानना है कि सिक्ख इस्लाम और मुसलमान के प्रभाव में हैं लम्बे समय से. सन 80-84 के दौर में जो हथियार थे खालिस्तानियों के पास, वो कहाँ से आये थे? निश्चित ही पाकिस्तान से. अब ये जो निहंगों ने टीकरी बॉर्डर पर एक सिक्ख काट दिया सरे आम और अब हरमंदिर में एक बन्दा पीट-पीट के मार दिया यह सोच कहाँ से आई? निश्चित ही इस्लाम से. न तो किसी गुरु ने ऐसा करने को कहा है और न ही गुरु ग्रन्थ में ऐसा कहीं लिखा है, जितना मुझे पता है. यह सिक्खी नहीं है? यह इस्लाम है...तुषार कॉस्मिक
Saturday, 18 December 2021
डायबिटीज
मैं एलॉपथी द्वारा घोषित बहुत सी बीमारियों को न तो बीमारी मानता हूँ और न ही इन के इलाज को इलाज.
डायबिटीज. शुगर ऐसी ही बीमारी है, जो समस्या तो है लेकिन बीमारी बिलकुल नहीं. बीमारी इसे एलॉपथी ने बनाया है. अब तो हर घर में डायबिटीज का मरीज़ पाया जाता है. और थोड़े समय बाद हर इन्सान ही डायबिटीज का शिकार माना जाने वाला है.
क्या है यह?
बात मात्र इतनी सी है कि हम शरीर में दशकों तक ऐसा भोजन डालते जाते हैं, इतना भोजन डालते जाते हैं, जिसे वो पचा नहीं पाता. लेकिन हम फिर भी नहीं मानते. अंत में शरीर हाथ खड़े कर देता है. इसे ही हम कहते हैं कि इन्सुलिन बनना बंद हो गया है. लेकिन हम इंजेक्शन लगाते हैं इन्सुलिन का, ताकि किसी तरह हम वही बकवास खाना खा सकें जो हम सदियों से खाते आ रहे हैं.
इलाज इस का मात्र इतना है कि खाना बहुत कम खाओ और जहाँ तक हो सके पका हुआ खाना न खाओ और गधे की तरह शरीर का काम करो. बेहतर है लेबर चौक पर जा बैठो. 500 रुपये दिहाड़ी कमाओगे और शुगर से छुटकारा भी पाओगे.
तुषार कॉस्मिक
"God created man in his own image." ~ BIBLE. घण्टा!बजाते रहो!!
"God created man in his own image." ~ BIBLE.
घण्टा!
बजाते रहो!!
कुत्ता अगर सोचेगा गॉड के बारे में तो एक बड़े से, सुंदर से, शक्तिशाली से, स्वस्थ से कुत्ते की कल्पना ही करेगा और ऐसा ही गधा करेगा और ऐसा ही सुअर.
कुत्ते का भगवान कुत्ता, सुअर का सुअर औऱ गधे का गधा ही होगा. पक्का! बेशक पूछ कर देखो.
मुर्गों के लिए इंसान शैतान है और KFC नरक!! बताया है उन्होंने इंटरव्यू में. सच्ची. Dog Promise. ~ तुषार कॉस्मिक
क्रिया प्रतिक्रिया. Chain Reaction.
कश्मीर से हिन्दू मार के भगा दिए, इस का ज़िक्र होता रहता है लेकिन उसी दौर में पंजाब से हिन्दू मार के भगाए गए, इस का ज़िक्र कम ही होता है.
दिल्ली और इर्दगिर्द सिक्ख बन्धु ज़िंदा जला दिए गए, ज़िक्र होता है लेकिन 80-84 के दौर में खालिस्तानियों द्वारा बसों से उतार AK-47 द्वारा हिन्दू भूने गए, उस का ज़िक्र न के बराबर होता है.
यकीन जानिए पंजाब में हिन्दू नहीं मारा जाता तो दिल्ली में कभी सिख भी न मारा जाता.
क्रिया प्रतिक्रिया. Chain Reaction.
इतिहास को ठीक से देखें और सीखें इस से . ~ तुषार कॉस्मिक
भारतीय बहस
भारतीय महान हैं. महान चूतिये!!
इन से बहस करो, न किसी बात का मुँह होगा न सिर. किसी नतीजे पर न ये आप को पहुँचने देंगे, न खुद पहुंचेंगे.
"अजी, उड़द किसी को बादी, किसी को स्वादी".
"अजी, किसी को 6 दिखता है, किसी को 9".
इन चूतियों को पूछो, "फिर ज़हर खा के देखो, क्या पता तुम्हारे लिए अमृत हो?"
सारा विज्ञान पैदा ही हुआ है निश्चित कार्य-कारण (Cause and Effect) के सम्बंध की खोज से. पानी उबालो कहीँ भी-कभी भी, 100 डिग्री तक जाते ही भाप बनना शुरू हो जाता है.
यह है विज्ञान, और ऐसे नतीजों पर पहुँचने के लिए ही की जाती है डिबेट. न कि "अजी, सोच अपनी-अपनी, ख्याल अपने-अपने" जैसे नतीजों के लिए. ~तुषार कॉस्मिक
कश्मीर
मेरा मानना यह है कि कश्मीर में सरकार सोने की सडकें भी बिछा देगी फिर भी कश्मीर शांत नहीं होगा. 'उन' को वो सब चाहिए ही नहीं. चाहिए इस्लामिक रियासत चाहे उस के लिए सीरिया जैसे खंडहरात में ही कश्मीर क्यों न बदल जाए. चाहिए इस्लाम चाहे अफगानिस्तान जैसी भुखमरी ही क्यों न फ़ैल जाए. चाहिए इस्लाम चाहे पाकिस्तान जैसी हालत ही क्यों न हो जाए कि सरकार खुद कहे कि उस के पास मुल्क चलाने के पैसे नहीं हैं......चाहिए इस्लाम चाहे.....
Friday, 17 December 2021
पंजाब के पास एक महान इतिहास है, भविष्य महान हो... कामना है.
पंजाब से हूँ. हालाँकि बठिंडा छोड़े सालों हो गए लेकिन आज भी प्यार है बठिंडा से. बे-इन्तहा. लेकिन पंजाब का वर्तमान मुझे कुछ बढ़िया नहीं दीखता. खेलों में हरियाणा और मणिपुर का नाम है, पंजाब कहीं दूर-दूर तक नहीं दीखता. नौजवान चिट्टा ज़रूर छक रहे हैं. उड़ता पंजाब. कुछ पंजाबी कनाडा चले गए बाकी जाने की इंतेज़ार में हैं. जो नहीं जा सकते वो ईसाई बनते जा रहे हैं. हलेलुईया! गेहूं उगता है लेकिन लोग खाते MP का गेहूं हैं. कई सिक्ख आज भी भिंडरावाले को हीरो मानते हैं और हिन्दुओं को गद्दार. दुःख होता है यह सब लिखते हुए. पंजाब के पास एक महान इतिहास है, भविष्य महान हो... कामना है... तुषार कॉस्मिक
Thursday, 16 December 2021
क्या आप को पता है???
क्या आप को पता है....
'निकाह' का असल मतलब सेक्स करना होता है?
'शहीद' का मतलब दीन(इस्लाम) के लिए मरने वाला होता है?
'बे-ईमान' का मतलब ईमान(इस्लाम) को न मानने वाला होता है?
'गाज़ी' का मतलब दीन(इस्लाम) के दुश्मनों को मार कर अंत में बच जाने वाला होता है?
'इस्लाम' का मतलब है Surrender. Total surrender to Deen (Islam). अब आप (आप का स्वतंत्र वजूद/ इच्छा) हैं ही नहीं, जो कुछ है बस दीन ही है.
....तुषार कॉस्मिक.....
Wednesday, 15 December 2021
जय श्री राम
"जय श्री राम". यह नारा "अल्लाह-हु-अकबर" के मुकाबले ज़्यादा खड़ा है आज. राम की विजय हो.कैसी थी उन की विजय? वो ताड़का को गुरु के कहने मात्रा से मार देते हैं, बिना ताड़का का पक्ष सुने. ऐसा ही वो वाली के साथ करते हैं. वाली को पेड़ के पीछे छुप कर मार देते हैं बिना जाने की सुग्रीव ने कितना सच, कितना झूठ उन को बताया है. रावण विजय के बाद वो सीता से कहते हैं,"मैंने तेरे लिए नहीं बल्कि अपने सम्मान के लिए रावण से युद्ध किया. तुम सुग्रीव, भरत, विभीषण, शत्रुघ्न किसी के साथ भी रह सकती हो लेकिन मेरे साथ नहीं." विजय के बाद उन की सेना सोये हुए लंका के आम-जन को घरों में जिंदा जला देते हैं. अयोध्या आने के बाद वो इर्द-गिर्द के राज्यों पर ख्वाह्म्खाह हमला कर देते हैं जब कि वो राज्य कतई निरापद होते हैं.~ TusharCosmic
मैं बदबू छुपाता नहीं.....तुषार कॉस्मिक
मुझ से किसी ने कहा मैं शेक्सपियर से कालिदास तक, बाबा नानक से जीसस, आर्यभट से आइंस्टीन तक की बात करता हूँ लेकिन फिर गाली-गलौच भी करता हूँ, ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए चूँकि मैं घटिया हूँ. एक गंदे नाले की मछली. इसी बदबूदार समाज का हिस्सा. मैं आप हूँ. बस फर्क इतना ही है कि मैं अपना घटियापन स्वीकार करता हूँ. मैं बदबू छुपाता नहीं.....तुषार कॉस्मिक
हरनाज़ कौर मिस यूनिवर्स
हरनाज़ कौर मिस यूनिवर्स बन गईं. गुड. पहली बात धरती यूनिवर्स का एक ज़र्रा सा हिस्सा है लेकिन हरनाज़ मिस यूनिवर्स हैं. गुड. वैरी गुड. जीतने के बाद उन्होंने कहा कि औरत को कमोडिटी मत समझें. क्यों न समझें? आप जैसी औरत को एक कमोडिटी के अलावा क्या समझें? आप ने कौन सा तीर मार है कद्दू में? क्या योगदान हैं आप का ज्ञान-विज्ञान में? कुछ भी नहीं. कला में क्या योगदान है आप का? कुछ भी नहीं. जैसे क्रिकेट और कबड्डी नकली वैश्विक खेल हैं वैसे ही ये नकली मिस और मिस्टर यूनिवर्स बनाने का खेल है जिस से कुछ न साबित होता है न हासिल. रही बात सौन्दर्य की तो मैंने सड़क पे पत्थर तोड़ती मजदूरनियां कहीं ज़्यादा सुंदर देखीं हैं...मात्र चुतियापा है यह सब ...तुषार कॉस्मिक .
Tuesday, 7 December 2021
तेरा दित्ता खावना....दात तेरी दातार.......
जरा सा धन आ जाये, तो जाते हो मन्दिर, गुरुद्वार...........तेरा दित्ता खावना....दात तेरी दातार........जैसे मंदिर, गुरूद्वारे, मस्ज़िद से धन बरसता हो. इडियट हो, यह धन तुम्हारी अपनी हेरा-फेरियों, बे-ईमानियों का नतीजा है. और कोई भी समाज समृद्ध तथाकथित दीन-धर्म से नहीं होता, वैज्ञानिकता से होता है. वैज्ञानिकता मतलब तार्किकता, मतलब प्रयोग-धर्मिता. और तुम्हारे सब धर्म अवैज्ञानिक हैं, अंध-विश्वास का नतीजा हैं. तुम ने अंध-विश्वास का चोगा पहना है, इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि चोगा नारंगी है, हरा है या सफेद. समझे?~Tushar Cosmic