Thursday, 11 June 2015

!!!लेखन चोरी!!!

अक्सर मेरे लेखन की चोरी तो मैंने पकड़ी ही है, उस के अलावा मैंने कई पोस्ट एक से अधिक लोगों के द्वारा प्रेषित देखी हैं ... फेसबुक पे लोग अक्सर दूसरों का लिखा चेप कर वाहवाही लूटने को बहादुरी समझते हैं....
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बहुत कम लोगों को समझ आता है " "Intellectual property Rights" ......समझायो तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे उनका हक़ मार लिया किसी ने....हक़ चोरी का...हक़ सीना जोरी का

मैंने हमेशा लेखन चोरी का विरोध किया है, विभिन्न समयों पर मेरे लिखे कुछ नोट्स हैं, इक्कठे कर पेश कर रहा हूँ.कानूनी, गैर कानूनी जानकारी और राय दे रहा हूँ, स्वागत है ---

(1) वहां मौद्रिक चोरी करते हैं
यहाँ बौधिक चोरी करते हैं

न वहां साध है
न यहाँ साध है

वहां भी घाघ हैं
यहाँ भी घाघ हैं

दूसरों को अक्ल देते फिरते हैं,
खुद को अक्ल है नहीं

अक्ल तो नकली है ही,
शक्ल भी असली है नहीं

मूर्ख हैं और चोर हैं
बेईमान घनघोर हैं

चोरी, चोरी है
चाहे मौद्रिक हो, चाहे बौधिक
चोर, चोर है
चाहे मौद्रिक हो, चाहे बौधिक

बड़े मज़े से चोरी करते हैं
पकडे जाने पे सीना जोरी करते हैं

पर जान लें, ये दंडनीय अपराध हैं
ऐसे लोग भीतर से चोर, ऊपर से साध हैं


(2) वैसे जिनको  भी  कॉपी राईट पर बहुत एतराज़ है, उन्हें ऑस्कर वाइल्ड का Picture of Dorian Gray, मैक्सिम गोर्की का Mother, तुर्गनेव का Father and sons, शेक्सपियर का Macbeth, मुंशी प्रेम चंद का गोदान, अमृता प्रीतम का रसीदी टिकेट , Balwant Gargi का  Naked Triangle और खुशवंत सिंह, टॉलस्टॉय, आदि का लेखन हुबहू अपने नाम से प्रकाशित करवा लेना चाहिए
कॉपी राईट, यह क्या होता है?
हुंह!


(3) चोरी की पोस्ट से करप्शन दूर करने का सन्देश देने वालो तुम्हारी जय हो ..जी मैंने तुम्हारी क्षय हो नहीं लिखा है....जय हो लिखा है


(4) भारत जहाँ बैंक में पेन को धागे से बाँध कर रखना पड़ता है, जहाँ प्याऊ के लोटे पर चैन लगाने पड़ती है, जहाँ अपने हर लेख के साथ पाठकों को चोरी न करने के लिए आगाह करना पड़ता है, वहां भ्रष्टाचार मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करना असम्भव न हो चाहे लेकिन मुश्किल ज़रूर है


(5) फेसबुक पर जो लोग दूसरों का लिखा चुराना सही  समझते हैं, मेरे  तेरे  में यकीन   नहीं करते  उनको अपना अकाउंट नंबर देता हूँ अपना सारा धन मेरे अकाउंट में ट्रान्सफर कर दें......क्या मेरा तेरा, नहीं?


(6) ये जो लोग दूजों का लेखन चोरी करके विचार फैलाने का तर्क देते हैं, इन बेवकूफों को कोई समझाओ यारो कि शेयर का बटन भी देता है फेसबुक
ज़्यादा समझदार!
चवन्नी किलो भी नहीं बिकती ऐसी समझदारी


(7) क्या आपने नोट किया कि मित्र मंडली में पोस्ट चोर वो होते हैं, जो लगभग अदृश्य और निर्लेप रहते हैं आपके प्रति.............न कभी लाइक, न कभी डिसलाइक, न कभी कैसा भी कमेंट.......लेकिन ये चोट्टे, मन के खोटे.......अक्ल के अंधे, गंदे बंदे......आपका लेखन उड़ाने में सबसे आगे.......मेरी सबसे गुज़ारिश, जिस भी मित्र को ज़रा भी शंका हो कि लेखन चोरी का है.....तो यदि जानते हों तो ओरिजिनल लेखक को सूचित करें

जब मैं कोई बढ़िया सी पोस्ट एक से ज़्यादा मित्रों द्वारा अपने खाते में डाली गई देखता हूँ...तो सोचता हूँ, शायद कहीं किसी गरीब का दिल जला होगा..


खैर मैं तो तुरत नाम रोशन करने में यकीन रखता हूँ चोरों का........नहीं, मानते, मैं क्या करूं........फिर अंत में ब्लोकास्त्र


(8) पता नहीं भाई लोग चोरी क्यों करते हैं
अपुन तो अपने कमेंट में से स्टेटस बना लेते हैं
और अपने स्टेटस में से कमेंट


(9) अब पता लगा कहाँ से स्टेटस लाते हैं,
शक्ल से ही बाखुदा चोर नज़र आते हैं


(10) "स्टेटस चोरी"

पहली  बात --लेखन एक कला है, विज्ञान है.....हर कलाकार को, वैज्ञानिक को उसका श्रेय मिलना चाहिए, नाम दाम मिलना चाहिए .........कोई न लेना चाहे उसकी मर्ज़ी

दूसरी बात------जैसे ही व्यक्ति लिखता है, यदि सच में ही खुद का लिखा हो, तो पटल पर आते ही लेखन कॉपी राईट होता है......लेखन के लिए पेटेंट नहीं, कॉपी राईट कराया जाता है....पेटेंट, कॉपी राईट, ट्रेडमार्क आदि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स माने जाते हैं, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को प्रॉपर्टी इसलिए कहा गया है कि इसे पैदा करने में समय लगता है, मेहनत लगती है.......इसे पैदा करने वाले से, यदि वो बेचना चाहे तो धन देकर खरीदा जा सकता.....यह  निजी सम्पति है, जिसे चुराना दंडनीय अपराध है, आपको नहीं यकीन, मेरा लेखन चोरी कीजिये, मुझे अपना एड्रेस दीजिये, आपको दो चार दिन में मेरा नोटिस मिलेगा, फिर चक्कर काटना कचहरी के.

तीसरा बात----- किसी की पोस्ट चोरी कर आप सिर्फ यह साबित करते हैं कि आप अक्ल से बाँझ है, नपुंसक है......और यदि आप चोरी के हिमायती हैं तो चोर तो हैं ही सीना जोर भी हैं....अजीब तर्क देते हैं..."क्या मेरा क्या तेरा"........इनको कहता हूँ कि अपनी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दो, "क्या मेरा क्या तेरा", फिर उस पॉइंट पर जवाब नहीं देते....इनको कहता हूँ कि आप अपने घर खुले छोड़ते होंगे शायद.....क्या मेरा क्या तेरा.......फिर उस पॉइंट पर जवाब नहीं देते

चौथी बात----यदि आप अच्छा लिखते हैं तो चोरी होती है, यह निश्चित है,  लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि चोर सही हैं, कोई भी लेखक यदि चाहे तो अपने कॉपी राईट अधिकार प्रयोग कर सकता है, यह कानूनी भी है और नैतिक भी है

पांचवी बात----- लोग शेक्सपियर को अपने नाम से क्यों नहीं छापते? चूँकि वो प्रसिद्ध है. सो बेहतर है कि अपना लेखन, फेसबुक के साथ साथ, E-mail पर डालें, ब्लॉग पर डालें अपनी वेबसाइट पर डालें, विभिन्न आर्टिकल साईट पर डालें, इसके मल्टीप्ल फायदे हैं, आपको बहुत लोग पढेंगे और जल्दी से चोरी की कोई हिम्मत ही नाही करेगा, और यदि करेगा भी तो झगड़े में आपका मुकाबला नहीं कर पायेगा

चोरी पकड़ने के लिए आप अपने लेखन के हिस्से सीधे गूगल कर सकते हैं.....खुली साईट पर गूगल वैसे ही पकड़ दिखा देगा...."गूगल अलर्ट" भी काम आ सकता है

और फेसबुक जैसी बंद साईट के अंदर भी विभिन्न अकाउंट बना आप अपने लेखन को इसी तरह पकड़ सकते हैं, वैसे  फेसबुक पागल नहीं है जो शेयर का आप्शन देता है, उसे  चोरी और शेयर  करने  का फर्क पता है .......और यदि आपका स्टेटस कोई चोरी करता है और कहने के बावजूद नहीं हटाता है तो आप फेसबुक को रिपोर्ट भी कर सकते हैं.........बहुत लोग फेस बुक पर होने का मतलब समझते हैं दूसरों का लेखन  चुरा कर  छापना, "कौन सा कोई देख रहा है",.....गलतफहमी में हैं.....अब शायद समझ में आये कि फेसबुक पर होने का मतलब यह नहीं है कि दूसरों के लेखन उठा उठा अपने नाम से छापते फिरो

कुल मतलब यह है कि यदि आप अच्छा लिखते हैं और नहीं चाहते कि आपका लेखन कोई चुराए तो यह आपका अधिकार है. जिसे आप थोड़ी जानकारी और प्रयासों से काफी कुछ सुरक्षित कर सकते हैं

आखिरी बात----- सब मित्रों के लिए, कुतर्क   मत कीजिये कि   चोरी  करके  आप   दूसरों  के अच्छे   विचारों   को फैलाने   का शुभ  काम कर रहे  हैं, नहीं , आप कोई शुभ  कार्य  नहीं कर रहे हैं, चोरी मत कीजिये, दूसरों  के अच्छे  विचारों  को फ़ैलाने  का सही  तरीका   चोरी नहीं, शेयर करना है, शेयर कीजिए और अपना लिखिए, जैसा भी. एक वक्त आएगा कि आप देखेंगे कि आप इतना कुछ लिख सकते हैं जिसके लिए एक जीवन कम है ......सो अपने आप को काहे क्षुद्र करते हैं, जब आप में रचनात्मकता का सागर हिलोरें मार रहा है ...



(11) "INTELLECTUAL PROPERTY LAWS, WHAT IS IT, WHEN HURT AND WHEN NOT"

Whatever you write, as you write you get the copy right.
Whatever you steal, as you steal, you are noway right.

The ones, who do not respect my copy right, I m NOT SORRY to say that I can not respect them, on this particular issue.

Simply I do not support copying other's writings or any thing, it is a theft on one's intellectual property.

You learn something from someone's writing, if it is somehow useful for you, that is great, all writing are for that purpose but it does not mean that U are allowed to copy paste other's words....

U can do it differently, use your wisdom, experience and re-write according to your understanding, that is okay.

Now, how much has been just copied or how much is re-used like a re-use of wheel in a car, that is a different story and that is why in the whole world court cases are fought over this issue.

And I am amazed, how difficult it is to make clear to my friends!

Patents, copy rights and trade marks are protected under intellectual property rights.

As a theft of any kinda physical property is considered a crime so is considered theft of intellectual property.

A few vital things are to be understood regarding these laws.

There is saying, "There is nothing new under the sun", which is right and but partially only.

Just take an example of a motor cycle, the technique of cycle, motor, wheel & iron casting etc is used in it, all already invented, still the appropriate use, aggregate of all these already invented things gives birth to a new thing, motor cycle, an invention.

Similarly, if you just copy paste something, without adding any value to the original text, you are infringing intellectual property law but if you give a twist to the original meaning, it is not a theft. An example, there is saying, beauty lies in the eyes of the beholder, then someone changed it as beauty lies in the eyes of the beer holder, see, the one, who twisted the first statement can not be called a thief, as the one has changed the whole concept.

Indian Flag and Flag of Congress party of India has much similarity but still as the central emblem is different, it is not considered intellectual property infringement.

So next time, my dear friends, if you steal or allege someone for stealing, kindly keep my words in mind.


(12) Intellectual Property Rights--- 


Simply I do not support copying other's writings or any thing, it is a theft on one's intellectual property.

You learn something from someone's writing, if it is somehow useful for you, that is great, all writing are for that purpose but it does not mean that U are allowed to copy paste other's words....

U can do it differently, use your wisdom, experience and re-write according to your understanding, that is okay.

Now, how much has been just copied or how much is re-used like a re-use of wheel in a car, that is a different story and that is why in the whole world court cases are fought over this issue.

And I am amazed, how difficult it is to make clear to my friends!

What is originality, it is not re-inventing the wheel......it is making a new use of the wheel....fitting it in a cycle, car, aero-plane.....

Computer was an invention, of-course, but was it altogether something new, were not previous inventions used in inventing it?

Hope my dear friends will understand.....

Statutory Warning---- I am no advocate, kindly cross check my words.

COPY RIGHT MATTER

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