Saturday, 6 June 2015

भिंडरावाला

आज भी  कई सिख भिंडरावाले को हीरो समझते हैं. अभी फिर से उसके नाम की अलख जगी है. मैंने विभिन्न समयों पर कुछ आर्टिकल लिखे थे. उनको जोड़ कर पेश कर रहा हूँ. उम्मीद है, मित्रगण  कुछ सोचने के लिए प्रेरित होंगे.

!!!मेरा नज़रिया, कुछ पंजाबियत पर, सिखों पर, धर्मों पर!!!!!!

मेरी नज़र में सब organised धर्म मनुष्यता के लिए हानिकारक हैं
ऐसा नहीं की गीता, गुरु ग्रन्थ, उपनिषद आदि में कोई भी काम की बात नहीं होगी......लेकिन सवाल सिर्फ इतना है कि धर्म के नाम पर ग्रुप, गिरोह बन जाते हैं...........और बन ही जाते हैं....बस वहीं सब गड़बड़
सिख 84 याद करते हैं
उससे पहले जो भिंडरावाला और अन्य सिख उग्रवादी हिन्दू सिख दोनों को मारते रहे उसके खिलाफ नहीं बोलते
मैं तब पंजाब में था...स्कूल में...फिर कॉलेज में
सब देखा है मैंने अपने सामने
रोज़ पंजाब केसरी भरा होता था...खालिस्तान के नाम पर कत्ले-गारत से
हिन्दू चुन कर मारे जाते थे
बसों से निकाल कर, कतार बना कर.....उड़ा दिए जाते थे AK-47 से
उस दौर में जो सिख भी विरोध करते थे ..उनको भी मार दिया गया
एक पुलिस अधिकारी था... अटवाल...सिख था
वो गया हरमंदर साब ....मत्था टेका...प्रसाद लिया...
बाहर आ रहा था....सीढ़ियों में उसे गोलियों भून दिया गया
उसकी लाश पड़ी रही वहां पर
पुलिस का बड़ा ऑफिसर
मुख्य मंत्री ने मिन्नत की भिंडरावाले से कि लाश दे दो
संस्कार करना है
घंटो बाद लाश दी गयी थी
किसी की हिम्मत नहीं हुई
जब भिंडरावाले माना, तभी लाश मिली थी
और गुरूद्वारे गुरूद्वारे नहीं आतंकवादीयों का छुपने का अड्डा बन गया था
क़त्ल करते थे गुरूद्वारे में छुप जाते थे
यह है ..जिसके लिए मैं रोता हूँ.....
आप गूगल करो आपको अटवाल की मौत वाली कहानी तथा और भी बहुत कुछ जो मैं लिख रहा हूँ मिल जाएगा
लेकिन आज आपको शायद ही कोई मिले जो यह सब कहे
सिख तो शायद बिलकुल नहीं मिलेगा
उल्टा आज भी हैं लोग, सिख जो भिंडरावाले को अपना आदर्श मानते हैं
उसकी फोटो लगाते हैं अपनी बाइक, अपनी कार के पीछे
सिख कहते है...Never forget 84
पीछे क्या हुआ..वो याद तक नहीं करना चाहते
जबकि सब जुड़ा था
सब चैन रिएक्शन था
और सबके पीछे कांग्रेस, इंदिरा गांधी थी
और वो ही कांग्रेस के तलवे चाटू.....वो ही गांधी परिवार का नौकर, मनमोहन इस देश का PM बना रहा
यह कभी नहीं दिखा सिखों को
बकवास, जितना देखना है बस उतना ही देखना है
सच से कोई मतलब नहीं
अक्ल के अंधे
धर्म के अंधे
धर्मान्ध
मेरा आधा परिवार सिख है...आधा मौना
माँ सिख परिवार से, पिता हिन्दू परिवार से
दिल्ली में मेरे एक सिख मामा को जला कर मार दिया गया था
पंजाब में थे हम.....
दिल्ली आने की एक वजह पंजाब की अशांति भी थी
यह जो लिखा है मैंने...सब देखा है
ज़िन्दगी है मेरी
जब तक स्कूल कॉलेज में थे वहां तक कभी ख्याल तक न था हिन्दू सिख का, कोई फर्क न था
लेकिन आतंकवाद ..तौबा........सब गुड़ गोबर कर दिया
मेरी माँ...पिता जी...गुरुद्वारा..मंदिर...और दरगाह सब जगह जाते थे.
वहां बठिंडा में एक हाजी रतन करके दरगाह है
वहां आज भी सब जाते हैं
लेकिन यह सब बारूद है , बारूद का ढेर कब इन्सान को उड़ा दे कुछ पता नहीं
इन्सान को अँधा कर देता है, धर्मान्ध
बस ज़रा सी चिंगारी की ज़रूरत
और क़त्ल-ए-आम शुरू
मेरी क्या माननी है, इतिहास देखें.
और जो इतिहास से सबक नहीं लेते, उन्ही के लिए कहा जाता है कि इतिहास स्वयं को दोहराता है, उन्ही मूर्खों के लिए कहा जाता है
वरना इन्सान समझदार हों तो काहे गलती दोहरायेंगे..काहे मज़हब के नाम पर एक दूसरे को काटेंगे ...लेकिन इन्सान समझदार हो तब न....इन्सान इन्सान हो तब न.......यहाँ तो सब हिन्दू हैं, मुस्लिम हैं, सिख हैं......यह हैं...वो हैं

!!!! पंजाब का आतंकवाद, एक और नज़र !!!!!!

एक फिल्म बनी थी माचिस, गाना याद होगा आपको "चप्पा चप्पा चरखा चले", पंजाब में आतंकवाद पर आधारित, इस फिल्म को निर्देशित किया था गुलज़ार ने.......

बहुत अच्छी चली थी यह फिल्म.......

लेकिन इस फिल्म ने सच बिलकुल भी नहीं दिखाया, उल्टा झूठ फैलाया

दिखाया यह गया कि सिख जो उग्रवादी बने, वो इसलिए कि पुलिस ने, प्रशासन ने उन पर ज़ुल्म किये.....एक दम झूठ बात है

ज़ुल्म शुरू ही सिख उग्रवादियों ने किये थे.......भिंडरावाला शुरू से इस सब के पीछे था और कांग्रेस शुरू से उसके पीछे थी

लेकिन आज तक शायद ही किसी फिल्म ने, पूरी तस्वीर दिखाई हो..........

खालिस्तान की डिमांड पर हिन्दुओं को पंजाब से खदेड़ने के लिए ही उनको चुन चुन कर, कतार बना कर गोलियों से भून दिया जाता था.

पंजाब केसरी अखबार इसके विरुद्ध आवाज़ उठाता था, उनके बन्दे मार दिए गए

जो सिख इस के खिलाफ आवाज़ उठाता था, उसे भी मार दिया गया

और पंजाब में बिलकुल भी हिन्दू सिख का कोई फर्क नहीं था, हिन्दू को विशेष अधिकार न थे, ऐसे जो सिख को नहीं थे....न...न..

लेकिन फिर भी खालिस्तान का कांसेप्ट खड़ा किया गया, दिखाया गया कि चूँकि सिख अलग हैं सो उनका अलग मुल्क होना चाहिए.......मानस की जात सबे एको पहचानबो....सब भुला दिया गया...

भुला दिया गया कि गुरुओं ने तो मज़लूम की रक्षा के लिए अपने वंश तक कुर्बान कर दिए थे......

फिर एक आम आदमी को मार कर कौन सा आदर्श घड़ा जा रहा था?

गुरुद्वारों को आतंकवादियों ने अपनी पनाहगाह बना लिया था......आज अक्सर सिख कहते हैं कि इंदिरा गांधी ने हरमंदर साब की बेअदबी की, वहां अन्दर फ़ौज भेज दी...... अरे भाई, ठीक है वहां पुलिस, फ़ौज नहीं जानी चाहिए, लेकिन इसी बात का फ़ायदा उठा कर तो गुरूद्वारे को एक सेफ-हाउस की तरह प्रयोग किया जाता था आतंकवादियों द्वारा, क़त्ल करते थे गुरुद्वारों में छुप जाते थे, गुरुद्वारा इन कामों के लिए बनाया जाता है क्या, बेअदबी तो आतंकवादियों ने की गुरुद्वारों की ...लेकिन वो शायद ही किसी सिख को नज़र आता हो

गुलज़ार जैसे कलाकार को नज़र नहीं आयी पूरी तस्वीर, और ये हमारे बुद्धीजीवी हैं, अरे जब तक नज़र साफ़ न हो, कुछ साफ़ नहीं दिखता, चाहे गुलज़ार हो चाहे कोई भी हो

उम्मीद है कि कोई फिल्म, कोई नाटक बनेगा, जो पंजाब की हिन्दू सिखों के कत्लों से लेकर दिल्ली में सिखों के कत्ले-आम की पूरी तस्वीर सही से दिखायेगा, और दिखायेगा कि सब कड़ियाँ जुड़ी थीं, और दिखायेगा कि कैसे जुड़ी थीं

!!!!! इंदिरा गांधी, भारतीय इतिहास की एक लानत !!!!

आज इंदिरा गांधी से जुड़ा कोई दिन है शायद.....जनम या मरण या फिर कोई और दिन......damn it.........क्या किसी को पता है कि इंदिरा जो मारी गयी वो उसके अपने पापों का फल था........पंजाब में सन अस्सी के आस पास से चौरासी तक धड़ा धड़ खालिस्तानियों द्वारा हिन्दुओं को मारा जाता रहा.....AK-47 इन आतंकियों का ख़ास पसंदीदा खिलौना था........कतार बना एक ही बारी में बहुत से लोग जो मारे जा सकते थे, आसानी से .........रोज़ अख़बार के पहले पन्ने लाल होते थे,,,,,,,,,,अख़बार बस मृत्यु समाचार की दूत बन चुकी थी......हिन्दू निरीह जानवर की तरह थरथराते थे.....

मैं स्कूल में था.,.....बठिंडा में.........घर में अखबार नहीं आती थी...लेकिन मुझे जमाने की सब खबर थी......सारा दिन पुस्तकालयों में पड़ा रहता था

अक्सर सोचता कि क्या इन लोगों को रोका नहीं जा सकता.......पंजाब समस्या से अख़बार भरे रहते ....अलग अलग सुझाव.....

फिर ऑपरेशन ब्लू स्टार, फिर इंदिरा की हत्या, फिर दिल्ली में सिक्खों की हत्या ....धीरे धीरे पंजाब में आतंकवाद खत्म

हजारों लोग मारे गये, हिन्दू, सिक्ख, फ़ौजी, पुलिस वाले........दोषी, निर्दोष

आज जब पीछे मुड़ देखता हूँ तो इस सब का सबसे बड़ी मुजरिम अगर कोई पाता हूँ तो वो है इंदिरा गांधी

वो चाहती तो इस उग्रवाद को बहुत पहले ही, जड़ में ही खत्म कर सकती थी.....लेकिन नहीं किया...जो काम ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की मौत के बाद हो सकता था वो शुरू में तो बहुत आसानी से हो सकता था

न, लेकिन इंदिरा ने ऐसा नहीं किया, अपनी लगाई आग में पंजाब को जलाया, खुद को जलाया और दिल्ली को जलाया

आग से खेला इंदिरा गांधी ने, शायद उसे लगा आग उसे तो जला ही नहीं सकती, जैसे किसी मूर्ख बिजली वाले को यह गुमान हो जाए कि बिजली उसे तो झटक ही नहीं सकती

ऐसे नेताओं की मूर्तियाँ नहीं बनाई जाने चाहिए बल्कि चौराहों पर इनके पुतले दहन करने चाहियें

एक क़त्ल के लिए फांसी तक दी जा सकती है, अनेक कत्लों के दोषियों को सम्मान देंगे , नहीं, कतई नहीं

!!!किसी वहम में न रहें!!!

सन सैंतालीस का बटवारा. यदि मुस्लिमों ने मारे हिन्दू और सिख तो इधर से ऐसा ही मुस्लिमों के साथ भी किया गया .... और करने वाले हिन्दू और सिख थे
और चौरासी के दौर में सिक्ख आतंकियों ने हजारों हिन्दू मार गिराए खालिस्तान के नाम पर

फिर बाबरी मस्जिद, हिन्दू आतंकी, मरी इमारतों की लडाई में जिंदा इंसानों की बली , जिसमें हिन्दू मुस्लिम दोनों मारे गए

किसी वहम में न रहें कोई भी, चाहे हिन्दू हो, मुस्लिम हो, चाहे सिख हो

बात सिर्फ इतनी सी है कि जिस धर्म में पले बढे हैं, वो कैसे गलत हो सकता है, यह समझ आने के लिए अपने माँ बाप, परिवार द्वारा दी गयी मानसिक गुलामियों से बाहर आना पड़ता है.

1) ON 30TH ANNIVERSARY OF OPERATION BLUE STAR, KILLINGS OF HINDUS IN PUNJAB DURING 80-84, DEMAND OF KHALISTAN, SIKH MASSACRE IN DELHI 84, A REVISIT ON 30TH ANNIVERSARY OF OPERATION BLUE STAR--------

Today, a brawl happened in Golden Temple, Amritsar between two groups of Sikhs on the 30th anniversary of Operation Blue Star.

I wanna express my views regarding operation Blue star and a few things related to this mis-happening. Why, how, all these accidents took place?

Sikhs are aggrieved very much for the massacre of 1984 in Delhi, yeah me too, but they never even mention the killings of Hindus in Punjab.

I am born brought in Hindu-Sikh family, my mom from Sikh family, father a Hindu, though I do not subscribe to any religion in the world, I was in Bathinda, in school those days, I have experienced whatever happened there in Punjab those days.

From 80 to 84 almost everyday Hindus were killed. They were taken outta buses and queued up and then shot with AK-47 and the KILLERS were none-else but SIKHS, they were demanding Khalistan, a sacred land for the sikhs, hence Hindus were being frightened so that they might leave Punjab and it may remain only a land for the Sikhs.

This is a TRUTH, which is being hidden, not brought in lime-light. Sikhs only talk of massacre of 1984, right, it should be condemned as much as possible but the killings of Hindus be also talked.

And the Govt, Indira Gandhi, she was the master player of this whole dirty game.

If she would have been an honest one, there should have been no killings of Hindus, then no attack on Golden temple, then no massacre of Sikhs in Delhi....everything connected, chained, action-reaction.

I would not call Bhindrawle a mastermind, no, mastermind was Indira Gandhi and Congress party.

Why? Because as I said, she could have controlled everything in the beginning, if she had wished.

And Khalistan was not demanded after 1984, it was demanded long before that and not even Hindus but even some Sikhs, whosoever were opposing this violence, were killed during that period.

Moreover, though Bhindrawale was having the biggest group, there were so many other Groups too, who indulged in violence.

Khushwant Singh, he was the one, who bravely opposed Bhindrawale during those days.

Moreover news papers of those days may be seen.

Wish that all this had not happened!

Wish that all such things may never happen!!

Amen!!!

2) ON 30TH ANNIVERSARY OF OPERATION BLUE STAR--------

Sikhs are aggrieved very much for the massacre of 1984 in Delhi, yeah me too, but they never even mention the killings of Hindus in Punjab.

Hindus are aggrieved of killings and migration of Kashmiri Brahmans, yeah me too, but they never mention the killings of the Muslims in Gujarat.

Muslims are aggrieved of demolition of Babri Masjid but not much for the attack of Kasab and and company on Mumbai.

Until this attitude, finishes, no peace can be expected and this can happen only if humans stop becoming Hindus, Sikhs, Muslims etc. The very being of Hindus or Muslims or a Sikh does not allow them to empathize with the people of the sects. In fact, this sectoral being is the seed of such hostility, such massacre.

3) ON 30TH ANNIVERSARY OF OPERATION BLUE STAR--------

Avtar Singh Atwal (23 February 1943 – 25 April 1983) was a senior Indian police officer. He was an IPS, which he joined after serving five years as an Emergency Commissioned Officer in the Regiment of Artillery. He was serving as Deputy Inspector General of Police of Jalandhar District in Punjab. He was shot from behind and killed on 25 April 1983 by militants when he was coming out of Golden Temple after paying obeisance and with Karah Prasaad in his hands. He was unarmed. His dead body was left in open on the stairs of the temple for more than two hours. Finally the Chief Mnister of Punjab Darbara Singh requested Bhindranwale to let the police take the dead body.

He was awarded President Police Medal for Gallantry posthumously.[4] He was survived by his wife and son. His wife Amrita Atwal later joined the Punjab Civil Services and thereafter was seconded to the IAS before her retirement. His son, Harbir Atwal also joined the Punjab Police as an Inspector, and was awarded the "Sword of Honour" during the Passing Out Parade.
(Courtesy Wikipedia)

4) ON 30TH ANNIVERSARY OF OPERATION BLUE STAR-------- Read if you can spare time, read if you are interested in knowing about terrorism in Punjab.

"Punjab: The Knights of Falsehood -- Psalms of Terror"

These are the words of KPS Gill, former DIG of Punjab, honored as annihilator of terrorism in Punjab also alleged as 'butcher of Punjab'.

KEEP CALM, JUST DISCUSS FRIENDS. WELCOME.
COPY RIGHT MATTER

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