Thursday, 4 June 2015

"बेटियां"


बहुत सुना होगा आपने कि शादी के बाद ससुराल वालों की वजह से बेटियां परेशान होती हैं.  अधूरी तस्वीर है. बहुत बार ससुराल में बेटियों को हो रही दिक्कतों की वजह मायके वाले भी होते हैं.

मेरी बात काबिले-यकीन न लगे शायद.

मेरे मित्र कि बिटिया सीमा का प्रेम सम्बन्ध था एक लड़के के साथ.  कहा ज़रूर जाता है कि लड़का लड़की दोनों राज़ी तो क्या करेगा काज़ी लेकिन बहुत बार काज़ी ही सब करता है. यहाँ काज़ी से मतलब हर उस पाज़ी से है जो अपनी मर्ज़ी दूसरों पर थोपता है.

अस्तु, सीमा के पिता जी को उसका प्रेमी बहुत पसंद नहीं था. लड़के कि आर्थिक स्थिति उनको समझ नहीं आई. वैसे वो अच्छा ख़ासा कमाता था लेकिन सीमा के पिता जी चूँकि खुद कारों, कोठियों वाले थे सो उनको फ्लैट में रहने वाला, मोटर साइकिल पर चलने वाला, बीस हज़ार रुपये माह कमाने वाला लड़का कतई पसंद न था.

सीमा ठहरी सीमा में रहने वाली लड़की. न इतनी समझ, न हिम्मत कि बगावत कर दे और सो उसकी शादी पिता के तय किये परिवार में हो गई. करोल बाग में ये बड़ी खुद की साड़ियों की दूकान. अपना घर. और क्या चाहिए?

आज शादी के तकरीबन बीस साल बाद मैं मिला सीमा से.  सीमा के दो बेटे हैं, एक लगभग अठारह साल का है, दूसरा सोलह का.  ऐसी लड़की का तो हर दिन खुशी से सराबोर होगा, ऐसे रिश्ते से कौन भला बोर होगा.

लेकिन सीमा मानसिक रूप से भयंकर बीमार है. उसे पति कभी भी पसंद नहीं रहा. वो उम्र में उससे आठ साल बड़ा है. और आज उससे कहीं उम्र में बड़ा लगता है. धन होते हुए, जायदाद होते हुए उसे खर्च करना नहीं आता. आप समझते हैं कि कमाना मुश्किल है,लेकिन खर्च करना भी मुश्किल है, सबके लिए न हो लेकिन बहुतेरों के लिए है.

यहाँ दिल्ली में कोठियों में झुग्गीवासियों जैसी जिंदगियां जीते कितने ही लोग मिल जायेंगे आपको. कोठियों की कीमत आंको तो करोड़ों में, इनकी ज़िंदगी का स्तर आंको तो कोड़ियों में.

खैर, सीमा जायदाद को देख देख खुश होते नहीं रहना चाहती, वो उसे भोगना चाहती है.....वो नहीं चाहती कि  "कमाए कोई, खाए कोई"....."रब दिया लापरवाहियां, कुत्ते खाएं मलाइयां" जैसी कहावतें उसके मामले में सच साबित हों ...लेकिन पति की मर्ज़ी के बिना कैसे सम्भव हो?

पति योग चाहता है, पत्नी सम्भोग चाहती है. पति को टैक्स की चिंता है, पत्नी को सेक्स की. पति  इस मामले में लगभग चुक चुका है.
अब पत्नी किस से कहे, कैसे कहे? बेहद बीमार.

सीमा की माँ को पता था कि मैं किताबें में सर दिए रखता हूँ, शायद कुछ समझता होवूं. पत्नी के जरिये संदेश मिला. मैं पत्नी संग मिले तब यह सब पता लगा.  और यह भी पता लगा कि वो कभी वहां अपने रिश्ते से खुश थी ही नहीं. उसने बताया कि वो जैसे ही उस घर में गई तो हैरान हो गई सब रहन सहन देख कर कि वो आ कहाँ गई है, किस तबेले में, किस मेले में, किस झमेले में. वापिस आ पिता को बताया लकिन पिता ने समझाया कि अब तेरा वही घर है. शादी के बाद लड़की का असल घर उसका ससुराल होता है, मायका नहीं. डोली में गयी हो, अर्थी में ही विदा होनी चाहिए वहां से.

सीमा क्या करती? उसे यह भी समझाया गया कि वापिस आने पर  उसकी दूसरी शादी कर दी जायेगी और वो हो सकता है कि पहले  से भी निम्नतर घर में हो चूँकि समाज में तलाकशुदा लड़की को वैसे ही सेकंड नहीं, थर्ड क्लास माल समझा जाता है. और यदि वो शादी नहीं भी करेगी तो पिता के घर में भाभियों के साथ, भाइयों के साथ उसे कभी बराबर का सम्मान नहीं मिलेगा.

सीमा को समझ आ गई. वो जैसे तैसे जी गई, लेकिन क्या जी गई? अब पता लग रहा है कि वो मानसिक रोग से पिच्छले अठारह  वर्षों से पीड़ित है. वो एक मरी मरी मरी ज़िंदगी जी गई और जी रही है. उसे महंगे मानसिक चिकित्सक से दवा दिलवाई जा रही है, लेकिन कोई असर होगा, मुझे शंका है

नज़र घुमाएं आप, शायद बहुत सीमा आपको दिख जायें, इस सीमा से कहीं बदतर हालात में.

'सावधान इंडिया' नाम का टीवी प्रोग्राम देख रहा था मैं पीछे. लड़की को ससुराल में जला के मार देते हैं. वो बीच में आ माँ बाप को ऐसी आशंका ज़ाहिर भी करती है लेकिन माँ बाप नज़र अंदाज़ करते हैं. जब लड़की जला दी गई, तो दहाड़ें मार रहे होते हैं.

लाख कहते रहे  माँ बाप कि वो अपनी बेटियों से बहुत प्यार करते हैं लेकिन असल में वो उनको शादी कर के जैसे तैसे निपटा देना चाहते हैं. पराया धन. अमानत. जितनी जल्दी सौंप दी जाए असली मालिक को उतना बढ़िया. आज भी बहुत लोग अठारह तक नहीं पहुँचने देते बेटी को. ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहते हैं. कन्या को दान कर देना चाहते हैं.

जो माँ बाप बेटी को पराया धन समझते हों, अमानत समझते हों, दान करने की वस्तु समझते हों, यदि वो ससुरालियों द्वारा अपनी बेटियों से दुर्व्यवहार पर टसुये बहाएं तो ससुराल को बाद में झाड़ना चाहिए, ताड़ना चाहिए, पहले मायके को झंझोड़ना चाहिए, भभोड़ना चाहिए

और ये भाई, यदि  बहन जायदाद में हिसा मांग ले तो इनकी माँ, जिंदा भी हो तब भी मर जाए. हिस्सा मांगते ही  जो बहन से राखी का रिश्ता तोड़ दें ऐसों को भाई कहलाने का हक़ नहीं है

मायका बेटियों से शादी करके पल्ला झाड़ लेता है. शादी की गंगा नहाये. जान छूटी.

मेरी समझ से इस तरह की  मायके ससुराल की दीवारें तोड़  देनी चाहिए. शादी हुई हो न हुई हो बेटी को मायके में हर वक्त जगह मिलनी चाहिए, न सिर्फ उसे बल्कि जामाता को भी मिलनी चाहिए. पहले आपके पास एक बेटी थी, अब आपके पास एक बेटा भी है. यदि पति पत्नी में जमे तो बढ़िया, बहुत बढ़िया और यदि न जमे तो  बेटी को सीमा की तरह ज़बरदस्ती सीमा में नहीं रखना चाहिए, यदि रखेंगे   तो या तो बेटी मर जायगी और यदि नहीं  मरी तो मरी मरी रहेगी



सादर नमन....कॉपी राईट.....चुराएं न....साझा करें

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