किसी ने आर टी आई से मोदी साहेब की एक साल की उपलब्धियां प्राइम मिनिस्टर ऑफिस से पूछी हैं, जवाब नदारद.मैंने कुछ ही दिन पहले यह आर्टिकल लिखा था, कृपया जिन्होंने न पढ़ा हो पढ़ लें और जिन्होंने पढ़ा हो दुबारा पढ़ लें, शायद अब और भी संदर्भित लगे. सुस्वागतम.
"सूटनीति, बूटनीति, कूटनीति"
जिसे समाजनीति पता नहीं, जिसे घर सम्भालना आता नहीं....वो विदेश नीति समझा रहे हैं, वो कूट नीति समझा रहे हैं.....अबे, वो सिर्फ दुनिया घूम रहा है, मौज मार रहा है, उसे पता है दुबारा मौका मिले न मिले .....
और यह कूटनीति होती क्या है?....कोई coded नीति. मतलब ऐसी छुपी हुई नीति जिसे सामने वाला न समझ सके. मूर्ख है न सामने वाला? तुम जो अपना मुल्क सम्भाल नहीं पा रहे....जहाँ आधे से ज़्यादा लोग गरीब हैं.....तुम ज़्यादा अक्ल वाले हो? अगले जो तुम्हारे मुल्क से मीलों आगे हैं, वो गधे हैं, अक्ल के अंधे हैं, घोंचू हैं?
या इसे आम भाषा में कहा जाए, "सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे"......"तेरी भी जय, मेरी भी जय"......"You Win, I Win", a "Win Win Game".
चलो ठीक है, लेकिन रुपैया तुम्हारा दम तोड़ रहा है, GDP हांफ रही है.......गरीब आत्महत्या कर रहा है, मध्यम वर्ग महंगाई से त्रस्त है, उच्च वर्ग को वैसे ही कोई फर्क नहीं पड़ता, "कोई हो नृप हमें क्या हान".....
खैर कूटनीति है भाई, coded नीति..... आसानी से पल्ले थोड़ा न पड़ जायेगी, दुनिया के महानतम कोड ब्रेकर बुलवाने पडेंगे
यह कूट नीति मात्र अच्छा समय कूटने की नीति है....तुम्हारा नहीं, अपना
अच्छे दिन, तुम्हारे नहीं, अपने
तुम्हारे तो पहले भी दिन कच्चे थे और कच्चे ही रहेंगे
तुम पहले भी कच्छे में थे ...कच्छे में ही रहोगे
सूट बूट, बढ़िया चश्मा न तुम्हारे हिस्से में पहले था, न आगे रहेगा
और तुम्हें तो अगले की सीधी सीधी नीति समझ न आ रही होगी.... सूटनीति, बूटनीति न समझ आ रही होगी, कूट नीति कैसे समझ आयेगी?
मुल्क चाहे आधा भूखा नंगा हो, लेकिन विदेशों में प्रधानमंत्री चमकता दमकता दिखना चाहिए, बेइज़्ज़ती थोड़ा करवानी है दूसरों के सामने, आखिर इतनी भी ग़रीबी नहीं कि मुल्क एक दर्शनीय प्रधानमंत्री अफ्फोर्ड न कर सके ....समझे सूटनीति ....या बूट नीति से समझाया जाए फिर?
अबे, सीधी नीति ही इतनी कूट है, कूट नीति तो और ज़्यादा कूट है, क्या खा कर समझोगे?
यह सब समझने के लिए फ्रांस का पानी पीना पड़ता है, अमरीका का पिज़्ज़ा खाना पड़ता है, कनाडा का टोस्ट खाना पड़ता है....चीन की चीनी खानी पड़ती है ..आया कुछ समझ में? ..इडियट!
तुम साले दाल रोटी खाने वाले, नमक प्याज़ से रोटी खाने वाले, हैण्ड पंप का पानी पीने वाले तुम समझोगे कूट नीति?
अभी तो वैसे भी नहीं समझोगे, लगेंगे तकरीबन चार साल समझने में, चुनाव के आस पास तुम्हें स्पेशल क्लासें लगा आकर समझाया जायेगा .....तुम्हें चाय पर भी बुलाया जायेगा...चाय पर चर्चा होगी....तुम्हें सूट बूट और कूट नीति विस्तार से समझाई जायेगी
तब तुम्हें समझ आएगा कि कूटनीति क्या होती है? नहीं समझोगे तो टीवी पर समझाया जायेगा, रेडियो से बतिया जायेगा, अख़बार ससे पढवाया जाएगा, कैसे नहीं समझोगे, तुम्हें समझना ही होगा....हर दीवार, हर खम्बा तुम्हें समझाएगा......खैर, अभी फ़ालतू बातों के लिए वैसे ही समय नहीं है.
अभी तो जहाँ कूटे जा रहे हो वहां मलहम लगाने की नीति पर अमल करो, तुम्हारे लिए कूट नीति का बस इतना ही मतलब है
नमन.....कॉपी राईट मैटर......चुराएं न.....शेयर करें
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